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जापान को रूस के मामले में अमेरिका ने ये छूट क्यों दी
04-Apr-2023 4:01 PM
जापान को रूस के मामले में अमेरिका ने ये छूट क्यों दी

वाशिंगटन, 4 अप्रैल ।  अमेरिका ने यूरोप के अपने सहयोगी देशों के साथ रूसी तेल की ख़रीदारी पर प्रति बैरल 60 डॉलर का प्राइस कैप लगा रखा है. लेकिन अमेरिका के सबसे क़रीबी सहयोगियों में से एक जापान रूस से तेल प्राइस कैप से ज़्यादा क़ीमत देकर ख़रीद रहा है.

अमेरिकी अख़बार वाल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका ने जापान को अपवाद स्वरूप यह छूट दे दी है. जापान के बारे में कहा जा रहा है कि उसे रूसी ऊर्जा की ज़रूरत है.

डब्ल्यूएसजे ने लिखा है, ''जापान को मिली छूट बताती है कि उसकी निर्भरता रूसी जीवाश्म ईंधन पर किस हद तक है. हालांकि दूसरी तरफ़ यूरोप के देश रूसी तेल पर अपनी निर्भरता लगातार कम कर रहे हैं. जापान जी-7 का एकमात्र देश है जो यूक्रेन को घातक हथियार नहीं दे रहा है. जापान के प्रधानमंत्री फ़ुमियो किशिदा ने पिछले महीने ही यूक्रेन का दौरा किया था. इसी दौरान चीनी राष्ट्रपति शी जिनपिंग रूस के दौरे पर गए थे.''

इस साल जी-7 की अध्यक्षता जापान के पास है और मई महीने में हिरोशिमा में जी-7 समिट होने जा रहा है.

प्रधानमंत्री किशिदा ने कहा है कि वह यूक्रेन की स्वतंत्रता और संप्रभुता को लेकर अडिग हैं. जापान का कहना है कि यूक्रेन का समर्थन और वहां हथियार नहीं भेजना उनकी कैबिनेट के नियम के हिसाब से है.

जी-7 का रूसी तेल पर लगाया प्राइस कैप काम कर रहा है. जो अमेरिका के सहयोगी नहीं भी हैं, उन्हें रूस से तेल ख़रीदने के लिए इंश्योरेंस और अन्य सेवाओं की ज़रूरत पड़ती है और ये सारी कंपनियां अमेरिकी हैं या उसके सहयोगी देशों की हैं.

जी-7, ईयू और ऑस्ट्रेलिया इस बात पर सहमत हैं कि 60 डॉलर प्रति बैरल से ज़्यादा क़ीमत देने वाले देशों को जो कंपनियां इंश्योरेंस करेंगी, उनके ख़िलाफ़ कार्रवाई की जाएगी.

जी-7 दुनिया के सबसे धनी देशों का समूह है. इसमें अमेरिका, जापान, जर्मनी, ब्रिटेन, फ़्रांस, इटली और कनाडा हैं. जी-7 की इस योजना के साथ ईयू भी खड़ा है. जी-7 देश चाहते हैं कि चीन और भारत को रूस से सस्ता तेल ना मिले.

भारत दुनिया का दूसरा बड़ा तेल आयातक देश है. भारत पहले प्राइस कैप की बात करता रहा है. लेकिन बेहिसाब बढ़ती क़ीमतों के मामले में भारत इसकी बात करता था न कि सस्ते तेल को रोकने के लिए. यूक्रेन पर रूसी हमले से पहले भारत अपनी ज़रूरत का महज़ एक फ़ीसदी तेल रूस से लेता था. रूस ने यूक्रेन पर हमला फ़रवरी महीने में किया था. अप्रैल महीने में भारत के कुल तेल आयात में रूस का हिस्सा बढ़कर आठ फ़ीसदी हो गया और मई में 18 फ़ीसदी हो गया. जुलाई से रूस से भारत के तेल आयात में गिरावट आई, लेकिन यह गिरावट भारत के पूरे तेल आयात में थी. (bbc.com/hindi)


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