अंतरराष्ट्रीय

वेटिकन की एक मोनेस्ट्री में पूर्व पोप बेनेडिक्ट 16वें ने 95 साल की उम्र में आखिरी सांस ली. वह पहले ऐसे पोप थे जिनका जन्म जर्मनी में हुआ था.
वह 2005 में पोप बने थे. लेकिन स्वास्थ्य कारणों ने उन्होंने 2013 में अपना पद छोड़ दिया था. उनके उत्तराधिकारी पोप फ्रांसिस ने पिछले दिनों बताया कि बेनेडिक्ट 'बहुत ज्यादा बीमार हैं'.
वेटिकन की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि पूर्व पोप ने शनिवार को सुबह 9.34 बजे आखिरी सांस ली. बयान के अनुसार उनका पार्थिव शरीर सोमवार 2 जनवरी से सेंट पीटर्स बेसेलिका में रखा जाएगा ताकि श्रद्धालु उन्हें अंतिम विदाई दे सकें.
उनके निधन पर जर्मन चांसलर ओलाफ शॉल्त्स ने संवेदना जताई है. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, "जर्मन पोप के तौर पर, बेनेडिक्ट 16वें बहुत से लोगों के लिए एक विशेष चर्च प्रमुख थे, सिर्फ इस देश में नहीं." उन्होंने आगे कहा कि दुनिया ने कैथोलिक चर्च की बड़ी हस्ती और एक प्रखर धर्मशास्त्री को खो दिया है.
विरासत
उन्होंने मिलीजुली और कुछ मामलों में जटिल विरासत छोड़ी. योसेफ रात्सिंगर के तौर पर उनका जन्म 1927 में जर्मन प्रांत बवेरिया में हुआ. उन्होंने धर्मशास्त्र की पढ़ाई और इसे पढ़ाया भी. उन्हें 1977 में म्यूनिख का आर्कबिशप नियुक्त किया गया और उसके कुछ समय बाद वह कार्डिनल बने. फिर 2005 में वह पोप चुने गए.
वह ब्रह्मचर्य के कड़े पैरोकार थे और समलैंगिक शादियों और गर्भपात के विरोधी थे. बतौर पोप उन्होंने इस्लाम और यहूदी धर्म के साथ संबंध सुधारने की कोशिश की. लेकिन बाल यौन शोषण से जुड़े एक मामले को लेकर खूब विवाद भी हुआ. चर्च पर ऐसे मामलों को छिपाने के आरोप लगे. ये मामले 1975 से 2004 के बीच विभिन्न देशों में हुए. बाद में बेनेडिक्ट ने इसके लिए माफी मांगी और ज्यादा पारदर्शिता का वादा किया.
2008 में उन्होंने ऑस्ट्रेलिया के सिडनी में कहा था, "यहां मैं थोड़ा रुकूंगा और इस शर्मिंदगी को स्वीकार करना चाहूंगा जिसे हम सब महसूस करते हैं और जो इस देश में कुछ धर्मगुरुओं द्वारा बच्चों के यौन शोषण का परिणाम है. वास्तव में, मैं इन पीड़ितों की पीड़ा और कष्टों के लिए गहरा अफसोस जताता हूं. "
नहीं थमे विवाद
2013 में पोप बेनेडिक्ट ने स्वास्थ्य कारणों से पद छोड़ दिया. वह 700 सालों के इतिहास में पहले पोप थे जिन्होंने स्वेच्छा से इस्तीफा दिया. उनकी जगह पोप फ्रांसिस ने ली.
लेकिन पूर्व पोप को लेकर विवाद चलते रहे. 2022 में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार बेनेडिक्ट जब 1977 से लेकर 1982 तक जर्मनी के आर्कबिशप थे तो वह उत्पीड़न से जुड़े मामलों में कदम उठाने में नाकाम रहे. उन्होंने माफी मांगी लेकिन किसी निजी अपराधबोध से इनकार किया.
पद छोड़ने के बाद वह सार्वजनिक जीवन में कभी कभार ही दिखे. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने वेटिकन की एक मोनेस्ट्री में अपना जीवन गुजारा. वहीं पर उन्होंने शनिवार को अंतिम सांस ली.