गरियाबंद

नाबालिग की सगाई की थी तैयारी, चाइल्ड लाइन व पाण्डुका पुलिस ने रोका
09-Dec-2025 4:15 PM
नाबालिग की सगाई की थी तैयारी, चाइल्ड  लाइन व पाण्डुका पुलिस ने रोका

अब तक 205 ग्राम पंचायत एवं 3 नगरीय निकाय बाल विवाह मुक्त घोषित

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 9 दिसंबर। गरियाबंद जिले के गांव में एक नाबालिग बालिका की सगाई करने की तैयारी को परियोजना समन्वयक व पुलिस की संयुक्त टीम द्वारा आयु सत्यापन, दस्तावेज जांच के दौरान बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 का उल्लंघन पाए जाने पर जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाइल्ड लाइन टीम द्वारा बालिका, उसके माता-पिता, परिवारजनों सहित उपस्थित ग्रामीणों को बाल विवाह के दुष्परिणामों, कानूनी प्रावधानों तथा इसके शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और भविष्य पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी देकर समझाइश दी गई। परिजनों एवं ग्रामीणों ने टीम की समझाइश से सहमति प्रकट करते हुए बालिका के 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह कराने का आश्वासन दिया।  प्राप्त जानकारी के अनुसार विकासखण्ड पाण्डुका के अंतर्गत ग्राम पंचायत  में 7 दिसम्बर को एक नाबालिग बालिका की सगाई करने की तैयारी की सूचना चाइल्ड लाइन 1098 को दूरभाष से प्राप्त हुई। सूचना मिलते ही चाइल्ड लाइन गरियाबंद से परियोजना समन्वयक  श्याम सुंदर नायक, केस वर्कर राज सिदार तथा पाण्डुका पुलिस की संयुक्त टीम तत्काल घटना स्थल पर पहुंची। टीम द्वारा बालिका एवं परिजनों से विस्तृत पूछताछ की गई तथा आयु सत्यापन के लिए उपलब्ध दस्तावेजों की जाँच की गई। बालिका द्वारा प्रस्तुत कक्षा 8वीं की मार्कशीट के आधार पर उसकी आयु 15 वर्ष 5 माह 10 दिन पाई गई। निर्धारित 7 दिसम्बर 2025 को उसकी सगाई आयोजित की जानी थी, जो स्पष्ट रूप से बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 का उल्लंघन है। इस अधिनियम के प्रावधानानुसार विवाह के लिए बालिका की न्यूनतम आयु 18 वर्ष तथा बालक की न्यूनतम आयु 21 वर्ष अनिवार्य है।  अधिनियम का उल्लंघन करते हुए नाबालिग बालक-बालिका का विवाह करने, कराने अथवा सहयोग करने वाले सभी व्यक्ति दंड के भागीदार होते है।  जिनके लिए 2 वर्ष तक का कठोर कारावास, 1 लाख रुपये तक का जुर्माना, अथवा दोनों का प्रावधान है। जिला बाल संरक्षण इकाई एवं चाइल्ड लाइन टीम द्वारा बालिका, उसके माता-पिता, परिवारजनों सहित उपस्थित ग्रामीणों को बाल विवाह के दुष्परिणामों, कानूनी प्रावधानों तथा इसके शिक्षा, स्वास्थ्य, पोषण और भविष्य पर पडऩे वाले प्रतिकूल प्रभावों की जानकारी देकर समझाइश दी गई। 

परिजनों एवं ग्रामीणों ने टीम की समझाइश से सहमति प्रकट करते हुए बालिका के 18 वर्ष की आयु पूर्ण होने के उपरांत ही विवाह कराने का आश्वासन दिया।  टीम ने ग्रामीणों से आग्रह किया कि बाल विवाह सामाजिक बुराई है और निर्धारित आयु सीमा के पालन से बालक-बालिका के शिक्षा, स्वास्थ्य, कुपोषण उन्मूलन, आर्थिक स्वावलंबन तथा परिवार नियोजन में उल्लेखनीय सुधार संभव है।

इसी क्रम में जिले में बाल विवाह रोकथाम हेतु निरंतर अभियान संचालित किया जा रहा है। अब तक जिले के 205 ग्राम पंचायत एवं 03 नगरीय निकाय को बाल विवाह मुक्त घोषित किया जा चुका है तथा संबंधित प्रमाण-पत्र ग्राम पंचायतों द्वारा प्राप्त कर विभाग को उपलब्ध कराए गए हैं।


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