गरियाबंद

सीएम ने दी 45 साल से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को पूरा करने की मंजूरी
10-May-2025 4:06 PM
सीएम ने दी 45 साल से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को पूरा करने की मंजूरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

गरियाबंद, 10 मई।  जिले के सुदूर मड़ेली और आसपास के 10 से अधिक गांवों के निवासियों का 45 साल का इंतजार आज मुख्यमंत्री  विष्णुदेव साय ने ख़त्म कर दिया। मुख्यमंत्री ने आज मड़ेली के सुशासन समाधान शिविर में इलाक़े की 45 साल से अधूरी पड़ी पीपरछेड़ी सिंचाई परियोजना को पूरा करने की मंज़ूरी दे दी।

इस योजना को पूरा करने के लिए क्षेत्र के किसानों ने सुशासन तिहार के दौरान आवेदन दिया था और आज मुख्यमंत्री के मड़ेली पहुंचने पर उनके समक्ष में भी इसकी स्वीकृति की मांग की। मुख्यमंत्री ने लोगों की जनभावनाओं और इलाके के विकास के लिए इस योजना को पूरा करने की स्वीकृति दी। मीडिया से बात करते हुए जब श्री साय ने इसकी घोषणा की तो उपस्थित लोगों ने ख़ुशी जाहिर करते हुए मुख्यमंत्री जिंदाबाद के नारे लगाए और मुख्यमंत्री श्री साय का आभार व्यक्त किया।

गौरतलब है कि गरियाबंद जिले के पीपरछेड़ी गांव में घुनघुट्टी नाला पर बांध बनाकर पानी रोकने और किसानों को सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने की योजना 1977 में शुरू हुई थी। परंतु 1980 में वन अधिनियम लागू होने के बाद तत्कालीन समय में वन एवं पर्यावरणीय अनुमति नहीं मिलने के कारण इसका काम 1980 में बंद कर दिया गया था।

 

तब से यह परियोजना अधूरी पड़ी थी। तत्कालीन कई सरकारें आई पर इसके लिए वन और पर्यावरणीय अनुमति पर किसी ने ध्यान नहीं दिया।

श्री साय ने इस पर ध्यान केंद्रित किया और परियोजना की पर्यावरणीय अनुमति के लिए केंद्र सरकार स्तर पर प्रयास शुरू किए। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने इस परियोजना के महत्व को समझ कर इसको पूरा करने के लिए वन और पर्यावरणीय स्वीकृति दे दी। तथा इस परियोजना का काम पूरा होने का रास्ता खुल गया। इस परियोजना में नहर प्रणाली का लगभग 85 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। बनाई जाने वाली सात माइनर और दो सब माइनर नहरें बनकर तैयार है और 114 विभिन्न संरचनाओं का काम भी पूरा हो गया है। इसी तरह घुनघुट्टी नाले पर भी बांध का निर्माण कार्य आधा हो चुका है। इस परियोजना के कैचमेंट एरिया में 175 हेक्टेयर वन भूमि आएगी। परियोजना के पूरा होने पर क्षेत्र के लगभग 10 गाँवों के पाँच हज़ार किसानों को 1560 हेक्टेयर (लगभग चार हज़ार एकड़) रकबे में लगी फ़सलों के लिए सिंचाई का पानी मिल सकेगा। सरकार ने इसके कामों को पूरा करने के लिए अब 85 करोड़ रुपए मंजूर किए है।

 


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