गरियाबंद

राजिम कुंभ कल्प को आगे बढ़ाने का दायित्व छत्तीसगढिय़ों का है - गुरू मां सुमिरन माई
25-Feb-2025 3:06 PM
राजिम कुंभ कल्प को आगे बढ़ाने का दायित्व छत्तीसगढिय़ों का है - गुरू मां सुमिरन माई

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
राजिम , 25 फरवरी।
राजिम कुंभ कल्प में भैरवी धाम खैरा राजनांदगांव से अपनी शिष्याओं के साथ पधारी गुरु मां सुमिरन माई ने अपने अनुभव साझा करते हुए बताया कि राजिम कल्प कुंभ में आकर मुझे काफी अच्छा लग रहा है। मुझे पहली बार इस राजिम कल्प कुंभ में आने का अवसर प्राप्त हुआ। शासन द्वारा यहां पर संतो के लिए बहुत अच्छी व्यवस्था की गई है।

संत समागम स्थल को संतो के गरिमा के अनुरूप बहुत ही व्यवस्थित ढंग से सजाया और बसाया गया है। यहां आकर मै बहुत ही अभिभूत हूं। देश के विभिन्न स्थानों से साधु-संत यहां पहुंचे हुए है। जिससे यहां के वातावरण की धार्मिक, आध्यात्मिक और श्रद्धा भक्ति के महत्व को बढ़ाया   है। राजिम धार्मिक, अध्यात्मिक और त्रिवेणी संगम के नाम से काफी प्रसिद्ध है। भगवान राजीव लोचन और कुलेश्वर नाथ की नगरी में आना मेरा सौभाग्य है।

अपने पंथ के बारे मे बताते हुए कहा हम महेश कुल के अशल पाठ संप्रदाय से आते है। भगवान शिव हमारे अराध्य है और हम जप, तप, हवन और साधना के माध्यम से शिव की अराधना करते है। उन्होंने आगे बताया कि मां पार्वती मेरी आराध्य है और दंतेश्वरी माई मेरी प्राण है। मेरा एक ही लक्ष्य है कि मैं छत्तीसगढ़ी संस्कृति और परम्परा को आगें बढाऊं। सुमिरन माई ने बताया कि उन्होंने मोहला के रहने वाले जगदीश बाबा से दीक्षा ली हैं। उनको राजमाडिय़ा की उपाधि प्राप्त हैं। पूजा पद्धति के बारे में बताते हुए उन्होंने पूजा की तीन पद्धतियां सात्विक, तामशिक और राजबिंक बताई। जिससे साधक ईश्वर प्राप्ति का लक्ष्य प्राप्त कर सकता है। राजिम सहित पूरे छत्तीसगढ के अपना संदेश देते हुए लोगों से आह्वान किया कि छत्तीसगढ़ के समस्त लोग राजिम के कुंभ कल्प में जरूर आए और साधु-संतो की संगत में बैठे। राजिम कुंभ कल्प को आगे बढाने और सफल करने का दायित्व पूर्ण जिम्मेदारी और कर्तव्य छत्तीसगढिय़ों का है।
 


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