गरियाबंद

संत सम्मेलन में गूंजा विश्व शांति का जयघोष
25-Feb-2025 2:49 PM
संत सम्मेलन में गूंजा विश्व शांति का जयघोष

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

नवापारा राजिम, 25 फरवरी। महाशिवरात्रि के अवसर पर प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय द्वारा ‘श्रेष्ठाचारी श्रेष्ठ पवित्र समाज की स्थापना में आध्यात्म की भूमिका’ विषय पर संत सम्मेलन का आयोजन किया गया। त्याग, तपस्या ,सेवा की पवित्र भूमि राजिम क्षेत्र प्रभु के जयघोष से गूंज उठा। नवापारा स्थित ओम शांति कॉलोनी ब्रह्माकुमारी आश्रम पर आयोजित सन्त सम्मेलन में देशभर से पधारे साधु संतों ने शिरकत की।

कार्यक्रम का शुभारंभ शिव ध्वज फहराने के साथ हुआ। स्वागत भाषण राजिम केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी पुष्पा दीदी ने दिया। उन्होंने कहा कि हर वर्ष हमारे छत्तीसगढ़ सरकार बहुत सुंदर राजिम मेले का आयोजन करती है। मेला अर्थात मिलन करना,तो इस मेले में डेढ़ भर के संत महात्मा इस प्रयागराज की धरती पर मिलते हैं। यह भी परमात्मा का कार्य है। जैसे पिता अपने पुत्रों को घर बुलाता है,और पिता पुत्र मिलकर खुश होते हैं। मैं भी परमात्मा शिव के इस घर में, संगम की इस धरती आप सभी सन्तों का स्वागत करती हूँ।

शिक्षा के साथ आध्यात्मिक शिक्षा भी आवश्यक- ब्रह्माकुमारी भारती बहन

कटनी से पधारी ब्रह्माकुमारी भारती बहन ने मुख्य वक्तव्य देते हुए श्रेष्ठाचारी समाज के लिए अध्यात्म की भूमिका पर प्रकाश डाला।

जैसी हमारी चेतना, वैसा हमारा चित्त- ब्रह्माकुमार नारायण भाई

धार्मिक प्रभाग के जोनल कॉर्डिनेटर नारायण भाई ने कहा कि आप सब महान आत्माएं सभा में बैठे हैं। जैसी हमारी चेतना होती है, वैसा हमारा चित्त होता है। जब तक हमारे अंदर अध्यात्म होगा,उतना ही हमारी चेतना का प्रकाश विश्व मे फ पुरुष (आत्मा), वैसी प्रकति होती। इस अवसर पर आरती दीदी ने शिवरात्रि की शुभकामनाएं दी।

उन्होंने कहा कि  परमात्मा का जन्मदिन शिव जयंती मनाई जाती हैं। परमात्मा का जन्मदिन हम बच्चो का भी जन्मदिन है। इस समय सब देवी देवता साधारण रूप में धरती पर अपना कार्य कर रहे हैं। प्रकति का उद्धार, पांच तत्वों का उद्धार,जीव आत्माओं का उद्धार परमात्मा आकर करते है।भगवताचार्य ज्ञानेश्वर जी महाराज ने आरम्भ में रामधुन सुनाई। ज्ञानेश्वर जी ने कहा कि राम जी प्राणों के प्राण हैं, सुखों के सुख हैं, आत्माओं के आत्मा हैं। हम सबका परम् सौभाग्य है कि ब्रह्माकुमारी आश्रम में हम सब अपने ही परिवारजनों के बीच उपस्थित हैं। एक आदमी ने मुझसे पूछा है, हम अमेरिका जा रहे कितना खर्च आएगा। हमने कहा कुछ नहीं। सोचने में क्या खर्चा? लेकिन लोग सोचने में भी कंजूसी करते हैं। हमारी शांति हमारे भीतर ही है। हम बाहर ढूंढते हैं, ये अच्छी बात नहीं। हम सबको अपना विक्रम संवत याद रखना चाहिए।

 हमें अपना जन्मदिन तिथियों में मनाएं। किसी की ताकत नहीं इतने सारे महापुरुषों को, सन्त-महात्माओं को कोई एक साथ अपने घर बुला ले।

सन्त भी भगवदकृपा से मिलते हैं। जब हम सन्तों को ढूंढने जाएं,उनकी सेवा करें तो हमारा पुण्य उदय हुआ है और सन्त स्वयम आ जाये तो समझना कि परमात्मा की कृपा हुई है। इस अवसर पर संत सुमिरन माई,अनंतानंद जी महाराज,साध्वी प्रज्ञा भारती,चंद्रशेखर महाराज,त्रिवेंद्रानंद महाराज महराज ने अपना आशीर्वचन दिया। कार्यक्रम का संचालन बिलासपुर से ब्रह्माकुमारी राखी बहन ने किया। सन्त सम्मेलन में साधु संत व महात्माओं ने ब्रह्मा भोजन किया। सन्त सम्मेलन का आयोजन प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय के तत्वावधान में प्रतिवर्ष किया जाता है।


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