गरियाबंद

चार भाषाओं में प्रकाशित होगी राजमाता राजिम की जीवनी
01-Jan-2024 3:08 PM
चार भाषाओं में प्रकाशित होगी राजमाता राजिम की जीवनी

साहित्यिक संगोष्ठी में हुआ गहन मंथन

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

राजिम, 1 जनवरी। साहू छात्रावास राजिमधाम में राजिम भक्तिन माता समिति के संयोजन में साहित्यिक संगोष्ठी का आयोजन हुआ। संगोष्ठी में राजिम के अलावा रायपुर, महासमुन्द, गरियाबंद, कोरबा से विद्वतजन पहुंचे थे। राजमाता राजिम की जीवनी और महात्म्य पर करीब चार घंटे तक मैराथन मंथन हुआ। राजिम माता की जीवनी, जन्म कुंडली, जन्म से समाधि तक जीवन लीला पर विद्वानों ने प्रकाश डाला।

साहू समाज के वरिष्ठ चिंतक डॉ. सुखदेव साहू सरस सभापति थे। मुख्य वक्ता प्रो. घनाराम साहू थे। अतिथि वक्ताओं में पंडित घनश्याम साहू, आनंदराम पत्रकार, डॉ. महेंद्र साहू, लोकनाथ साहू, समिति के अध्यक्ष लालाराम साहू थे। साहित्यिक संगोष्ठी की शुरुआत राजमाता राजिम की पूजा-अर्चना और वंदना से हुई। साहू संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष भुनेश्वर साहू ने प्रस्तावना प्रस्तुत करते हुए कहा कि जिस तरह से दूर-दूर से विद्वानों का आगमन हुआ है यह संगोष्ठी निश्चय ही मील का पत्थर साबित होगी।

राजमाता राजिम की जीवनी को पाठ्य पुस्तक में शामिल करने और नई पीढ़ी को गौरवशाली इतिहास से परिचित कराने पर जोर दिया गया। कार्यक्रम में श्रवण कुमार साहू, लोकनाथ साहू, मोहन लाल मानिकपन, मकसूदन साहू, रोहित कुमार साहू, पवन कुमार गुरुपंच, भोलेराम साहू, डॉ. रमेश कुमार सोनसायटी आदि प्रमुख प्रतिभागी रहे। इसके अलावा भुनेश्वर साहू, बाला राम साहू, लाला राम साहू, डॉ. महेंद्र साहू, रामकुमार साहू व अन्य मौजूद थे। राजिम।

साहित्यिक संगोष्ठी में कई विषयों पर चर्चा की। वहीं साहित्यकारों का सम्मान भी हुआ। मुख्य वक्ता घनाराम साहू ने राजिम माता की जीवनी को शरारती तत्वों द्वारा तोड़ मरोड़ कर लिखे जाने पर विस्तार से जानकारी दी गई। उन्होंने राजिम भक्तिन माता महात्म्य को पाठ्यपुस्तक में शामिल किए जाने के लिए आवश्यक तथ्यों की जानकारी दी। वर्ष 1825 से अब तक करीब 200 साल के इतिहास के अध्ययन पर आधारित विभिन्न पहलुओं को रेखांकित किया। उन्होंने श्री संगम राजिम की महत्ता पर प्रकाशित विभिन्न ग्रंथों के सार से अवगत कराया।

सभापति की आसंदी से डॉ. सुखदेव राम साहू सरस ने कहा कि उपलब्ध लिखित तथ्यों की कमी नहीं है। करीब दो सौ साल का राजिम का लिखित तथ्य उपलब्ध है। इन तथ्यों का ईमानदारी से दस्तावेजीकरण हो। गहन चिंतन करने की आवश्यकता है।


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