संपादकीय
भारत के अलग-अलग शहरों में महिलाओं की सुरक्षा, और उन पर खतरों को लेकर बनने वाली एक सालाना रिपोर्ट में कोहिमा, विशाखापट्टनम, भुवनेश्वर, आइजोल, गंगटोक, ईटानगर, और मुम्बई को सबसे सुरक्षित माना गया है। दूसरी तरफ पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, कोलकाता, श्रीनगर, और रांची को सबसे ही असुरक्षित माना गया है। ये आंकड़े अभी दो दिन पहले जारी 2025 के एक सर्वे पर आधारित हैं जिनमें 31 शहरों का सर्वे किया गया था। यहां पर महिलाओं से बात करके यह पूछा गया था कि वे इन शहरों में अपने आपको कितना महफूज महसूस करती हैं। यह सर्वे राष्ट्रीय महिला आयोग ने जारी किया है, और कुछ विश्वविद्यालयों, और कुछ संगठनों ने मिलकर इसे पूरा किया है। सर्वे के कुछ और आंकड़ों को देखें, तो 24 बरस से कम उम्र की महिलाएं सबसे अधिक खतरे में हैं, और इस आयु वर्ग 14 फीसदी ने किसी न किसी तरह का शोषण बताया है। ऐसी घटनाओं पर महिलाओं की प्रतिक्रिया भी समझने की जरूरत है, 28 फीसदी महिलाओं ने हमलावर, या शोषण करने वाले का सामना किया, 25 फीसदी घटनास्थल को छोडक़र चली गईं, 21 फीसदी ने भीड़ के बीच जाकर अपनी सुरक्षा की, और 20 फीसदी ने पुलिस या अधिकारियों तक इसकी शिकायत की। शिकायत करने वाली महिलाओं में से कुल एक चौथाई को यह भरोसा है कि उनकी शिकायत पर कार्रवाई होगी। महिलाओं में से आधी से अधिक को इस बात की पक्की जानकारी नहीं है कि उनके कामकाज की जगह पर यौन शोषण के खिलाफ कोई नीति लागू है, या नहीं। ऐसे और भी बहुत से आंकड़े इस सर्वे से सामने आए हैं, और अलग-अलग प्रदेशों या शहरों को, या विश्वविद्यालय जैसे संस्थानों को अपने-अपने इलाकों के बारे में अधिक खुलासे से समझना चाहिए, और कुछ करना चाहिए।
महिलाएं जहां अपने आपको सबसे अधिक असुरक्षित पाती हैं, उनमें दो शहर ध्यान खींचते हैं, जयपुर, और दिल्ली। भारत आने वाले विदेशी पर्यटकों में से शायद आधे ऐसे रहते हैं जो भारत के एक पर्यटन गोल्डन ट्रैंगल को घूमकर वापिस चले जाते हैं। दिल्ली, आगरा, और जयपुर, ये तीनों शहर सडक़, ट्रेन, और प्लेन से बहुत अच्छे से जुड़े हुए हैं, इनके बीच आवाजाही में बड़ा कम समय लगता है, और तीनों ही शहरों में पर्यटकों के हिसाब से रहने, घूमने-खाने का इंतजाम अंतरराष्ट्रीय स्तर का है। फिर इन तीन जगहों पर पर्यटक इतिहास, हस्तकला, खानपान की विविधता, और भारत के इतिहास के पिछले कई सौ बरसों की झलक पाते हैं, और सीमित बजट में, सीमित समय के लिए भारत आने वाले पर्यटकों के लिए इतना काफी भी होता है। इन तीनों में से किसी भी शहर जाएं, वहां चेहरे-मोहरे, और पोशाक से विदेशी दिखने वाले सैलानियों की भीड़ दिखती है। अब अगर भारत आकर इसी त्रिकोण से होकर अगर करीब आधे, या उससे अधिक सैलानी लौट जाते हैं, तो यह जाहिर है कि वे इन तीन में से दो शहरों, दिल्ली, और जयपुर को महिलाओं के लिए असुरक्षित देखकर लौटते हैं। हर कुछ दिनों में किसी गोरी -विदेशी पर्यटक महिला का ऐसा वीडियो सामने आता है जिसे घेरकर हिन्दुस्तानी उसके साथ बलपूर्वक सेल्फी ले रहे हैं, या उसे होली के रंग लगा रहे हैं, और कुछ मामलों में उसे दबोच भी रहे हैं। पर्यटकों और शोहदों-मवालियों की ऐसी भीड़ बताती है कि ये कोई प्रमुख पर्यटन केन्द्र ही है, और अधिक संभावना इस बात की है कि सबसे बुरे सात शहरों में ये भी शामिल हों। लगे हाथों दो और शहरों की चर्चा जरूरी है जहां पर्यटक बड़ी संख्या में जाते हैं, और ये दो शहर भी महिलाएं असुरक्षित पाती हैं, कोलकाता, और श्रीनगर भी इसी दर्जे में हैं।
अभी कुछ अरसा पहले जब अमरीकी सरकार ने भारत आने वाले अपने नागरिकों को यह नसीहत जारी की थी कि भारत में महिलाएं कई प्रदेशों में अकेले सफर न करें, उन पर कई तरह के यौन हमले होने का खतरा रहता है, तो उसे ट्रम्प की नाराजगी से जोडक़र देखा गया था। लेकिन न सिर्फ अमरीका बल्कि योरप के कई देश भी ऐसी एक सावधानी अपने नागरिकों को भारत के बारे में जारी कर चुके हैं, करते रहते हैं कि यहां महिलाओं पर खतरा रहता है। और इस बात में कोई दुर्भावना भी नहीं है। न केवल विदेशी महिलाओं को, बल्कि देशी महिलाओं को भी तरह-तरह के शोषण झेलने पड़ते हैं, और सीमित समय के लिए भारत आने वाली महिलाओं से यह उम्मीद नहीं की जा सकती कि वे अपने हर बुरे तजुर्बे की शिकायत पुलिस तक करें। ऐसा करने पर उन्हें गिने-चुने दिनों में से दो-चार दिन इसी पर बर्बाद करने होंगे, और ऐसा तो देश के भीतर भारतीय पर्यटक भी करना नहीं चाहते। नतीजा यह होता है कि छेड़छाड़ या शोषण करने वाले अधिकतर लोगों को अपने बच जाने का भरोसा रहता है, और वे यह सिलसिला जारी रखते हैं।
भारत के किसी शहर या प्रदेश में जाने वाले विदेशी पर्यटकों को हर बार अपनी सरकार की सलाह या चेतावनी की जरूरत नहीं पड़ती। किसी प्रदेश के अखबारों को एक नजर देख लिया जाए, या इंटरनेट पर खबरों को ढूंढ लिया जाए, तो भी आसानी से पता लग जाता है कि किस शहर, या प्रदेश में महिलाओं के खिलाफ कितने जुर्म हो रहे हैं। अब तो जो एआई औजार हैं, वे खबरों, और इंटरनेट पर मौजूद जानकारी का विश्लेषण करके भी बता देते हैं कि किन शहरों, और इलाकों में महिलाओं पर कितने हमले होते हैं। यह नौबत बताती है कि भारत की पर्यटक-संभावनाएं महिलाओं के शोषण की वजह से भी बुरी तरह मार खाती हैं, और देश के भीतर भी अकेली महिला अधिक जगहों पर अपने को सुरक्षित महसूस नहीं करतीं, यानी अकेली महिला सैलानी या तो कम निकलती हैं, या सीमित जगहों पर ही जाती हैं।
इस ताजा सर्वे की लिस्ट को देखना कुछ और परेशान करता है। जिन सात शहरों को महिलाएं सबसे सुरक्षित पाती हैं, उनमें हिन्दी प्रदेश, या उत्तर भारत की कोई जगह नहीं है। सात में से तीन जगहें, कोहिमा, आइजोल, गंगटोक, और ईटानगर तो उत्तर-पूर्व की हैं, और बाकी तीन शहर, विशाखापट्टनम, भुवनेश्वर, और मुम्बई भी गैरहिन्दीभाषी हैं, उत्तर भारत के बाहर के हैं। सर्वे में जिन सात शहरों को सबसे असुरक्षित पाया गया है उसमें से पांच तो सीधे-सीधे हिन्दी-भारत के हैं, पटना, जयपुर, फरीदाबाद, दिल्ली, और रांची। बचे दो शहर कोलकाता और श्रीनगर हैं। देश में हिन्दी राज्य कहे जाने वाले यूपी, बिहार, एमपी, राजस्थान, छत्तीसगढ़, झारखंड, उत्तराखंड, हरियाणा, हिमाचल, और दिल्ली में देश की आधी आबादी, करीब 70 करोड़ लोग बसते हैं। यह कैसी शर्मिंदगी की बात है कि सात सबसे सुरक्षित महसूस किए जाने वाले शहरों में से एक भी इस आधी आबादी में नहीं हैं। पर्यटन का ढांचा बना देना ही सब कुछ नहीं होता, लोगों को सुरक्षा देना भी बहुत कुछ होता है, और ऐसा नहीं हो सकता कि लोग सिर्फ पर्यटक महिलाओं को सुरक्षा दें, और सिर्फ स्थानीय महिलाओं पर यौन हमले करें। यौन हमलावर सिर्फ औरत और मर्द का फर्क करते हैं, देशी और विदेशी का नहीं। हर प्रदेश को अपनी पर्यटन संभावनाओं को बढ़ाने की कोशिश करने के साथ-साथ महिलाओं के खिलाफ जुर्म पर काबू भी करना चाहिए, उसके बिना कभी पूरी संभावनाएं हासिल नहीं हो सकेंगी। (क्लिक करें : सुनील कुमार के ब्लॉग का हॉट लिंक)


