संपादकीय

छत्तीसगढ़ में हफ्ते भर पहले अग्निवीर भर्ती की दौड़ में हिस्सा ले रहे एक बेरोजगार नौजवान की मौत हो गई थी। उस पर मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय की ओर से दस लाख रूपए मुआवजे की घोषणा हुई थी। यह तेजी से शायद इसलिए भी हो पाया था कि राज्य के वित्तमंत्री ओ.पी.चौधरी के विधानसभा क्षेत्र रायगढ़ में यह घटना हुई थी। इसके बाद पिछले पांच-छह दिनों में दो अलग-अलग जगहों पर वनरक्षक भर्ती की शारीरिक परीक्षा के लिए दौड़ते हुए बेरोजगारों में से दो की मौत हुई। मुख्यमंत्री ने इनके लिए भी दस-दस लाख रूपए की राहत घोषित की है। टैक्स देने वाले लोगों को यह रकम बड़ी लग सकती है, लेकिन इस बात को समझने की जरूरत है कि अगर एक बेरोजगार शर्तों को पूरा करते हुए एक नौकरी पाने के लिए मुकाबले में शामिल हुआ था, और इसी दौरान उसकी मौत हुई थी, तो उसके परिवार का ऐसे किसी मुआवजे या राहत का हक तो बनता है। और यह बात भी ठीक है कि चाहे देश में चर्चित अग्निवीर के लिए भर्ती हो, या प्रदेश के वनरक्षक के लिए, या प्रदेश में पुलिस भर्ती के लिए हो, अगर मुकाबले के दौरान बेरोजगार के साथ ऐसा हादसा होता है तो सरकार को उसके परिवार को मदद करनी चाहिए। हमारा ख्याल है कि राज्य को ऐसा एक पैमाना तय कर देना चाहिए कि भर्ती के दौरान ऐसा तकलीफदेह हादसा सामने आने पर बिना किसी अतिरिक्त मंजूरी के सरकार परिवार के साथ खड़ी रहे।
बहुत से नौजवान ऐसे मुकाबलों के लायक शारीरिक रूप से चुस्त नहीं रहते हैं, इतने दौडऩे की आदत नहीं रहती है, और कभी-कभी ऐसी मौतें सुनाई पड़ती हैं। सरकार या सेना, जो भी भर्ती कर रहे हों, उन्हें बहुत लंबी दौड़ करवाने के पहले कुछ छोटी दौड़ करवाकर लोगों की क्षमता बढ़वाने की कोशिश भी करनी चाहिए, ताकि ऐसे हादसे कम हो सकें। जिस तरह कई प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए सरकारें कोचिंग और प्रशिक्षण का इंतजाम करती हैं, ऐसे कड़े शारीरिक मुकाबले के लिए भी सरकार को अलग-अलग शहरों में खिलाडिय़ों, या खेल शिक्षकों की अगुवाई में ऐसी तैयारी करवानी चाहिए। कुछ बड़े शहरों में कुछ कोचिंग सेंटर ऐसे शारीरिक इम्तिहानों के लिए नौजवानों को तैयार करवाते दिखते भी हैं, लेकिन जो लोग उनकी फीस न उठा सकें, उनके लिए भी सरकार या खेल संगठनों को क्षमता विकास की कोशिश करनी चाहिए।