दुर्ग
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुम्हारी, 26 नवंबर। श्री रावतपुरा सरकार इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ार्मेसी (एसआरआईपी) में एएनआरएफ द्वारा प्रायोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का सफल आयोजन 21-22 नवंबर को किया गया। कार्यक्रम का नेतृत्व संस्थान के निदेशक एवं प्राचार्य प्रो. एस. प्रकाश राव ने किया। जो इस संगोष्ठी के आयोजन सचिव भी रहे, जबकि डॉ. तिलोतमा साहू ने संयोजक एवं सुश्री आस्था वर्मा ने सह-संयोजक के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
एएनआरएफ द्वारा प्रायोजित इस प्रतिष्ठित शैक्षणिक कार्यक्रम को एसआरआईपी तक लाने में महत्वपूर्ण योगदान के लिए डॉ. तिलोतमा साहू को विशेष धन्यवाद प्रदान किया गया। संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में मुख्य अतिथि के रूप में प्रो. एस. दहरवाल, निदेशक, यूनिवर्सिटी इंस्टीट्यूट ऑफ फ़ार्मेसी, पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुर उपस्थित रहे। अपने प्रेरणादायक उद्बोधन में उन्होंने आधुनिक फार्माकोलॉजी में नैनो टेक्नोलॉजी की परिवर्तनीय क्षमता और लक्षित उपचार विकसित करने में इसकी बढ़ती भूमिका पर प्रकाश डाला।
पहला सत्र प्रो. शेखर वर्मा, गुरु घासीदास विश्वविद्यालय, बिलासपुर द्वारा प्रस्तुत किया गया।“Tiny Tech, Big Impact: Nanoparticles in Pharmaceuticals”विषय पर उनके व्याख्यान में नैनो कणों द्वारा दवा की घुलनशीलता, जैव उपलब्धता और लक्षित डिलीवरी में होने वाले सुधारों पर विस्तार से चर्चा की गई। दूसरे सत्र में डॉ. बीना गिडवानी ने नैनो टेक्नोलॉजी द्वारा प्रिसीजन मेडिसिन को कैसे नई दिशा मिल रही है और किस प्रकार आनुवंशिक एवं आणविक प्रोफ़ाइल के आधार पर व्यक्तिगत उपचार संभव हो रहा है, इस पर महत्वपूर्ण जानकारी साझा की।
इसके बाद डॉ. अजाज़ुद्दीन, रजिस्ट्रार एवं एक्जीक्यूटिव डायरेक्टर (आर एंड डी ), रुंगटा इंटरनेशनल स्किल्स यूनिवर्सिटी, भिलाई ने drug–polymer conjugates पर विस्तृत व्याख्यान दिया। उन्होंने इनके माध्यम से दवाओं की स्थिरता, फार्माकोकाइनेटिक्स और लक्षित डिलीवरी में होने वाले लाभों को रेखांकित किया।
संगोष्ठी का अंतिम सत्र डॉ. मंवेन्द्र सिंह करछुली, सीनियर मैनेजर, प्रीक्लिनिकल एवं टॉक्सिकोलॉजी, बैक्सटर (अहमदाबाद) द्वारा लिया गया। उन्होंने नैनोमेडिसिन की विषाक्तता मूल्यांकन पर प्रकाश डालते हुए सुरक्षा परीक्षण की अनिवार्यता एवं क्लिनिकल अनुप्रयोग में इसकी महत्वपूर्ण भूमिका पर जोर दिया।
दो दिवसीय इस कार्यक्रम में संकाय सदस्यों, शोधकर्ताओं एवं विद्यार्थियों ने उत्साहपूर्वक भाग लिया। संगोष्ठी ने नैनोमेडिसिन, प्रिसीजन थेरेपी और उन्नत दवा वितरण प्रणाली के क्षेत्र में शोध एवं नवाचार को प्रोत्साहित करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम साबित किया।


