दुर्ग

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
उतई, 13 सितंबर। विश्व आत्महत्या निवारण दिवस के अवसर पर प्रिज्म प्रा. आई.टी.आई.महका खुर्द, उतई में एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इस आयोजन का उद्देश्य आत्महत्या जैसे गंभीर सामाजिक और मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े मुद्दे को समझना तथा इसके प्रति छात्रों एवं स्टाफ को संवेदनशील बनाना था।
इस कार्यक्रम में आई.टी.आई. के प्राचार्य ललित कुमार साहू, बी.एड. विभाग की डॉ. अंजना शरद मैम ,रेखा मैम और स्वप्निल मैम की गरिमामयी उपस्थिति रही।
कार्यक्रम की शुरुआत शिवानी मैम द्वारा प्रस्तुत पावरपॉइंट प्रेजेंटेशन से हुई, जिसमें उन्होंने आत्महत्या से जुड़ी प्रमुख मानसिक स्थितियाँ जैसे डिप्रेशन, अकेलापन, सामाजिक दबाव और चिंता को विस्तार से समझाया। उन्होंने आत्महत्या के चेतावनी संकेतों को पहचानने, सही समय पर सहायता प्राप्त करने और परामर्श की आवश्यकता पर जोर दिया।
निधि यदु ने संवेदनशील और प्रेरणादायक भाषण से युवाओं के मानसिक संघर्षों को उजागर किया। उन्होंने कहा कि आज की युवा पीढ़ी कई प्रकार के सामाजिक और व्यक्तिगत दबावों का सामना कर रही है, जिसमें उन्हें सही मार्गदर्शन और भावनात्मक सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी बताया कि किसी समस्या का हल आत्महत्या नहीं, बल्कि संवाद और सहयोग से निकलता है। उन्होंने छात्रों को अपनी भावनाओं को खुलकर साझा करने और जरूरत पडऩे पर मदद लेने की प्रेरणा दी।
डॉ. अंजना शरद ने मानसिक स्वास्थ्य को शारीरिक स्वास्थ्य जितना ही महत्वपूर्ण बताया। उन्होंने कहा कि हम किसी के टूटे हाथ को तो तुरंत देख लेते हैं, पर टूटे हुए मन को नहीं देख पाते। उन्होंने विद्यार्थियों से अपील की कि वे अपने भीतर की भावनाओं को दबाएं नहीं, बल्कि अपने माता-पिता, शिक्षक या मित्रों से बात करें। उन्होंने यह भी बताया कि मानसिक समस्या कोई शर्म की बात नहीं है, और हर किसी को इसका समर्थन करना चाहिए।
स्वप्निल जना ने आत्महत्या को एक स्थायी समाधान के रूप में नहीं देखने की चेतावनी दी। उन्होंने अपने भाषण में कहा कि हर अंधेरी रात के बाद एक उजाला होता है। जीवन में चाहे कितनी भी समस्याएं आएं, हमें कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने छात्रों को अपने भीतर आत्मविश्वास जगाने, सकारात्मक सोच अपनाने और खुद पर विश्वास रखने का संदेश दिया। साथ ही, उन्होंने संस्थान द्वारा उपलब्ध कराए जा रहे परामर्श संसाधनों की जानकारी भी दी।
इस आयोजन ने छात्रों, फैकल्टी और अन्य उपस्थितजनों के मन में मानसिक स्वास्थ्य के प्रति संवेदनशीलता और समझ को बढ़ावा दिया। कार्यक्रम का समापन धन्यवाद ज्ञापन के साथ हुआ, जिसमें सभी अतिथियों, शिक्षकों और विद्यार्थियों का आभार व्यक्त किया गया।