दुर्ग

महावीर अग्रवाल हमारी पीढ़ी के साहित्यिक अभिभावक रहे हैं-कैलाश बनवासी
26-Aug-2025 7:25 PM
महावीर अग्रवाल हमारी पीढ़ी के साहित्यिक अभिभावक रहे हैं-कैलाश बनवासी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दुर्ग, 26 अगस्त। अच्छे जीवन का रास्ता अच्छी पुस्तकों और पत्र-पत्रिकाओं से होकर गुजरता है। देश के वरिष्ठ साहित्यकार महावीर अग्रवाल द्वारा प्रदत्त चार सौ पुस्तकों एवं 3500 सौ पत्र-पत्रिकाओं में पिछले 50 वर्षों का ज्ञान संचित है। ये सामग्रियां आज के लिए ही नहीं बल्कि भविष्य के विद्यार्थियों और शोधार्थियों के लिए बहुमूल्य निधि है। ये पुस्तकें जितने खुले मन से हमें प्रदान की गई उतनी ही आत्मीयता के साथ हमने इसे स्वीकार किया है। हम इसे संरक्षित भी रखेगें। शोध स्रोत की दृष्टि से दुर्ग संभाग में कोई भी हिन्दी शोध केन्द्र इतना समृद्ध नहीं है।

उक्त विचार शासकीय दानवीर तुलाराम स्नातकोत्तर महाविद्यालय, उतई के प्राचार्य डॉ. राजेश पांडे ने महाविद्यालय में महावीर अग्रवाल एवं डॉ. कोमल सिंह शार्वां व्यक्तित्व एवं कृतित्व विषय पर आयोजित एक दिवसीय शोध संगोष्ठी एवं सम्मान समारोह में अध्यक्षीय वक्तव्य देते हुए व्यक्त किया। इस अवसर पर महावीर अग्रवाल ने कहा कि पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं की उपयोगिता उसके पढ़े जाने में है। मुझे संतोष है कि ये सामग्रियाँ वर्तमान और भविष्य में भी शोधार्थियों के ज्ञान की वृद्धि में सहायक होगी। अचंल के प्रसिद्ध कथाकार कैलाश वनवासी ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हमारी पीढ़ी के साहित्यकारों के व्यक्तित्व का विकास महावीर की छत्रछाया में हुआ हम उनकी साहित्यिक पाठशाला से निकले हुए लोग हैं। वे हम सब के साहित्यिक अभिभावक रहें है।

उन्होंने सिर्फ साहित्य सृजन ही नहीं किया बल्कि साहित्यकारों को गढऩे का भी कार्य किया। महावीर अग्रवाल की सुपुत्री गरिमा अग्रवाल ने कहा कि जब से हमने होशा संभाला है, तब से घर में पुस्तकें ही पुस्तकें देखी है। श्रीप्रकाशन एवं सापेक्ष का सम्पादन इनके लिए एक साधना की तरह रहा है, जिसमें हमारी माँ संतोष अग्रवाल ने भी भरपूर सहयोग किया। देश के चर्चित कथाकार परदेशी राम वर्मा ने कहा महावीर अग्रवाल के साथ हमारा 50 वर्षों का साथ है। इनका कोई भी कार्य छोटा नहीं है, जो भी करते हैं लीक से हटकर और बड़ा करते हैं। इन्होंने अपनी साधना से ज्ञान के आयुध का निर्माण किया है। वे किसी से दबते नहीं हैं।

इन्होंने बड़े से बड़े साहित्यकारों का साक्षात्कार लिया और हमेशा दूसरों को बड़ा बनाने का कार्य किया। अचंल के वरिष्ठ कवि रवि श्रीवास्तव ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा महावीर अग्रवाल जिस भी संस्था में रहे, वहां अपनी छाप छोड़ी। इनके साथ मैंने बहुत ही सुखद एवं जीवंत यात्रा की है, इनकी तमाम उपलब्धियों के पीछे इनकी धर्मपत्नी संतोष अग्रवाल का बहुत बड़ा योगदान है। उन्होंने जिस तरह से सापेक्ष का सम्पादन किया, वह अपने आप में एक उपलब्धि है। छत्तीसगढ़ में इतने लम्बे समय तक इतनी महत्वपूर्ण पत्रिका का किसी ने भी सम्पादन नहीं किया। डॉ. कोमल सिंह शार्वां के व्यक्तित्व पर प्रकाश डालते हुए कथाकार लोकबाबू ने कहा कि शार्वां से 5 दशकों का मेरा संबंध है। मेरे बस्तर-बस्तर उपन्यास लिखने में इनका बहुत बड़ा सहयोग रहा है। ये सरल, सहज एवं हसमुख व्यक्तित्व के धनी है। वे साहित्य के गंभीर अध्येता, समर्पित प्राध्यापक एवं विद्वान शोध निर्देशक रहे हैं। इनके निर्देशन में बहुत ही श्रेष्ठ शोध प्रबंध पर कार्य हुए है।

कार्यक्रम के अंत में महावीर अग्रवाल एवं कोमल सिंह शार्वां और महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. राजेश पांडे को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का संचालन हिन्दी विभाग की वरिष्ठ प्राध्यापक डॉ. रीता गुप्ता ने किया। स्वागत वक्तव्य विभागाध्यक्ष डॉ. सियाराम शर्मा ने दिया। हिन्दी विभाग की शोधार्थी पूर्णिमा साहू ने अतिथियों को धन्यवाद ज्ञापित किया। इस अवसर पर अचंल के वरिष्ठ साहित्यकार एवं अध्यापक सुधीर शर्मा, कमलेश चन्द्राकर, अंजन कुमार, अभिषेक पटेल, अम्बरीश त्रिपाठी, संजीव जैन, पत्रकार राजेन्द्र सोनबोईर एवं सुरेन्द्र शर्मा तथा हिन्दी शोध केन्द्र के सभी शोधार्थी, स्नातकोत्तर के विद्यार्थी उपस्थित थे। इस अवसर पर पुस्तकों एवं पत्र-पत्रिकाओं को सहेजने एवं व्यवस्थित करने के लिए विभाग के अतिथि प्राध्यापक जानकी चौधरी, सुषमा कौशिक, शोधार्थी एमन कुमार एवं ममता वर्मा को पुरस्कृत किया गया।


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