दुर्ग

दुर्ग, 5 अगस्त। चिटफंड कंपनियों के लुभावने वायदे, डबल रकम अदा करने, अधिक ब्याज के दिए गए लालच में फंसकर हजारों लोग बर्बाद हो चुके हैं। राज्य शासन द्वारा चिटफंड कंपनियों में जमा की गई रकम का पूर्ण विवरण जमा करने के मिले आदेश के बाद अब लोगों में एक उम्मीद की किरण जगी है और वे अपनी मेहनत की रकम वापसी को लेकर उम्मीद से कलेक्ट्रेट में आवेदन फार्म जमा कर रहे हैं। अपनी मेहनत की कमाई चिटफंड कंपनियों में जमा कराने वाले लंबी लाइन लगाकर अब रकम वापस मिलने की उम्मीद लगाए हैं। शासन के इस निर्णय से निवेशक राहत महसूस कर रहे हैं।
कुकुरमुत्ते की तरह उग आई चिटफंड कंपनियों, उनके एजेंटों द्वारा लोक लुभावने वायदे, सपने दिखाकर निवेशकों से लाखों, करोड़Þों रुपए की राशि जमा करवा ली गई। जमा कराते समय कंपनी द्वारा निवेशकों को बैंकों से अधिक ब्याज देने, रकम को कुछ ही वर्ष में डबल कर वापस देने आदि की बात कही गई। इसके एवज में कंपनियों द्वारा सर्टिफिकेट भी निवेशकों को दिए गए थे। परन्तु समय पूर्ण होने से पूर्व ही संचालकों द्वारा कंपनी बंद कर दी गई या फिर वे धोखाधड़ी के मामले में जेल निरूद्ध हो गए थे। ऐसे में निवेशकों की रकम डूब गई थी। वर्षों से कंपनियों, शासकीय दफ्तरों, थानों के चक्कर काट रहे निवेशकों को अब राज्य शासन द्वारा उठाए गए कदम से उम्मीद जागी है कि उनकी मेहनत से कमाई गई रकम मिल जाएगी। जमीन में रकम का इन्वेस्ट कर 7 साल 3 माह में रकम डबल कर वापस देने तथा प्रत्येक माह रकम पर 12 प्रतिशत ब्याज देने का लालच बांगड़ा ग्रुप ऑफ कंपनी भिलाई द्वारा दिया गया। जिसमें निवेशक घनाराम साहू ने 1 करोड़ 10 लाख रुपए जमा किए थे, परन्तु उन्हें रकम वापस नहीं मिल पाई। बोरसी कालोनी निवासी अशोक कुमार ने दो कंपनी में कुल 21 लाख रुपए जमा किए थे। इसी तरह राजू सोनी ने 2 लाख, भगवान दास ग्राम झीट निवासी ने 4 लाख, मुन्ना लाल ने साई प्रसाद कंपनी में 15 लाख इन्वेस्ट किए थे।