धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरूद, 26 फरवरी। इन दिनों सब्जी मंडी में हरी-भरी और ताजी सब्जियों की भरपूर आवक हो रही है। लेकिन भाव नहीं मिलने से सब्जी उत्पादक किसान दुखी हैं। बाजार लाकर 3 से 5 रुपये किलो में बेचने से मजदूरी नहीं निकल रही है। यही सोचकर किसान अब मेहनत और धन खर्च कर उपजाई फसल को जानवरों के हवाले कर रहे हैं।
गौरतलब है कि इन दिनों सब्जी मंडी में टमाटर, गोभी, बैगन, पत्ता गोभी, नवल गोल, लौकी जैसी सब्जियों की भरपूर आवक हो रही है। लेकिन उत्पादन और खपत में भारी अंतर होने के चलते उपरोक्त समाग्री थोक में 3 से 5 किलो बिक रही है। जिससे किसानों की लागत भी वसूल नहीं हो पा रही है। पिछले कुछ महीने से बाजार में छाई मंदी से निराश सब्जी उत्पादक किसान समझ नही पा रहे हैं कि इस स्थिति का सामना कैसे करें ?
वर्तमान दर पर बोवाई, तोड़ाई और ट्रांसफोटिग तक का खर्च पूरा नहीं पड़ रहा है। ऐसे में किसान अपने फार्म में ही सब्जियों को जानवर के हवाले कर रहे हैं।
भुसरेंगा में 25-30 एकड़ में सब्जियां उगाने वाले युवा कृषक हर्षवर्धन चन्द्राकर ने बताया कि पहले हम लोगों ने सोचा था कि प्रयागराज में लगने वाले महाकुंभ में छत्तीसगढ़ की सब्जियों की अच्छी डिमांड होगी, यही सोचकर हमने फसल लगाईं थी। लेकिन हमें उसका लाभ नहीं मिला। अन्य राज्यों की सब्जियां कुंभ में लोगों का निवाला बन रही है लेकिन हम यहाँ मेहनत से तैयार फसल को मवेशियों को खिलाने मजबूर हैं।
प्रदेश में बेभाव हुई सब्जी की वजह पुछने पर उन्होंने कहा कि मौसम की अनकुलता और बड़े रकबे में सब्जी फसल लेने और यहाँ के बाजारों में अन्य प्रदेशों से भी सब्जी आने से मांग और आपूर्ति का सिद्धांत गड़बडा़ गया है। इसलिए ऐसी स्थिति बनी है। इस दिशा में सरकार को पहल कर नुकसान उठा रहे किसानों को राहत देना चाहिए।