धमतरी

महीने भर बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें
14-Jul-2025 7:51 PM
महीने भर बाद भी स्कूलों में नहीं पहुंची किताबें

मासिक टेस्ट कैसे?

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 14 जुलाई। नया शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए करीब एक माह बीत गया, लेकिन शिक्षा विभाग अभी भी स्कूलों में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं करा सका है। जिससे शिक्षक और विद्यार्थियों के समक्ष गंभीर संकट खड़ा हो गया है कि वे बैगर पढ़े पढ़ाए कैसे मासिक परीक्षा लें और दें। जिम्मेदार शिक्षाधिकारी भी इस स्थिति को लेकर परेशान है, लेकिन समाधान के लिए वें भी उपर की ओर ताक रहे हैं।

 गौरतलब है कि कुरुद विकासखंड में 184 शासकीय प्रायमरी122 मिडिल एवं 52 हाई-हायर स्कूलें संचालित हो रही है। नया शिक्षण सत्र प्रारंभ हुए करीब एक माह बित गया, लेकिन शिक्षा विभाग अभी भी स्कूलों में पाठ्य पुस्तक उपलब्ध नहीं करा सका है। अभी तक कक्षा पहली के 4 में से 2 किताबें ही बंट सकी है। कक्षा दूसरी में 4 में 3, तीसरी में 6 में 5, चौंथी में 4 में 2 और पांचवी में 4 में से 3 किताब उपलब्ध कराया गया है। मिडिल स्कूल की हालत सबसे खराब है।

छठवीं का कोर्स इस बार बदल दिया गया है। लेकिन अब तक इसकी एक भी किताब स्कूल में नहीं पहुंची है। सातवीं की 7 में से 4, आठवीं में 8 में से मात्र 1 किताब ही विद्यार्थियों को दी गई है। हाई एवं हायर सेकेण्डरी स्कूल की हालत थोड़ी ठीक बताई गई है। लेकिन यहाँ भी गणित एवं समाजिक विज्ञान जैसे महत्वपूर्ण सब्जेक्ट की किताबें नहीं पहुचीं है। जिसके चलते विद्यार्थियों एवं शिक्षकों को पढऩे पढ़ाने में मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है। शिक्षक पुरानी किताबों के सहारे कुछ कक्षा और विषय की पढ़ाई करा रहे हैं।

चूंकि छठवीं का कोर्स इस साल बदल गया है उसकी किताबे न होने से शिक्षक पढ़ा नही पा रहे। लेकिन शिक्षा विभाग से मासिक टेस्ट कि सूचना आ गयी है। जब किताबें ही नहीं बच्चे टेस्ट क्या देंगे ? यहाँ पर यह बताना लाजमी होगा कि पाठ्य पुस्तक निगम ने इस वर्ष बार कोड के माध्यम से पुस्तक वितरण की व्यवस्था लागू की है।

जिससे नई मुश्किल पैदा हो गई है। स्केनिग करने में देरी, किसी पुस्तक में डबल तो किसी में बार कोड ही अंकित नहीं है। इसके लिए तैयार पोर्टल में गलत रिपोटिंग बता रहा है। जिससे संबंधित अधिकारी आन लाइन मानेटरिंग भी नहीं कर पा रहे हैं। इस संबंध में पूछे जाने पर बीईओ सीके साहू ने बताया कि निगम से हमें जितनी किताब मिली उसे स्कूलों में भेज दिया गया है। लंबित किताबों के लिए लगातार पत्राचार किया जा रहा है। जैसे ही किताबें आएगी तो उसे वांछित स्कूलों में भेज दिया जाएगा।


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