धमतरी

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 5 फरवरी। जिले में गर्मी में धान के बदले किसानों ने चना, सरसों, मूंग, अलसी, तोरिया, सूर्यमुखी समेत अन्य दलहन-तिलहन फसल लगाई है। जिले में गर्मी के धान के रकबे में 6 हजार 200 हेक्टेयर से अधिक की कमी आई है। रबी में 6 हजार 283 हेक्टेयर रकबे में दलहन-तिलहन फसल लगी है। जिला प्रशासन का दावा है कि इससे 7 हजार 539 करोड़ लीटर पानी बचाया है।
परसतराई गांव की किसान देवी साहू को जल संरक्षण के क्षेत्र में राष्ट्रीय पुरस्कार से भी नवाजा है। उन्होंने बताया कि धान की फसल को छोडक़र दलहन-तिलहन की फसलें लगाने से पानी की बचत तो हुई ही है, गांव का वाटर लेबल जो पहले लगभग 200 फीट नीचे तक पहुंच गया था, अब वापस 75 से 90 फीट तक आ गया है। इसी तरह खेतों की मिट्टी में भी सुधार हुआ है।
494 गांव में दलहन-तिलहन की फसलें
जिले के 494 गांवों में धान के बदले दलहन-तिलहन फसल लगाई है। धमतरी ब्लॉक के 87 गांवों में 1 हजार 440 हेक्टेयर रकबा, कुरूद ब्लॉक के 135 गांवों में 2 हजार 113 हेक्टेयर, मगरलोड ब्लॉक के 116 गांवों में 2 हजार 531 हेक्टेयर और नगरी ब्लॉक के 156 गांवों में 199 हेक्टेयर रकबे में गर्मी के धान के जगह दलहन-तिलहन फसलें लगाई हैं।
7 हजार 539 करोड़ लीटर पानी बचा
जिले में गर्मी में 30 हजार 339 हेक्टेयर रकबे में धान की खेती गई थी, जो कि इस वर्ष प्रशासन के प्रयास और किसानों की सहभागिता से 24 हजार 056 हेक्टेयर में धान बोया गया है। कृषि विशेषज्ञों ने अनुमान लगाया है कि ग्रीष्मकालीन धान के रकबे में 6 हजार 283 हेक्टयेर की कमी ने जिले के किसानों को 2 हजार 641 करोड़ रुपए का फायदा पहुंचाया है। लगभग 2.50 एकड़ रकबे में लगी धान की फसल के उत्पादन में 1 करोड़ 20 लाख लीटर पानी की जरूरत पड़ती है।
इतने ही रकबे में लगी दलहन-तिलहन की फसल को आधे से कम 40 लाख लीटर पानी की जरूरत होती है। इस तरह 6 हजार 283 हेक्टेयर की कमी ने जिले में 7 हजार 539 करोड़ लीटर पानी बचाया है।