धमतरी
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 31 अक्टूबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने रविवार को रायपुर स्थित अपने निवास कार्यालय में आयोजित वर्चुअल कार्यक्रम में प्रदेश के मेडिकल कॉलेजों और जिला अस्पतालों में स्थापित नवीन सिकल सेल प्रबंधन केंद्रों का उद्घाटन किया।
वर्चुअल कार्यक्रम के बाद जिला अस्पताल धमतरी के कक्ष क्रमांक-9 स्थित सिकल सेल प्रबंधन इकाई का कलेक्टर पीएस एल्मा की उपस्थिति में शुभारंभ किया गया। सिविल सर्जन सह मुख्य अस्पताल अधीक्षक अरुण टोंडर ने बताया कि जिला चिकित्सालय धमतरी में गर्भवती महिलाओं तथा अन्य 15 से 20 संभावितों का हर दिन सिकल सेल जांच किया जा रहा है। साथ ही जरूरत के मुताबिक पॉजिटिव मरीजों को दवाइयां और रक्त चढ़ाया जाता है। प्रबंधन इकाई शुरू होने से संभावित मरीज अपना पंजीयन, जांच, इलाज, दवा और परामर्श एक ही स्थान से प्राप्त कर सकेंगे। प्रशिक्षित विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा सिकल सेल के मरीजों को नि:शुल्क पंजीयन, जांच, इलाज और परामर्श दिया जाएगा।
11459 लोगों का स्क्रीनिंग
जिले में अप्रैल से सितंबर 2022 तक 11 हजार 459 संभावितों का स्क्रीनिंग किया गया है, जिसमें से 1 हजार 252 सिकल सेल पॉजिटिव पाए गए हैं। प्रबंधन इकाई के लिए पर्याप्त मात्रा में जांच किट, इलेक्ट्रोफोरोसिस मशीन तथा आवश्यकतानुसार दवाइयां उपलब्ध हैं। प्रशिक्षित विशेषज्ञ चिकित्सक द्वारा सिकल सेल के मरीजों को निशुल्क पंजीयन, जांच, इलाज और परामर्श दिया जाएगा। काउंसलर भी उपलब्ध रहेंगे। जांच और इलाज के बाद मरीजों की पूरी जानकारी तत्काल ऑनलाइन एंट्री की जाएगी।
क्या है यह सिकलसेल रोग
सिकलसेल एक अनुवांशिक बीमारी है। सामान्य रूप में हमारे शरीर में लाल रक्त कण प्लेट की तरह चपटे और गोल होते हैं। यह रक्त वाहिकाओं में आसानी से आवाजाही कर पाते हैं, लेकिन यदि जीन असामान्य हैं, तो इसके कारण लाल रक्त कण प्लेट की तरह गोल न होकर हंसियाकार रूप में दिखाई देते हैं। इस वजह से यह रक्त वाहिकाओं में ठीक तरह से आवागमन नहीं कर पाते हैं। जिससे शरीर में ऑक्सीजन की कमी होने लगती है। इसके कारण मरीज को एनीमिया की समस्या होती है। इसमें तेज दर्द होता है और बार-बार खून चढ़ाने की जरूरत होती है।
यहां 5 जिलों से आते हैं मरीज
जिला अस्पताल धमतरी में जिले के अलावा बालोद, कांकेर, गरियाबंद, बस्तर, दुर्ग समेत ओडिशा राज्य से भी मरीज इलाज कराने आते हैं। इस वजह से यहां रोज की ओपीडी 500 से अधिक है। जिला अस्पताल में थैलेसीमिया, कैंसर, गर्भवती, सडक़ दुर्घटना आदि मामलों में खून की मांग है।
रोज 12 से 15 मरीजों को ब्लड की जरूरत पड़ती है।


