धमतरी

हाथियों को पसंद आ रहा धमतरी का जंगल, छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक अनुकूल
02-Jun-2022 2:28 PM
हाथियों को पसंद आ रहा धमतरी का जंगल, छत्तीसगढ़ में सर्वाधिक अनुकूल

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
धमतरी, 2 जून। 
प्रदेश में जिले का जंगल वन प्राणियों के रहवास के लिए सबसे अनुकूल है। यही कारण है जंगली-जानवरों की लगातार हलचल बढ़ रही है। वर्तमान में हाथी, गौर, भालू समेत अन्य वन्य प्राणी धमतरी के जंगल में विचरण कर रहे हैं। जिले में गंगरेल, सोंढूर, दुधावा और मुरूमसिल्ली बांध है। इसके अलावा वन्य प्राणियों के भोजन की भी यहां पर्याप्त संख्या में व्यवस्था है। यही वजह है कि पिछले कुछ सालों में धमतरी जिले के जंगलों में वन्य प्राणियों की आमद बढ़ी है।

14 सौ वर्ग किमी में फैला है सीतानदी रिजर्व
धमतरी का कुल क्षेत्रफल 4 हजार 84 वर्ग किमी है। इसमें से 2 लाख 13 हजार 123 हेक्टयर क्षेत्रफल वन भूमि है। सीतानदी रिजर्व भी 14 सौ वर्ग किमी में फैला है। साल, शीशम, करंज समेत अन्य पेड़-पौधा होने से यहां घना जंगल भी है। वन विभाग के मुताबिक साल 2014 में विभागीय गणना के अनुसार जिले के जंगल में 348 लंगूर, 20 भालू, 97 चीतल, 457 बंदर, 116 खरगोश, 2 सौ लकड़बग्घा, 8 कोटरी, 1 अजगर, 5 तेंदुआ, 1 घुटरी, 5 लोमड़ी, 3 बिज्जू, 4 सियार तथा इसके अलावा सीतानदी रंज में एक नर एवं एक मादा बाघ की भी उपस्थिति दर्ज की गई थी, लेकिन यहां के जंगल में पर्याप्त भोजन और पानी की व्यवस्था होने के चलते वन्य प्राणियों की आमद बढ़ी है। वर्तमान में यहां के जंगल में 33 हाथियों का दल विचरण कर रहा है। इसके अलावा 4 गौर, 5 जंगली सुअर भी जंगल में है। ऐसे में विभागीय अधिकारियों पर इसके संरक्षण की जिम्मेदारी बढ़ गई है।

51 फीसदी क्षेत्रफल बनो से आच्छिद
वन्य जीव विशेषज्ञों के मुताबिक किसी भी वन्य प्राणी के रहवास के लिए उस जंगल में पर्याप्त संख्या में ऊंचे-ऊंचे पेड़-पौधे, भोजन, पानी और मौसम का अनुकूल होना आवश्यक है। जिले में करीब 51 फीसदी क्षेत्रफल वनो से आच्छिद है। यहां गंगरेल समेत 4 प्रमुख बांध है, इसलिए पानी की भी कोई कमी नहीं है। भोजन के लिए भी वन्य प्राणियों की इधर-उधर भटकने की जरूरत नहीं है। यही वजह है कि धमतरी जिले के जंगल में इन दिनों वन्य प्राणियों की संख्या में इजाफा हुआ है।

चुनौतियों का करना पड़ रहा सामना
जिले के जंगल में भले ही वन्य प्राणियों की संख्या बढ़ी है, लेकिन वन विभाग पर इनके संरक्षण की चुनौती बढ़ गई है। सूत्रों की मानें तो पिछले सात सालों में यहां कुत्ते के काटन समेत शिकातर के चलते 30 से अधिक हिरणों की मौत हुई है। चीतल और तेंदुएं की भी संदिग्ध मौत हुई है।
 


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