धमतरी

मजदूर दिवस पर हर खासोआम ने लिया बोरे बासी का मजा
01-May-2022 4:32 PM
मजदूर दिवस पर हर खासोआम ने लिया बोरे बासी का मजा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कुरुद, 1 मई ।
मुख्यमंत्री से मिले मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी खाने का संदेश का शहरों से लेकर गांवों तक में जबरदस्त रिस्पांस मिल रहा है। नेता, अधिकारी, व्यवसायी से लेकर आमजनों ने भी इसमें बढ़-चढ़ कर हिस्सा लिया है।है।
गौरतलब है कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने 1 मई  मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी खाकर श्रम का सम्मान करने का अनुरोध किया था, जिसका लोगों ने जमकर स्वागत किया।
पूर्व जिलापंचायत सदस्य नीलम चंद्राकर ने बासी खाते हुए तस्वीर सोशल मीडिया में पोस्ट कर बताया कि मजदूर दिवस के दिन छत्तीसगढिय़ा मुख्यमंत्री ने बोरे बासी खाने की अपील कर श्रमिकों और छत्तीसगढ़ी संस्कृति का मान बढ़ाया है। बासी खाने की परम्परा यहां वर्षों से चली आ रही है। मुझे बचपन से बासी के साथ नया आम की सिलपटी चटनी, चेच भाजी बरी वाला मही डालके प्याज के साथ बोरे बासी खाना बेहद पसंद है।

इसी तरह भखारा ब्लॉक कांग्रेस अध्यक्ष मुकेश कोसरे का कहना है कि मजदूर भाइयों के सम्मान और छत्तीसगढ़ के संस्कृति की पहचान के तौर पर बोरे बासी खाने की अपील कर एक बार फिर हमारे नेता ने बता दिया कि उनके अंदर छत्तीसगढ़ संस्कृति रची बसी है।

नपं अध्यक्ष तपन चंद्राकर ने माना कि मुख्यमंत्री जो भी कहते हैं समाज में उसका गहरा प्रभाव पड़ता है। मजदूर दिवस के दिन बोरे बासी खाने की अपील का सीधा और साकारात्मक प्रभाव ठेठ छत्तीसगढिय़ों में साफ-साफ दिखाई दे रहा है।
सभापति मनीष साहू का मानना है कि सीएम बघेल ने पदभार ग्रहण कर सबसे पहले छत्तीसगढिय़ा संस्कृति को पुन: स्थापित करने का काम किया है। लोक उत्सव, तीज त्यौहारों में स्थानीयता की रंगत घोलने के बाद अब बासी के साथ-साथ हमारे व्यंजन पर फोकस कर रहे हैं।

युकां नेता देवव्रत साहू, डुमेश साहू, पार्षद रजत चन्द्राकर का कहना है कि मुख्यमंत्री की कार्यशैली से सर्वाधिक परेशानी विपक्ष के उन नेताओं को हो रही है जो बासी-चटनी भूलकर काजू-कतली खाने लगे थे। ऐसे लोगों के साढ़े तीन सालों से संस्कृति संवाहक भूपेश बघेल की काट ढूंढने में ही लगे हुए हैं।

भरदा के किसान एवं कुरुद के व्यवसाई लेखराज पप्पू चन्द्राकर ने डायनिंग टेबल में बैठकर बासी खाते हुए फोटो पोस्ट कर कहा कि बटकी मं बासी अऊ चुटकी मं नुंन वाली पुरानी परंपरा को किसान पुत्र श्री बघेल ने एक बार फिर से ताजा कर बता दिया कि बासी खाने वाला कोई गरीब या अमीर नहीं होता। बासी खाने वाला कोई देहाती नहीं होता। छत्तीसगढिय़ों के भोजन श्रृंखला में बोरे बासी का कोई विकल्प नहीं है।

नेता प्रतिपक्ष भानु चंद्राकर का कहना है कि छत्तीसगढ़ और बासी चटनी का अटूट नाता है , हम सभी सालों से रोज़ बासी खाते हैं, इसमें अलग से दिन तय करने की क्या जरूरत आन पड़ी।


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