‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 4 जून। जन संस्कृति मंच ( जसम ) की रायपुर ईकाई द्वारा सिविल लाइन स्थित वृंदावन हॉल में सोमवार को आयोजित किए गए सृजन संवाद में कवियों और शायरों के अलावा महत्वपूर्ण रचनाकारों ने हिस्सेदारी दर्ज की। सभी रचनाकारों ने अपनी धारदार रचनाओं के जरिए यह संदेश दिया कि मनुष्य और मनुष्यता को बचाना बहुत जरूरी है। इस मौके पर देश के नामचीन आलोचक सियाराम शर्मा ने कहा कि व्यवस्था और सत्ता मनुष्य को बांटने का काम करती है, लेकिन एक अच्छी कविता या रचना मनुष्य को मनुष्य से, प्रकृति से,समाज से और विश्व से जोड़ती हैं।
नामचीन लेखिका और जसम की वरिष्ठ सदस्य जया जादवानी ने कहा कि जो रचनाकार स्पष्ट विचार के साथ लिखने की कला सीख जाता है उसका लिखा याद रखा जाता है।
उन्होंने कहा कि जब कोई विषय यूनिक होता है तो पाठक अपने प्रिय लेखक को पसंद करने लगता है। कार्यक्रम की अध्यक्षता प्रगतिशील लेखक संघ के वरिष्ठ लेखक रवि श्रीवास्तव ने रचनाकारों को जन सरोकारों के साथ रचना पाठ करने के लिए बधाई दी। जसम के वरिष्ठ साथी और शायर रज़ा हैदरी ने कालीदास पर अपनी चर्चित नज़्म का वाचन भी किया जिसे श्रोताओं ने खूब सराहा।
कार्यक्रम की शुरुआत युवा कवि वसु गंधर्व के गायन से हुई. इस दौरान वसु ने अपनी दो शानदार कविताओं का पाठ भी किया. कवियित्री नीलिमा मिश्रा ने कोरोना काल में लिखी कविता पेट की आग का पाठ किया। मधु सक्सेना ने हवा आने दो शीर्षक से पढ़ी कविता में समय की कुरूपता को रेखांकित किया।
सनियारा ख़ान ने टेरेसा को चिल्लाने वाला आदमी शीर्षक से जीवंत कहानी प्रस्तुत की। दिलशाद सैफ़ी सियासी रंग कविता को पढ़ते हुए सांप्रदायिकता के वीभत्स चेहरे को उजागर किया।सुनीता शुक्ल ने गोरख पांडे के चर्चित गीत समाजवाद बबुआ धीरे-धीरे आई को प्रस्तुत किया।
मोहम्मद मुसय्यब के शेरों को श्रोताओं ने सराहा। रूपेंद्र तिवारी ने अजिहा की संदूकची, हमें फर्क नहीं पड़ता,कबरबिज्जू और राजा शीर्षक से धारदार कविताएं पढ़ी।
डॉ. संजू साहू पूनम ने भूख कविता के जरिए बस्तर के जन-जीवन का कटु यथार्थ प्रस्तुत किया। कवि और उपन्यासकार समीर दीवान ने मानवीय संबंधों के कोलाज को उपस्थिति कविता में पिरोकर सबको भावुक कर दिया। युवा शायर आफ़ाक़ अहमद ने भी अपनी गज़़लों का वाचन किया। वहीं मौली चक्रवर्ती ने रविन्द्र संगीत के साथ सुमधुर गायन की प्रस्तुति दी। वरिष्ठ कवि सिरिल साइमन ने नरभक्षी कविता के माध्यम से पेड़ को बिंब बनाते हुए भयाक्रांत परिवेश का चित्रण किया।
युवा शायर इमरान अब्बास ने तरन्नुम में गज़़ल पढ़ी. अजय कुमार शुक्ल ने सामयिक कविता दरवाजे खिड़कियां बंदकर कब तक बचोगे? का पाठ किया. वरिष्ठ शायर आलिम नकवी की नज़्म को सबने पसंद किया। सुखनवर हुसैन रायपुरी ने चुनिंदा गज़़लें तरन्नुम में पढ़ी. वरिष्ठ शायर जावेद नदीम नागपुरी ने अपनी शायरी में देश के मौजूदा हालात का बखान किया।
कार्यक्रम का संचालन युवा शायर मीसम हैदरी ने किया.इस दौरान उन्होंने दो जून की रोटी शीर्षक से शानदार रचना का पाठ किया. आभार प्रदर्शन जसम रायपुर के सचिव इंद्र कुमार राठौर ने किया.
कार्यक्रम में प्रमुख रुप से भिलाई जसम के सचिव सुरेश वाहने, वासुकि प्रसाद उन्मत्त, आकाश चंद्राकर, हरीश कोटक, मीर अली मीर, परमानंद वर्मा, अलीशा मसीह, आदित्य, भागीरथी वर्मा, आरडी अहिरवार, कमलेश राठौर, एआर देवांगन,आकांक्षा शुक्ल, दानियाल अब्बास, बीके साहू, बीएस नटराजन, बी गीता, एफए सैफी, डॉ. आभा शर्मा, श्रेया तिवारी, आनंद बहादुर, मधु वर्मा, राजकुमार सोनी सहित कई प्रबुद्धजन शामिल रहे।