महासमुन्द
छत्तीसगढ़ संवाददाता
पिथौरा, 21 जनवरी। विकासखण्ड मुख्यालय से करीब 8 किलोमीटर दूर स्थित ग्राम सराईपाली के ग्रामीण गुरुवार को उस समय हैरान हो गए, जब गोठान निरीक्षण के लिए पहुंचे जिला कलेक्टर डोमन सिंह ग्राम की गलियों में घूमते हुए पुराना स्कूल ढूंढ रहे थे। इस दौरान ग्राम के कुछ बुजुर्गंो ने उन्हें पहचान लिया कि वे करीब साढ़े तीन दशक पहले इसी गांव में शिक्षक थे।
गुरुवार का दिन समीप के ग्राम सराईपाली निवासियों के लिए उत्साह से भरपूर रहा। आज अनायास ही उनके बीच एक ऐसे शख्स सामने थे जो कि आज कलेक्टर है परन्तु करीब 35 वर्ष पूर्व वे इसी ग्राम में शिक्षक थे। इस संबंध में ग्रामीण बताते हैं कि वर्तमान में नवपदस्थ जिलाधीश इसी गांव में बच्चों को पढ़ाते थे। अब जिले के कलेक्टर बन गए।
ग्रामीण बताते हंै कि करीब 35 साल पहले 1987 में महासमुंद के वर्तमान कलेक्टर डोमन सिंह ठाकुर इस ग्राम में शिक्षक थे। गुरुवार को पिथौरा ब्लॉक के कुछ ग्रामों में गोठान देखने पहुंचे। कलेक्टर ने समीप के ग्राम सराईपाली के नाम सुनते ही वहां जाने की इच्छा व्यक्त की। बताते हंै कि कौहाकुड़ा से लगे ग्राम सराईपाली में पहुंच कर ग्रामीणों से मुलाकात करने उन्होंने चौपाल लगाई। इस समय तक किसी को ये पता नहीं था कि इस गांव में जो कलेक्टर चौपाल कार्यक्रम में ग्रामीणों से रूबरू हो रहे हैं, वे कभी यहां बच्चों को पढ़ाते थे।
वास्तव में कलेक्टर की स्मृति में उनका शिक्षकीय कार्य छिपा था। जिसके कारण वे मन ही मन लालयित हो रहे थे कि वे अब वहां के हालात देखे। इसी बहाने उन्होंने ग्रामीणों से रूबरू होकर उनकी समस्याएं भी सुनी तथा उनका हालचाल भी जाना। इसके पूर्व उन्होंने आज से करीब 35 साल पहले खपरैल वाले एक मकान को ढूंढते नजर आए, जो किसी समय में स्कूल हुआ करता था और वहां उन्होंने एक शिक्षक के रूप में अपनी सेवाएं दी थी । गांव के बुजुर्गों से मिलकर अपने बीते दिनों की यादें भी ताजा करते नजर आए। कलेक्टर की स्मृति सुन यहां ग्रामीण गदगद हो गए।
अफसरों को निर्देश
ग्रामीणों ने बताया कि कलेक्टर द्वारा चौपाल के माध्यम से मिली जानकारी के बाद विकासखण्ड एवं तहसील के कुछ विभाग के अधिकारियों को समस्याओं के निराकरण हेतु निर्देशित भी किया। श्री सिंह के साथ स्थानीय एसडीएम राकेश कुमार गोलछा भी मौजूद थे।