आपसी राजीनामा से तलाक के लिए पति देगा 3 लाख रू.
सोने-चांदी के गहने व 2 लाख रू. आवेदिका को पति से वापस दिलाया
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रायपुर, 20 मार्च। महिला आयोग की अध्यक्ष डॉ. किरणमयी नायक एवं सदस्य श्रीमती लक्ष्मी वर्मा, श्रीमती सरला कोसरिया, श्रीमती ओजस्वी मण्डावी एवं सुश्री दीपिका शोरी ने महिला उत्पीडऩ से संबंधित प्रकरणों पर सुनवाई की।
एक प्रकरण में आवेदिका ने बताया कि 2021 में विवाह के 4 माह बाद मारपीट व दुर्व्यवहार के बाद से आवेदिका अलग रह रही है। दोनो ने तलाक लिए बिना दुसरा विवाह कर लिया है। और आयोग के काउंसलर की मदद से आवेदिका के सोने-चांदी के गहने, लगभग दो लाख रू. वापस दिलाये गये व शादी के वक्त दिये गये बर्तन व उपहार के एवज में 10 हजार रू. अनावेदक ने दिया। आयोग ने दोनो को तलाक लेने की समझाईश दी गई। ताकि उनके विवाह में दिक्कत ना हो। इस स्तर पर प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक प्रकरण में अनावेदक ने आवेदिका का 6 वर्षों तक शारीरिक व आर्थिक शोषण किया। पिछली सुनवाई में अनावेदक द्वारा आवेदिका को 5 लाख रू. देने की बात कही थी, लेकिन अब तक नहीं दिया है। अनावेदक ने आयोग की सुनवाई के एक दिन पूर्व आवेदिका के घर जाकर उसके परिवार को आवेदिका के शारीरिक शोषण के बारे में बताते हुए सुसाईड करने की धमकी दिया व धमकी की आड़ में 5 लाख की जगह 1 लाख रू. देने की बात कहकर आवेदिका को परेशान किया। आयोग ने आवेदिका को थाने में एफ.आई.आर. की अनुमति दी।
एक प्रकरण में उभय पक्ष पति-पत्नि अपने दो बचिचों के साथ रहने के लिए तैयार हुए?। बच्चों ने आयोग के समक्ष अपने पिता से कहा कि ‘‘पापा शराब पीना छोड़ दो‘‘ अनावेदक (पिता) ने भी आयोग के समक्ष अपने बच्चों से वादा किया कि वह भविष्य में शराब नही पीयेगा। इस समझाईश के बाद प्रकरण नस्तीबध्द किया गया।
एक अन्य मामले में आवेदिका व अनावेदक 2023 में विवाह के कुछ माह बाद से ही दोनो अलग रहे है। आपसी राजीनामा से तलाक लेने पति ने एक मुश्त भरण-पोषण की राशि 3 लाख रू. देने तैयार हुआ और आवेदिका को उसके दहेज का सामान दिलाये जाने में भी आयोग मदद करेगा।
एक प्रकरण के दौरान आवेदिका ने बताया कि अनावेदक (पति) ने आवेदिका से बिना तलाक लिए अन्य महिला से विवाह चुड़ी पध्दति से कर लिया है। आवेदिका व अनावेदक के 15 वर्ष व 10 वर्ष की दो पुत्रिया है जो आवेदिका के साथ ही रहती है। अनावेदक (पति) का आवेदिका से विधिवत् तलाक नहीं हुआ है फिर भी अनावेदक के विवाह को सभी अनावेदकों ने जानबूझ कर सहमति दिया है। आयोग के द्वारा आवेदिका को यह निर्देशित किया गया कि वह अनावेदकों के खिलाफ अवैध रूप से दूसरा विवाह करने की सूचना देकर न्यायालय में परिवाद पंजीबध्द कराकर प्रताडऩा का मामला पंजीबध्द करा सकेगी।