रायपुर

छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक उर्वरकों की कोई कमी नही
05-Jul-2025 6:34 PM
छत्तीसगढ़ में वैकल्पिक उर्वरकों  की कोई कमी नही

रायपुर, 5 जुलाई। राज्य में खरीफ सीजन 2025 के दौरान विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की मांग और डी.ए.पी. की कमी को पूरा करने के लिए छत्तीसगढ़ सरकार ने एन.पी.के., सुपर फास्फेट और नेनो डी.ए.पी. जैसे वैकल्पिक उर्वरकों की उपलब्धता सुनिश्चित कर किसानों के हितों का ध्यान रखा है। छत्तीसगढ़ में अब तक विभिन्न प्रकार के 12.27 लाख  टन उर्वरकों का भंडारण कर लिया गया है, जिससे खरीफ सीजन में किसानों को समय पर पर्याप्त उर्वरक उपलब्ध हो सकें।

छत्तीसगढ़ राज्य में खरीफ 2025 में पूर्व में कुल 14.62 लाख म टन उर्वरक वितरण का लक्ष्य निर्धारित था। इसमें यूरिया 7.12 लाख, डी.ए.पी. 3.10 लाख, एन.पी.के. 1.80 लाख, पोटाश 60 हजार तथा सुपर फास्फेट 2 लाख  टन शामिल हैं। वर्तमान में कुल 12.27 लाख  टन उर्वरक का भंडारण किया जा चुका है।

डीएपी की आपूर्ति में कमी के चलते उर्वरक वितरण के लक्ष्य को संशोधित कर अन्य वैकल्पिक उर्वरकों जैसे- एनपीके, एसएसपी के लक्ष्य में 4.62 लाख  टन की उल्लेखनीय वृद्धि की है, जिसके चलते खरीफ सीजन 2025 में विभिन्न प्रकार के रासायनिक उर्वरकों की वितरण का लक्ष्य 17.18 लाख  टन हो गया है।

राज्य में अब तक 5.63 लाख टन यूरिया का भंडारण एवं 3.76 लाख  टन का वितरण किया गया है। किसानों को अभी 1.86 लाख मीट्रिक टन यूरिया वितरण हेतु उपलब्ध है।

डी.ए.पी. के आयात में राष्ट्रीय स्तर पर कमी को देखते हुए राज्य शासन ने समय रहते वैकल्पिक उर्वरकों की दिशा में ठोस पहल की है, जिसके चलते एन.पी.के. को लक्ष्य बढ़ाकर 4.90 लाख तथा सुपर फास्फेट का 3.53 लाख  टन कर दिया गया। वर्तमान में एन.पी.के. 11 हजार एवं सुपर फास्फेट 54 हजार  टन, लक्ष्य से अधिक भंडारित है, जिससे 23 हजार 600  टन डी.ए.पी. में उपलब्ध फॉस्फेट तत्व की पूर्ति होगी।

छत्तीसगढ़ राज्य को चालू माह जुलाई में आपूर्ति प्लान के अनुसार कुल 2.33 लाख मी. टन उर्वरक मिलेगी। जिसमें यूरिया 1.25 लाख, डी.ए.पी. 48,850, एन.पी.के. 34,380, पोटाश 10 हजार एवं सुपर फास्फेट 76 हजार  टन शामिल हैं। जुलाई के अंत तक डी.ए.पी. का कुल भंडारण 1.95 लाख टन तक होने की उम्मीद है। राज्य में डी.ए.पी. की कमी से बचाव के लिए 25 हजार मी. टन सुपर फास्फेट एवं 40 हजार टन एन.पी.के. के अतिरिक्त भंडारण का लक्ष्य तय किया गया है। साथ ही, नैनो डी.ए.पी. उर्वरक को बढ़ावा देने हेतु सहकारी क्षेत्र में एक लाख बाटल का भंडारण किया जा रहा है, जिससे 25 हजार  टन पारंपरिक डी.ए.पी. की आवश्यकता की पूर्ति होगी।


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