धमतरी

विधायक की सक्रियता से माहौल बदला पर कुरुद में अभी भी कांटे की टक्कर
08-Feb-2025 3:25 PM
विधायक की सक्रियता से माहौल बदला  पर कुरुद में अभी भी कांटे की टक्कर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

कुरुद, 8 फरवरी।बड़े बड़े चुनाव लड़ और लड़वा चुके दमदार नेता का मार्गदर्शन, कार्यकर्ताओं की फौज, साधन संसाधन की भरमार होने के बावजूद नगर पंचायत कुरुद में अध्यक्ष पद की भाजपा प्रत्याशी ज्योति-भानु चन्द्राकर अभी तक प्रचार प्रसार में वो बढ़त नहीं बना सकी है जिसकी उम्मीद की जा रही थी। चुनावी वाररुम से लेकर वार्डवार के लिए प्रशिक्षित लोगों की पूरी पलटन किस काम में लगी है अब तक लोग समझ नही पा रहे हैं। हो सकता है कि यह पार्टी रणनीति का हिस्सा हो, लेकिन नगर में जो माहौल बनना चाहिए, वो नहीं हो रहा है।

गौरतलब है कि दो दशक तक नगर में राज करने वाली भाजपा को पिछले चुनाव में यहाँ के मतदाताओं ने दिन में तारे दिखा दिए थे। खींच-तान कर पांच जनपथ वाली व्हीआईपी एक मात्र सीट पर कमल खिल पाया था। उस शर्मनाक हार के बाद पार्टी विरोध की अपनी पारम्परिक रीत ही भूल गई। दमदार विधायक और मारक क्षमता से लैस हर वक्त तैयार रहने वाले कार्यकर्ताओं की फौज के बावजूद, पिछले पांच सालों में तपन सरकार को घेरने में भाजपा बुरी तरह विफल रही।

दलबदल के बाद एक से दो हुए पार्षदों ने सदन में क्या विरोध किया वो जनता तक पहुँचा ही नहीं। नया बजार में चबूतरा तोड़ कर शापिंग काम्प्लेक्स निर्माण, और अभी हाल ही में वेटलैंड मामले के सामुहिक विरोध के अलावा कोई दुसरा मुद्दा लोगों को याद नहीं पड़ता। आज चुनाव समर में उतर भाजपा कांग्रेस पर भ्रष्टाचार का आरोप चस्पा करने का प्रयास कर रही हैं। विधानसभा चुनाव के पहले निकाय में करोड़ों के टेंडर लग रहे थे, तब सत्ता पक्ष के कुछ लोगों की असंतुष्टि के ढके छुपे शब्द सुनाई देते रहे, लेकिन विपक्ष मौन बैठा रहा। तब राजनीति में रुचि रखने वाले लोग यह रिश्ता क्या कहलाता है का जवाब तलाश रहे थे।

इस स्थिति का  फायदा उठा अध्यक्ष तपन चन्द्राकर और कांग्रेस पार्टी ने अपने खिलाफ एंटी इनकमबेंसी पनपने नहीं दी। मौजूदा चुनाव में वही चेहरे उजले पोशाक में फूल कांन्फीडेंस के साथ जनता से फिर सेवा का मौका माँग रहे हैं।

दूसरी ओर भाजपा पांच बरस पहले मिली हार के कड़वे घूट का बेमजा स्वाद भूलाकर इस बार जिताऊ उम्मीदवार ढुंढने निकली। नाम तय होते ही पार्टी के भीतर से विरोध के स्वर फुटने लगे। पार्टी से जुड़े दो पदाधिकारी ने तो पार्टी लाइन से परे जाकर अध्यक्ष का पर्चा तक खरीद लाया। लेकिन समझाइश के बाद दोनों ने प्रत्यक्ष तौर पर सरेंडर कर दिया है, अप्रत्यक्ष रूप में इन जैसी सोच रखने वाले कार्यकर्ताओं का आडियो और विडियो मैच नहीं होने से हैरान परेशान पार्टी रणनीतिकारों को चिंता सताये जा रही है कि ऐसे लोग चुनाव में क्या गुल खिलाएंगे?

इस बीच किसी ने यह अफवाह फैला दि की धमतरी जिला में निकाय और त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का परिणाम भाजपा के पक्ष में आया तो कुरुद को फिर से मंत्री बनने का मौका दिया जा सकता है। तेजी से बदले हालत में विधायक अजय चन्द्राकर को चुनावी मोर्चा संभालने मैदान में आना पड़ा। जिसके तहत अलग अलग समाज, संघ संगठनों की बैठक लेकर प्रत्याशी चयन में होने वाली दिक्कत, नगर में बढ़ती अराजकता, नगर विस्तार की भावी योजनाओं से अवगत करा विकास के लिए बदलाव का समर्थन किया। इसके अलावा पार्टी दफ्तर में कई दौर की बैठक लेकर बूथ, वार्ड और नगर में अलग अलग ढंग से काम करने वाले अपने कार्यकर्ताओं को समझाया कि प्रत्याशी नहीं पार्टी चिन्ह चुनाव लड़ता है, परिस्थिति और समाजिक समीकरण के अधार पर उम्मीदवारी तय की जाती है।

भाजपा में चाय बेचने वाला पीएम बन सकता है, यहाँ सबका सम्मान होता है, सबको मौका दिया जाएगा, इन बातों की चिंता छोड़ आप सभी कुरुद को बचाने की लड़ाई में एकजुटता दिखाते हुए कमल खिलाएं। पूर्व मंत्री द्वारा शाम दाम दंड भेद की निति अपनाने से स्थिति में सुधार तो आया है। लेकिन पार्टी के पक्ष एक तरफा माहौल अभी भी नहीं बन पाया है।

अब बात कांग्रेस के धमतरी महापौर के प्रत्याशी चयन में हुई गफलत से हुई बेइज्जती के सदमे से नहीं उभरे पार्टी पदाधिकारियों की अब तक नगर में कोई भूमिका नजऱ नहीं आई है। अपने ही प्रवक्ता द्वारा टिकट वापस लौटाने की शर्मनाक स्थिति और विधानसभा, लोकसभा में पार्टी की करारी हार के बोझ तले दबे ब्लॉक कांग्रेस कमेटी अध्यक्ष के मुंह से बोल नहीं फूट रहे हैं। चौतरफा हमला झेल रहे कांग्रेसी उम्मीदवार अपने दम पर अब तक चुनावी मैदान में डटे हुए हैं। मतदान के तीन दिन पहले भी कोई नहीं कह पा रहा है कि पलड़ा किस के पक्ष में झुका है।

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