‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 20 जनवरी। जिले में समस्त परियोजना अधिकारी और सेक्टर पर्यवेक्षकों का एक दिवसीय जिला स्तरीय प्रशिक्षण सह-कार्यशाला आयोजित की गई। इस कार्यशाला का उद्देश्य जिले में कुपोषण की समस्या को गंभीरता से लेते हुए इसके समाधान के लिए ठोस कदम उठाना था।
कार्यशाला में जिला कार्यक्रम अधिकारी चंद्रबेश सिंह सिसोदिया और जिला महिला एवं बाल विकास अधिकारी सी.पी. शर्मा ने विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों को प्रशिक्षित किया। इस प्रशिक्षण का मुख्य विषय हमर स्वास्थ्य लइका अभियान, समुदाय आधारित कुपोषण प्रबंधन, प्रसव पूर्व देखभाल और प्रसव पश्चात शिशु और माताओं की देखभाल पर आधारित था। कार्यशाला के दौरान यह निर्देश दिए गए कि हर सेक्टर में इन विषयों पर पाठशालाओं का आयोजन किया जाएगा। जिले की सभी 6 परियोजनाओं के 46 सेक्टरों में 1178 आंगनबाड़ी केंद्रों की कार्यकर्ताओं को प्रशिक्षण सह कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस कार्यशाला के अंतर्गत आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं को पोषण, स्वास्थ्य और सुरक्षा से जुड़े विषयों पर जानकारी दी गई, जिसका उद्देश्य कुपोषण को खत्म करने और महिलाओं और बच्चों में एनिमिया जैसी समस्याओं से निपटना था। इस अभियान के तहत कुपोषित बच्चों के परिवारों में जाकर जागरूकता अभियान चलाने का निर्देश दिया गया। इस सुपोषण भेट में सरपंच, पंच, जनप्रतिनिधि, महिलाओं और आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं की सहायता से सुपोषण के महत्व को बताया जाएगा। जागरूकता में यह बताया गया कि 6 माह तक बच्चों को केवल स्तनपान कराएं, 6 माह के बाद उन्हें घर के बने भोजन को मसलकर खिलाना शुरू करें और धीरे-धीरे उन्हें ठोस आहार दें। गर्भवती महिलाओं को नियमित वजन, टीकाकरण, आयरन, कैल्शियम और फोलिक एसिड के सेवन के महत्व को भी समझाया गया।
इसके अलावा, बाल विवाह को रोकने और कुपोषण की जड़ों को समाप्त करने पर भी जोर दिया गया। स्वस्थ बालक के विकास के लिए सुपोषण के 5 महत्वपूर्ण सूत्र बताए गए जिनमे पहले 1000 दिनों में शारीरिक और मानसिक विकास। विटामिन सी युक्त आहार, आयरन, कैल्शियम, सिरप और एलबेंडाजोल की नियमित खुराक, दस्त के दौरान जिंक का सेवन, व्यक्तिगत और पर्यावरणीय स्वच्छता का पालन आदि शामिल हैं।
कार्यशाला में एक पेड़ मां के नाम अभियान के तहत कुपोषित बच्चों के घरों में जाकर सुपोषण ट्री मुनगा पौधा लगाने का निर्देश दिया गया।
इस अभियान का मुख्य उद्देश्य जन-समुदाय को पोषण के महत्व के प्रति जागरूक करना और एक सुपोषित समाज का निर्माण करना है।