‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
महासमुंद, 20 जनवरी। मिट्टी तेल का आबंटन घटने की वजह से मुख्यालय के समीप तथा वनग्रामों के गरीब परिवारों के घरों के चूल्हों की आंच ठंडी पड़ गई है। खासकर उन गांवों में जहां बिजली नहीं पहुंच पाई है। उन स्थानों पर भी जहां आए दिन बिजली कटौती की समस्याएं होती हैं। ऐसे ग्रामों के लोगों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। हालांकि शासन की उज्ज्वला योना के तहत अनेक गरीब परिवारों को सिलेंडर प्रदान किया गया है, लेकिन उनमें से अधिकांश परिवार सिलेंडर की रिफि लिंग कराने में सक्षम नहीं है।
ऐसे में उन्हें भोजन बनाने के लिए मिट्टी तेल की आवश्यकता पड़ती है। लेकिन पिछले 2 साल में मिट्टी तेल का आबंटन लगातार घट रहा है। जिसकी वजह से परिवहन का भाड़ा डीलरों को अधिक पड़ रहा है। डीलर मिट्टी तेल का उठाव नहीं कर रहे हैं। फलस्वरूप सोसायटियों तक यह तेल नहीं पहुंच पा रहा है।
मिली जानकारी के अनुसार कोरोना काल के पूर्व तथा महासमुंद जिले के लिए 500 से 600 केएल (किलो लीटर) का आबंटन आता था। बाद यह घटकर 400 फिर 200 फिर 100 हुआ। आज की स्थिति में पूरे जिले भर के लिये 22 से 24 केएल का ही आबंटन है। ऐसे में डीलरों को मात्र 24 केएल की सप्लाई करना महंगा पड़ रहा है। अत: डीलर ही मिट्टी तेल नहीं उठा रहे हैं।
जानकारी के मुताबिक जिले में कुल 593 शासकीय उचित मूल्य की दुकानें हैं। प्रत्येक राशन दुकानों में 600 से 800 राशन कार्ड धारी यानी उपभोक्ताओं की संख्या है। ऐसे में शासन की ओर से महज 24 किलोलीटर मिट्टी तेल की महासमुंद जिले के लिए आबंटन में किस राशन दुकान में कितना मिट्टी तेल का स्टाक होगा, तथा प्रत्येक उपभोक्ताओं में कितना कितना बंटेगा, इसका स्वत: ही अंदाजा लगाया जा सकता है।
नाम प्रकाशित न करने की शर्त पर खाद्य विभाग के एक कर्मी ने बताया कि डीलरों को नुकसान होने की वजह से ही अनेक डीलर अपनी वाहनों, टैंकरों को बेच चुके हैं। अनेक डीलरों ने खाद्य विभाग को मिट्टी तेल उठाव नहीं किये जाने को लेकर पत्र व्यवहार किया है। उसमें बताया गया है कि वर्तमान में जितना किलोलीटर पूरे प्रदेश के लिए आता है, उतना किलोलीटर मिट्टी तेल केवल 1 जिले के लिए आता था।