दन्तेवाड़ा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
दंतेवाड़ा, 22 नवंबर। तुलसीकृत श्रीरामचरितमानस में एक चौपाई लिखी गई है - परहित सरिस धर्म नहीं भाई। इसी पंक्ति को दंतेवाड़ा निवासी ननकू राम साहू द्वारा यथार्थ स्वरूप प्रदान किया गया। जिला अस्पताल दंतेवाड़ा परिसर में माता मालती देवी सेवा आश्रम संचालित किया जा रहा है। जिसमें परहित के भाव को सर्वोपरि रखा गया।
रोगियों के परिजनों की संपूर्ण सेवा
मालती देवी सेवा आश्रम में जिला अस्पताल में भर्ती हुए रोगियों की संपूर्ण सेवा की जा रही है। परिजनों हेतु ठहरने की व्यवस्था की गई है। इसी कड़ी में परिजनों हेतु नाम मात्र के शुल्क में भरपेट भोजन की व्यवस्था की गई है। शुल्क के तौर पर प्रबंधन द्वारा 20 रुपये बतौर शुल्क लिया जाता है। इसके एवज में दाल, चावल और अचार दिया जाता है। इस संबंध में आश्रम के संस्थापक ननकू राम साहू ने बताया कि परिजनों को भरपेट भजन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। वहीं ऐसे व्यक्ति जिनके पास 20 रुपये भी नहीं है। उन्हें भी भरपेट भोजन उपलब्ध कराया जाता है। आश्रम में मितानिन कार्यकर्ताओं को निशुल्क भोजन उपलब्ध कराया जाता है। जिससे उनका मनोबल ऊंचा हो सके।
नवरात्रि में भारी भीड़
नवरात्रि के दौरान बस्तर आराध्या माता दंतेश्वरी के दर्शन हेतु दूर-दूर से श्रद्धालु दंतेवाड़ा पहुंचते हैं कुछ श्रद्धालु निजी होटलों के महंगे किराए को नहीं चुका सकते इसलिए धर्मशाला का आश्रय लेते हैं श्री साहू ने बताया कि श्रद्धालुओं के लिए ठहरने की निशुल्क व्यवस्था है। इस सेवा के उपलब्ध कराए जाने के? एवज में किसी प्रकार का शुल्क नहीं लिया जाता। आश्रम के स्वच्छ वातावरण में यहां यहां ठहरने वालों को घर की अनुभूति होती है। जिससे वे यहाँ सुखपूर्वक रहते हैं। श्री सामने बताया कि इस आश्रम में महिला और पुरुष शौचालय की पृथक पृथक व्यवस्था की गई है इस सुविधा का नित्य सैकड़ों लोगों द्वारा लाभ उठाया जाता है।
कमाइ लगाने का संकल्प
आश्रम के संचालक में बताया कि उन्हें डॉक्टरों द्वारा रक्त कैंसर का रोगी बताया गया था वही उनका जीवनकाल कुछ वर्षों का शेष बताया गया था। मौत को सामने देखकर उन्होंने जीवन भर की कमाई दान करने का संकल्प लिया। इसी दौरान वर्ष 2021 में। उनकी धर्मपत्नी मालती देवी का स्वर्गवास हो गया पत्नी के देवी छवि से प्रभावित होकर उन्होंने पत्नी की स्मृति में आश्रम स्थापना का संकल्प लिया। जिला प्रशासन द्वारा उन्हें अस्पताल परिसर में भूमि उपलब्ध कराई गई। इसके उपरांत उन्होंने आश्रम भवन का निर्माण कराया। आश्रम की इमारत वर्ष -2022 में पूर्ण हुई। जिससे यहां आने वालें नागरिकों को व्यवस्थित सुविधा मिलने लगी।