बालोद

रॉयल्टी के 6.26 अरब रुपयों में से प्रभावित क्षेत्र राजहरा को मात्र 5 करोड़
07-Aug-2024 4:50 PM
रॉयल्टी के 6.26 अरब रुपयों में से प्रभावित क्षेत्र राजहरा को मात्र 5 करोड़

 डीएमफ़ की राशि का बंदरबाट- व्यापारी संघ

हाइकोर्ट में दायर याचिका में खुलासा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

दल्ली राजहरा, 7 अगस्त। राजहरा व्यापारी संघ के द्वारा अटल योग सदन राजहरा में प्रेस वार्ता रखी गई थी, जिसमें खनिज न्यास निधि में बीएसपी के द्वारा प्रतिवर्ष लगभग एक हजार करोड़ रुपए देने और उसका उपयोग दल्ली राजहरा में न करके राज्य सरकार के द्वारा अन्य जगह करने पर राजहरा की हो रही दुर्दशा के संबंध में विस्तृत से चर्चा की गई। बताया गया कि रॉयल्टी के 6.26 अरब रुपयों में से प्रभावित क्षेत्र राजहरा को मात्र 5 करोड़ मिले।

इस संबंध में राजहरा व्यापारी संघ के अध्यक्ष गोविंद वाधवानी ने कहा कि दल्ली राजहरा में बीएसपी द्वारा संचालित प्राथमिक शाला और हाईस्कूल हुआ करते थे, जिसमें हाई स्कूल में थे बीएसपी हाई स्कूल क्रमांक 1 ,2 ,और 3 प्राथमिक शाला में क्रमांक 6 , 22,  28 ,30 और 32 सीनियर सेकेंडरी स्कूल अंग्रेजी माध्यम प्राथमिक एवं हाई स्कूल आज सभी स्कूल बंद हो चुके हैं।

 सरकार द्वारा संचालित पूर्व माध्यमिक शाला पंडर दल्ली एवं पुराना बाजार है, वहीं हाई स्कूल के रूप में नेहरू स्कूल चल रहा है। सरकार के द्वारा दल्ली राजहरा को एक दुधारू गाय के रूप में ही उपयोग किया गया। दल्ली राजहरा के विकास की ओर कभी भी ध्यान नहीं दिया गया। राजहरा की स्थिति दयनीय होती जा रही है।

केंद्र सरकार ने खनिज न्यास प्रभावित क्षेत्र के लिए एक नियम बनाया गया था, जिसके तहत प्रभावित क्षेत्र के आसपास के 15 किलोमीटर के दायरे में निवासरत लोगों को स्वास्थ्य ,शिक्षा ,शुद्ध पेयजल , बच्चों के खेलकूद , सडक़ सहित अन्य बुनियादी सुविधाएं उपलब्ध कराना सुनिश्चित किया था, जिसके लिए खदान से फ़ंड के रूप मे सरकार के द्वारा लगभग 12 फीसदी की राशि सरकार द्वारा निर्धारित की गई है। इस 12 फीसदी की राशि से जो आय सरकार को प्राप्त होगी उसमें 60 फीसदी की राशि खनन क्षेत्र और 40 फीसदी की राशि सरकार अन्य क्षेत्र में खर्च कर सकती है, लेकिन यह सब कागजों तक ही सीमित रह गया है।

 सरकार द्वारा राजहरा वासियों को बड़े बड़े सपने दिखाए जा रहे हैं। अब बहुत हो गया। हर बार हमारी मांग को अनदेखा कर दिया जा रहा है। इस बार पूरे राजहरा के सभी समाज ,सभी राजनीतिक दल , सभी श्रमिक संगठन और धार्मिक संगठन को एक करके एक विशाल रैली कलेक्टरेट ऑफिस के लिए निकाली जाएगी।

 पिछले बार तो लगभग 600 लोगों की बाइक रैली निकाली गई थी, लेकिन अब शहर के साथ हो रहे अन्याय के खिलाफ उससे कई गुना ज्यादा लोग कलेक्टर ऑफिस पहुंच कर खनिज न्यास निधि के नाम से जो राशि सरकार को दी जाती है, उसे पूरे दल्ली राजहरा के विकास के लिए खर्च करने कलेक्टर के निवेदन किया जाएगा।

बीएसपी की माइनिंग से प्रभावित इलाके में विकास कार्य की राशि नहीं देने पर हाईकोर्ट ने शासन और भिलाई इस्पात संयंत्र से जवाब मांगा तो प्रबंधन और शासन ने जवाब प्रस्तुत कर दिया है। अब एक सप्ताह बाद अगली सुनवाई होगी। मामले में सामाजिक कार्यकर्ता कृष्णा सिंह ने जनहित याचिका दायर की थी। उन्होंने बताया कि दल्लीराजहरा में माइनिंग से पर्यावरण, गांव की कृषि भूमि और जनजीवन प्रभावित होता है। क्षेत्र के विकास में राशि खर्च नहीं की जा रही।

याचिकाकर्ता कृष्णा सिंह ने बताया कि कोविड सेंटर को 30 बिस्तर अस्पताल में तब्दील करने के नाम पर 10 करोड़ की राशि डीएमएफ फंड से आवंटित की गई है। आज वहां स्थिति जाकर देखें तो पुराने बीएसपी के भवन को 10 करोड़ रूपए खर्च करके किस तरह से उसको अस्पताल में तब्दील की गई यह नजर आता है। अस्पताल के नाम पर मात्र दिखावा बन कर रह गया है जो सुविधा होनी चाहिए वह वहां पर कुछ भी नहीं है, जबकि नियम के तहत केंद्र और राज्य सरकार के किसी भी योजना में डीएमएफ फंड की राशि को खर्च नहीं किया जा सकता है।

 सरकार द्वारा राजहरा के पूरे 27 वार्ड के लिए। प्रत्येक वार्ड के लिए 2,70,000 रुपए की राशि फिल्टर प्लांट के नाम पर आवंटित किया गया है,  लेकिन इस राशि का उपयोग राजहरा के वार्डवासियों को अभी तक नहीं मिल पाया है।

 छत्तीसगढ़ समन्वय समिति के महासचिव ,साहू समाज के पूर्व अध्यक्ष एवं यूनियन प्रतिनिधि तोरण लाल साहू ने बताया कि दल्ली राजहरा की स्थिति दयनीय होती जा रही है। बीएसपी में नई भर्ती होनी बंद हो चुकी है, जो भी हो रहा है वह ठेका श्रमिक है। लगभग 4 साल के अंदर 70 फीसदी व्यक्ति रिटायरमेंट हो जाएंगे।  दल्ली राजहरा को बचाने के लिए एक बहुत बड़ी योजना की अति आवश्यक है।  बैठक में भाजनपा की वार्ड नंबर 26 की पार्षद  टी. ज्योति ने भी अपनी बात रखी।

भाजपा युवा मोर्चा के अध्यक्ष संजीव सिंह ने अपना दर्द बयां करते हुए प्रेस वार्ता में कहा कि हर कोई जानता है की शहर का दोहन हो रहा है, लेकिन यहां के नागरिक सांसद और विधायक के पीछे पड़ा रहा। स्कूल और अस्पताल खत्म हो जाता रहा। यहां की पूरी सुविधाएं डौंडी और बालोद में स्थानांतरित हो गई, तब भी यहां के ट्रेड यूनियन, राजनेता और राजनीतिक पार्टी सब चुप थे। इस कारण सारी व्यवस्था राजहरा से बाहर चली गई। आज 70 फीसदी राजहरा खाली हो चुका है। अब एक नया शुरुआत हो रहा है इसके लिए सभी ट्रेड यूनियन और सभी नागरिकों को आगे आना होगा।

याचिकाकर्ता कृष्णा सिंह ने जो कदम उठाया गया है वह तारीफ के काबिल है लेकिन इसके लिए पूरे राजहरा को पूरी तरह से भेदभाव भूलकर कर एक होकर मु_ी बांधकर काम करना होगा,  तभी राजहरा का विकास होगा।


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