बिलासपुर

1922 में इसी जेल में माखनलाल चतुर्वेदी ने रची थी यह कालजयी कविता, उप मुख्यमंत्री अरुण साव रहे मौजूद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बिलासपुर, 29 अगस्त। स्वतंत्रता संग्राम सेनानी और सुप्रसिद्ध साहित्यकार एक भारतीय आत्मा कहे जाने वाले स्व. माखनलाल चतुर्वेदी की कालजयी कविता पुष्प की अभिलाषा का सामूहिक पाठ गुरुवार को बिलासपुर केन्द्रीय जेल में किया गया। आयोजन में उप मुख्यमंत्री एवं जिले के प्रभारी मंत्री अरुण साव विशेष रूप से उपस्थित हुए।
कार्यक्रम में बड़ी संख्या में कैदियों ने सामूहिक स्वर में कविता का पाठ किया। इसी केन्द्रीय जेल में निरुद्ध रहते हुए माखनलाल चतुर्वेदी ने 18 फरवरी 1922 को इस कविता की रचना की थी। जेल प्रशासन ने एक समाचार संस्थान के सहयोग से इस समारोह का आयोजन किया। इसमें विधायक सुशांत शुक्ला, वरिष्ठ साहित्यकार सतीश जायसवाल, संपादक एवं कवि देवेंद्र कुमार सहित अनेक गणमान्य और अधिकारी उपस्थित थे।
उप मुख्यमंत्री अरुण साव ने चतुर्वेदी के चित्र पर माल्यार्पण कर श्रद्धांजलि अर्पित की। उन्होंने कहा कि यह कविता देशभक्ति और बलिदान की अद्भुत प्रेरणा देती है। इसमें एक फूल की इच्छा व्यक्त की गई है कि वह सम्राट या देवता के चरणों में न चढक़र उस मार्ग में कुचला जाए, जहां से सेनानी देश की आज़ादी की लड़ाई लड़ते हुए गुजरें। साव ने कहा कि यह कविता त्याग और राष्ट्रप्रेम का अमूल्य प्रतीक है और बिलासपुर सहित पूरे छत्तीसगढ़ के लिए एक बड़ी धरोहर है।
समारोह में दीपक सिंह और मोहित जायसवाल भी उपस्थित रहे। अंत में जेल अधीक्षक खोमेश मंडावी ने आभार व्यक्त किया।