बीजापुर

पढ़ाने नहीं जाते शिक्षक, लेकिन हर माह वेतन का भुगतान
02-Jun-2024 7:47 PM
पढ़ाने नहीं जाते शिक्षक, लेकिन हर माह वेतन का भुगतान

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

भोपालपटनम, 2 जून। बीजापुर जिले के प्राथमिक शाला बंदेपारा में पदस्थ शिक्षक साल भर स्कूल में दखल नहीं देने के उसके बावजूद भी उनका वेतन नहीं रुकता है।

इधर गांव वालों की माने तो बंदेपारा में पदस्थ शिक्षक गोटे गणपत साल भर स्कूल में नहीं आए है सिर्फ राष्ट्रीय पर्व पर आकर झंडा फहराकर चले जाते थे। बच्चों को पढ़ाने कभी रूककर उनकी क्लास नहीं ली है। बच्चों को शिक्षादूत ही पढ़ाते हैं।

गांव वालों का आरोप है कि वहां पदस्थ शिक्षक कभी नहीं दिखते हैं। उन्होंने बताया कि बच्चों को वो अच्छी शिक्षा देना चाहते हैं, लेकिन हमारे गांव में कोई ध्यान नहीं देता। बिना ड्यूटी किए उन्होंने इतनी जबरदस्त सेटिंग जमा रखी है कि घर बैठे सारा काम कागजों में कर रहे हैं और हर माह पैसा भी निकल लेते हंै।

2005 से बंद पड़े स्कूलों खोलकर शिक्षा देने की मंशा पर पानी फेर रहे शिक्षक

सन 2005 में सलवा जुडूम के दौरान नक्सली हिंसा को देखते हुए बीजापुर जिले के लगभग 350 स्कूलों को बंद कर दिया गया क्योंकि उन स्कूल भवनों को नक्सलियों ने महज इसीलिए तोड़ दिया था ताकि सुरक्षा बल के जवान उन स्कूल भवनों में शरण न ले सके, परंतु पिछले 5 सालों में सरकार की मंशा अनुसार काफी मेहनत के बाद बन्द स्कूलों में से तकरीबन 300 स्कूलों को पुन: खोलकर संचालन किया जा रहा है।

नए सिरे से स्कूल संचालन के लिए गांव में पहले झोपडिय़ां बनाई गई तो बाद में अब वहां स्कूल शेड का निर्माण कराया गया है जहां पर बच्चों को शिक्षा की मुख्य धारा से जोडऩे के लिए गांव के ही पढ़े-लिखे युवाओं को शिक्षादूत बनाकर पदस्थ किया गया है, वहीं दूसरी ओर  स्कूलों में शिक्षकों की भी पदस्थापना की गई है परंतु बच्चों को शिक्षित करने के सरकार की मंशा और महत्वाकांक्षी योजनाओं पर बीजापुर जिले के शिक्षक किस तरह पानी फेर रहे हैं।

इसका जीता जागता उदाहरण भोपालपटनम ब्लॉक में देखने को मिल रहा है जहां पर बच्चों की शिक्षा और उनका भविष्य अंधकार के गर्त में डूबता हुआ नजर आ रहा है, क्योंकि जिन शिक्षकों को उन बच्चों को शिक्षित करने के लिए पदस्थ किया गया है वे महज साल में सिर्फ दो दिन ही स्कूल जाकर पूरे साल का वेतन ले रहे हैं और सरकार की आंखों में धूल झोंक रहे हैं और उसके बाद वह कभी उन स्कूलों में झांकने तक नहीं आते हैं।

बिना स्कूल गए हर माह हो रहा पे-डाटा जमा

शिक्षक अपनी अधिकारियों के बीच अच्छी पैठ जमा कर रखे हुए हैं।उनके बगैर ड्यूटी किए पे-डाटा जमा कर पैसा भी निकला जा रहा है। नियुक्त किए गए अधिकारी समय-समय पर निरीक्षण नहीं करते, इसका फ़ायदा उठाते हुए या उनसे अपनी सेटिंग कर दूसरे कामों में व्यस्त हो जाते है, उन्हें बच्चों के भविष्य की कोई चिंता नहीं है।

निरीक्षण की कमी का नतीजा भोग रहे बच्चे

समय पर स्कूलों में निरीक्षण की कमी का नतीजा आदिवासी बहुल इलाके के बच्चे भोग रहे हैं। बंदेपारा अंदरूनी गांव होने की वज़ह से वह तक अधिकारी समय समय पर नहीं पहुंचते हैं। इसका सीधा फ़ायदा वहां पदस्थ टीचर उठाते हैं, उन्हें बच्चों की परवाह नहीं होती। ‘छत्तीसगढ़’ ने जब इस बात की पड़ताल की तो पता चला सीएसी बिना शाला प्रबंधन समिति और सरपंच के हस्ताक्षर के पे-डाटा जमा कर राशि आहरण कर रहे हैं।

संकुल समन्वयक पेगाड़पल्ली केशव प्रसाद साहू ने बताया कि पिछले सत्र में 2 बार बन्देपारा स्कूल का निरीक्षण किया था, एक बार अनुपस्थित शिक्षक को नोटिस भी दिया था और 3 बार बीईओ कार्यालय में लिखित शिकायत किया था। बावजूद उसके शाला समिति के अध्यक्ष सरपंच का साइन होकर आता है तो पे-डाटा में मंै भी साइन कर बीईओ कार्यालय भेज देता हूं। बंदेपारा में पदस्थ शिक्षक स्कूल जाते हैं, वहाँ से फोटो वीडियो भी शेयर करते हैं।


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