बीजापुर

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
भोपालपटनम, 23 मई। इंद्रावती टाइगर रिजर्व के एरिया में आए दिन वन्य प्राणी तस्करी के मामले सामने आने लगे हंै।
नेशनल पार्क और रिजर्व फारेस्ट के जंगलों मे बाघ, तेंदुआ, जंगली भैसा, भालू, हिरन व अन्य कई जानवरों का विचरण होता है विभाग के ट्रेकिंग कैमरे में आए दिन इसकी तस्वीरें खींचकर जानवर होने का प्रमाण देते हंै, पर इन जानवरों का संरक्षण करने कोई खास उपाए नहीं है.
इसका खामियाजा यह है कि बाघ, तेंदुए की खाल की तस्करी और बेशकीमती लकड़ी की तस्करी की खबरें निकलकर सामने आती है। पिछले साल भी बाघ की खाल के साथ रुद्रारम गांव से आरोपियों को पकड़ा गया था, जिनमें शासकीय कर्मचारी शामिल थे। बाघ की खाल होने की जानकारी जुटाने और पकडऩे तक के लिए गरियाबंद की टीम सक्रिय रही गरियाबंद एवं बीजापुर कि टीम ने कार्यवाही कर 30 से अधिक लोगों को जेल भेजा है।
इंद्रावती नेशनल पार्क बीजापुर छत्तीसगढ़ के बेहतरीन और सबसे प्रसिद्ध वन्यजीव उद्यान है। महाराष्ट्र के साथ लगभग 2799.08 किमी 2 के कुल क्षेत्रफल के साथ, 1981 में इंद्रावती राष्ट्रीय उद्यान की स्थिति में आया है 1983 में भारत के प्रसिद्ध प्रोजेक्ट टाइगर के तहत बाघ रिजर्व को सबसे प्रसिद्ध बाघ भंडार का दर्जा प्राप्त किया। इसको सहजने और जानवरो को सुरक्षित रखने के लिए फारेस्ट के कर्मचारियों को नियुक्त किया गया है। लेकिन जमीनी स्तर पर विभाग कि नाकामी दिखाई पड़ती है।
वन विभाग की आँख के नीचे बड़ी तस्करी, रोकथाम के दावे फेल
वन विभाग की आँख के नीचे जानवरों को मारकर और बाघ, तेंदुए कि खाल को बेचने का सिलसिला जारी है हाल ही मे तेलंगाना, महाराष्ट्र, छत्तीसगढ़ के बार्डर के जिले के अधिकारियों की बड़ी बैठक बीजापुर मुख्यालय में हुई थी। तस्करी रोकने और आपस में समन्वय बनाकर काम करने की सहमति बनी, जिसमें सभी जिलों के सीएफ, डीएफओ, रेंजर सहित रैंक के आला अधिकारी मौजूद रहे।
तस्करी माफियाओं का अड्डा बना पटनम
जिले अंतिम छोर में बसे भोपालपटनम क्षेत्र में आये दिन तस्करी के मामले सामने आते हंै। भोपालपटनम अभ्यारण क्षेत्र में माफिया वन्य प्राणियों का शिकार कर अवैध कारोबार में लगे हैं। विभाग इनपर कार्यवाही पार मौन सहमति बनाये हुए है।
वन्यजीवों की तस्करी पर पड़ोसी राज्य में हुई कार्रवाई
अंतरराज्यीय तस्करों का गिरोह काफ़ी समय से इस इलाके मे सक्रिय है। पड़ोसी राज्यों में बीजापुर जिले के आरोपी कई बार पकड़े जा चुके हैं। पैंगोलिन का शिकार कर उसकी खाल बेचने वालों पार महाराष्ट्र में कार्रवाई की गई थी, उसके बाद समय-समय पर पड़ोसी राज्य में वन्य जीवों और बेशकीमती लकडिय़ों को तस्करी करते पकड़ा गया है। बीजापुर जिले में देखा गया है कि सिर्फ चंद लकड़ी चोरों पर कार्रवाई कर अपनी पीठ थपथपाती रहती है, इनकी पकड़ से बड़े तस्कर बाहर हैं।