बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 24 सितंबर। धान बेचने के लिए किसानों को एग्रीस्टेक पंजीयन करना होगा। जिले मेें पूर्व सीजन में धान बेचने वाले 69 फीसदी किसानों का अब तक पंजीयन 2025-26 के दौरान धान बेचने के लिए हुआ है। वहीं एग्रीस्टेक पोर्टल में भी 11 हजार से अधिक किसानों का रिकॉर्ड अपडेट नहीं होने की वजह से पंजीयन का कार्य लंबित है। एग्रीस्टेक पंजीयन नहीं होने से प्रभावित किसानों को अपनी मेहनत की कमाई से समर्थन मूल्य पर बेचने से वंचित होना पड़ सकता है।
एग्रीस्टेक पोर्टल पर तकनीकी कारणों से प्रभावित होने वाले किसानों की संख्या जिले में हजारों की संया में पहुंच चुकी है। प्रभावित किसानों के अनुसार पंजीयन फाइनल नहीं हो रहा है। जिले में कई किसानों के नॉमिनी अपडेट नहीं होने और खसरा मिलान नहीं होने की वजह से पोर्टल में दर्ज नहीं हो रहा है। जिले में बीते फसल सीजन के दौरान समितियों में 1 लाख 57 हजार 455 धान बेचने वाले किसान थे, जिसमें से 1 लाख 37 हजार 903 किसान अपनी व्यक्तिगत जानकारी एग्रीस्टेक पोर्टल में दर्ज करा चुके हैं। वहीं 11 हजार 925 किसानों का रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार 1 लाख 49 हजार 828 किसानों का पंजीयन जारी है पर फाइनल नहीं हो पाया है। 7 हजार 627 किसानों का पंजीयन पोर्टल में अभी तक नहीं हो पाया है। फाइनल होने से बचे 11 हजार 925 किसान व पंजीयन कराने वाले किसानों की संया को मिलाकर जिले में 19 हजार 552 किसान पंजीयन से दूर हैं। पहले 1 लाख 65 हजार किसानों का पंजीयन हुआ था,
इस बार 112099 पहुंचा, डाटा अपडेट कराना जरूरी
एग्रीस्टेक पंजीयन व डाटा अपडेट कराने में हो रही दिक्कत की वजह की वजह से जिले के 102 सहकारी समितियों में 52 हजार से अधिक किसान का पंजीयान नहीं हुआ है। रिकॉर्ड के अनुसार बीते सीजन 2024-25 के दौरान जिले में समितियों में धान बेचने के लिए 1 लाख 64 हजार 699 किसानों ने अपने 1 लाख 91 हजार 568 हेक्टेयर रकबा की फसल बेचने के लिए पंजीयन कराया था, जिसमें से पूर्व सत्र के 1 लाख 11 हजार 72 किसानों का रिकॉर्ड इस सीजन के लिए कैरीफॉरवर्ड किया गया है, जिनका रकबा 1 लाख 34 हजार 270 हेक्टेयर का है। 1 लाख 11 हजार 72 किसानों में से 112 किसानों का पंजीयन रिकॉर्ड की कमी की वजह से निरस्त हो चुका है। पूर्व सीजन के विपरीत इस सीजन में केवल 69.26 प्रतिशत पंजीयन हो पाया है। बचत कैरीफॉरवर्ड की प्रक्रिया अपडेट की कमी की वजह से लंबित है। नए सीजन के लिए 102 समितियों मे 1027 नए किसानों ने अपने 620 हेक्टेयर की धान की फसल बेचने के लिए पंजीयन कराया है। नए व पूर्व के किसान समेत अब तक 1 लाख 12 हजार 99 किसानों का 1 लाख 34 हजार 890 हेक्टेयर का पंजीयन धान बेचने के लिए हो चुका है। पूर्व की अपेक्षा 30 फीसदी कम रकबे का पंजीयन अब तक हुआ है। बीते 20 अगस्त तक जिले में 23 हजार 333 किसानों का व्यक्तिगत रिकॉर्ड अपडेट नहीं हुआ था। जबकि आज की तिथि में 11 हजार 925 किसानों का रिकॉर्ड अपडेट नहीं हो पाया है। एक माह के दौरान जिले में पूर्व सत्र में धान बेचने वाले करीब 12 हजार किसानों का रिकॉर्ड अपडेट हुआ है। कमजोर रतार जारी रही तो पंजीयन की अंतिम तिथि तक 11 हजार 925 किसानों का रिकॉर्ड अपडेट होने की संभावना कम नजर आ रही है। एग्रीस्टेक पंजीयन नहीं होने से हजारों किसानों पर धान बेचने से वंचित रहने का खतरा बढ़ गया है।
मैं परेशान हो चुका हूँ पंजीयन कराने के लिए - दुखन यादव
ग्राम झाल के किसान दुखन यादव ने बताया कि किसान पंजीयन के लिए वो कई आवेदन कार्यालय में लगा चुका है पर उसका खसरा नंबर, जो उसके नाम पर दर्ज है, उसे एग्रीस्टेक पोर्टल में दर्शाया नहीं जा रहा है, जिसे सुधार कराने के लिए भटक रहा है। डाटा दर्शाये नहीं जाने की वजह से उसकी किसान आईडी नहीं बन पाई है। धान बेचने के लिए पंजीयन नहीं हो रहा है। किसान संतोष साहू ने भी इसी तरह की समस्या उसे भी होना बताया है। जिला कार्यालय के सूत्रों के अनुसार अपडेट नहीं होने से परेशान होकर कई किसान रोजाना आवेदन देने के लिए कलेक्टोरेट पहुंचते हैं।


