बेमेतरा
जोगी शासनकाल में कांग्रेस ने खोया था जनपद अध्यक्ष का पद
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 13 जनवरी। जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद इस बार सामान्य मुक्त है। पद भले ही सामान्य है पर कुर्सी तक पहुंचना सामान्य वर्ग के लिए आसान नहीं है। राज्य गठन के ढाई दशक का इतिहास साक्षी है कि जनपद पंचायत में जो अध्यक्ष, उपाध्यक्ष की कुर्सी पर बैठा उसकी राजनीति में ग्रहण लग जाता है। राज्य बनने के बाद ज्योतिष गणना बदल गई है।

जब राज्य बना तब नवागढ़ जनपद पंचायत में चंद्रिका साहू बतौर अध्यक्ष काबिज थी। उपाध्यक्ष की कुर्सी पर उबारन दास बर्मन थे। जोगी शासनकाल में राज्य में कांग्रेस ने नवागढ़ जनपद अध्यक्ष का पद खोया। इसके बाद से अब तक चंद्रिका साहू की जनपद में वापसी नहीं हुई। उपाध्यक्ष रहे बर्मन को सफलता नहीं मिली वे वकालत की पेशे में जुट गए। इसके बाद दाऊ लेखराम साहू अध्यक्ष, देवा दास चतुर्वेदी उपाध्यक्ष बने। बहुचर्चित शिक्षा कर्मी भर्ती विवाद चला, कार्यकाल पूरा दोनों ने किया इसके बाद साहू सन्यासी व चतुर्वेदी खिलाड़ी हो गए। फिर आया चमेली ध्रुव की बारी जो जनपद पंचायत में एक गुमनाम अध्यक्ष की किताब लिख गई। उपाध्यक्ष रहे मकसूदन साहू जनपद पंचायत की तस्वीर देखकर बिलख पड़ते हैं। दोनों दूसरी पारी में राजनीति में नजर नहीं आए। जनपद पंचायत में राज्य गठन के बाद चौथे अध्यक्ष की कुर्सी पर टारजन साहू बैठे। उपाध्यक्ष का कमान मनोज बंजारे को मिला। दोनों ने कार्यकाल पूरा किया बाद में इनकी वापसी नहीं हुई। पांचवे अध्यक्ष की कुर्सी पर अंजलि मारकंडे व उपाध्यक्ष की कुर्सी पर रितेश शर्मा काबिज है। अंजली हाईकोर्ट के भरोसे पद पर सुरक्षित है। मारकंडे एवं शर्मा की राजनीतिक भविष्य क्या होगा कुछ दिन में साफ हो जाएगा

..इसका मतलब ये नहीं कि सामान्य को मिल जाएगी कुर्सी
नवागढ़ जनपद पंचायत अध्यक्ष का पद सामान्य मुक्त है, इसका यह मतलब कतई नहीं कि कोई सामान्य वर्ग का सदस्य अध्यक्ष की कुर्सी पर पहुंच जाएगा। जनपद पंचायत का यदि पुराना पन्ना पलटा जाए तो सामान्य वर्ग से अध्यक्ष के लिए 2014 में आंनद वल्लभ सिंह ठाकुर प्रबल दावेदार थे। जनपद सदस्य उनके अगुवाई में जगन्नाथ पुरी की यात्रा कर राजधानी आए और एन वक्त पर तत्कालीन मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह से मिलते समय दूल्हा बदल गया और टार्जन साहू अध्यक्ष घोषित हो गए।

वल्लभ ठाकुर ने पांच साल पद की जगह प्रभाव का उपयोग किया लेकिन उस दिन को कोई याद दिलाता है है तो उनकी आंखे नम हो जाती है। यह उन दिनों की पीड़ा है जब सिपहसलार सामान्य थे अब तो पतंग रस्सी तोड़ चुकी है। जनपद में इस बार सामान्य वर्ग से कोई दावेदार नजर नहीं आ रहा है जो अध्यक्ष की लामबंदी करे। वैसे सामान्य वर्ग के लिए वातावरण अनुकूल नहीं है, क्योंकि पांच साल रहना है तो नीम को पीपल कहना है के सिद्धांत का जो पालन करेगा वहीं कुर्सी पर टिक पाएगा। बल्लू बलवान होंगे या खोरबहरा पहलवान कुछ दिन में समझ आ जाएगा वैसे अध्यक्ष के लिए अभी सियाराम बाबा का आशीर्वाद बाकी है।


