बेमेतरा

प्रेम और मानवता का संदेश दिया गुरु घासीदास ने-छाबड़ा
27-Dec-2023 7:13 PM
प्रेम और मानवता का संदेश दिया गुरु घासीदास ने-छाबड़ा

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता

बेमेतरा, 27 दिसंबर। ग्राम पंचायत सोंढ में आयोजित परम पूज्य बाबा गुरु घासीदास जयंती एवं भव्य पंथी प्रतियोगिता एवं मंडाई समारोह में मुख्य आतिथ्य आशीष छाबड़ा पूर्व विधायक शामिल हुए।

इस अवसर पर पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने कहा कि बाबा गुरु घासीदास जी एक ऐसे संत थे, जिन्होंने मानवता को बचाने के लिए मानव-मानव एक समान का संदेश दिया, ऊन्होंने समाज में फैली कुरीतियों को दूर करने के लिए समानता, भाईचारा, प्रेम और सद्भाव का भी संदेश दिया,गुरु घासीदास बाबा ने पूरी मानवता को सत्य, अहिंसा, प्रेम, शांति एवं भाईचारा का रास्ता दिखाया,बाबा ने मनखे-मनखे एक समान का संदेश दिया। जातिविहीन समाज की परिकल्पना करके सामाजिक समरसता को बढ़ावा दिया,संत किसी एक समाज के नही पूरे मानव समाज के होते हैं।

बाबा गुरू घासीदास का यह संदेश सभी समाजों के लिए अनुकरणीय है, गुरू घासीदास बाबा ने तात्कालीन समय में जब मानव-मानव में असमानता की भावना थी, उस समय ‘मनखे-मनखे एके बरोबर’ की भावना को जन-जन तक पहुंचाने का काम कि पंथी नृत्य के माध्यम से गुरू घासीदास जी के संदेशों को दूर-दूर तक पहुंचाने का कार्य किया गया है।

छत्तीसगढ़ी लोककला में लोकनृत्य संपूर्ण प्रमुख छत्तीसगढ़ के जनजीवन की सुन्दर झांकी है,राग-द्वेष, तनाव, पीड़ा से सैकड़ों कोस दूर आम जीवन की स्वच्छंदता व उत्फुल्लता के प्रतीक लोकनृत्य यहां की माटी के अलंकार है,छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य सुआ, करमा, पंथी नृत्य आदि है। छत्तीसगढ़ के लोकनृत्य में यहां की लोककला का प्राणतत्व है,यह मानवीय जीवन के उल्लास, उमंग-उत्साह के साथ परंपरा के पर्याय हैं,समस्त सामाजिक, धार्मिक व विविध अवसरों पर छत्तीसगढ़वासियों द्वारा अपनी भावनाओं को अभिव्यक्त करने के ये प्रमुख उद्विलास हैं। पंथी नृत्य के साथियों ने सतनाम पंथ के प्रवर्तक गुरु घासीदास जी के संदेशों को नृत्य- गीत के माध्यम से प्रस्तुत किया इस संदेश के साथ नृत्य की शानदार प्रस्तुति मांदर और झांझ की ताल, सामूहिक रूप से कलाकरों के पैरों की लय, कलाकरों के जोश और उनके करतबों ने, पिरामिड बनाकर सलामी की प्रस्तुति ने दर्शकों को सहसा अपनी ओर आकर्षित किया इस अवसर पर कविता साहू, नवाज खान,रवि परगनिया, हेमत चंदेल ,ईश्वर सिन्हा,राजेश दुबे,बल्लू सिंह राजपूत, रासबिहारी कुर्रे, रूपेंद्र पाटिल,नेहा सुराना,राजेश चंदेल, हन्नूराम डौंडे, राधेश्याम राजपुत, चंद्रकेश चालीसा,वरुण मारकंडे,मनमोहन जांगड़े, भारत जोशी,रामलाल गायकवाड़, मनोज भट्ट, मगलू जोशी, भवर सिंह,शकर हिरवानी,कुंजलाल,बृजगिलास कुर्रे, यशवंत,चंपपालाल चालीसा,मनोज कोसले,धनुष कोषले,राजकुमार सेन,गुड्डू सेन, गोविंदा राजपूत,,राजकुमार बंजारे सहित ग्रामवासी उपस्थित रहे।


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