बेमेतरा
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बेमेतरा, 28 अप्रैल। जिला अस्पताल में 40 लाख रुपए के दवाइयों की खरीदी से संबंधित दस्तावेज गायब है। ऐसी स्थिति में जिला अस्पताल में दवाइयों की सप्लाई किए दवा विक्रेताओं का 40 लाख रुपए का भुगतान बकाया है। भुगतान को लेकर दवा विक्रेता जिला अस्पताल के चक्कर काट रहे हैं। जहां भुगतान को लेकर संशय की स्थिति बनी हुई है, क्योंकि दवाइयों की खरीदी से संबंधित कई दस्तावेज गायब है।
अस्पताल प्रबंधन भुगतान को लेकर कुछ भी बोलने की स्थिति में नहीं है। वर्तमान सिविल सर्जन डॉ.एसआर चुरेन्द्र की ओर से भुगतान पर रोक लगाते हुए रिपोर्ट कलेक्टर को भेजी गई है। गौरतलब हो कि वर्ष 2021-22 में फरवरी-मार्च में दो करोड़ रुपए की दवाई खरीदी का मामला उजागर हुआ था। जिसमें तत्कालीन कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे।
पूर्व में दो करोड़ की दवाई खरीदी मामले में जांच के हुए थे आदेश
वर्ष 2021-22 मई तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से करीब दो करोड़ की दवाई समेत अन्य सामग्री की खरीदी की गई थी। इस खरीदी से संबंधित दस्तावेज नहीं पाए जाने पर तत्कालीन कलेक्टर भोस्कर विलास संदीपान ने जांच के आदेश दिए थे। जिसमें भौतिक सत्यापन और ऑडिट के लिए 7 सदस्य जांच टीम का गठन किया गया था। उस समय तत्कालीन सिविल सर्जन जांच दल के समक्ष आवश्यक दस्तावेजों के साथ उपस्थित नहीं हुई थी। यह जांच विभागीय प्रक्रिया में उलझ कर रह गई। जिसके कारण आज तक जांच रिपोर्ट प्रस्तुत नहीं हो पाई है।
स्टॉक पंजी गायब , शासन से प्राप्त फंड भ्रष्टाचार का भेंट चढ़ा
सिविल सर्जन के अनुसार वर्तमान में दवाइयों की खरीद से संबंधित दस्तावेज नहीं मिल पाए हैं। सप्लाई आर्डर, स्टॉक पंजी समेत अन्य दस्तावेज गायब है। ऐसी स्थिति में दवा विक्रेताओं को भुगतान नहीं हो पा रहा है। कलेक्टर के आदेश पर दवाइयों का भौतिक सत्यापन किया जा रहा है। सत्यापन की रिपोर्ट को कलेक्टर को सौंपा जाएगा। कलेक्टर के आदेश पर भुगतान को लेकर अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। जिला अस्पताल में मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सुविधा मिले इसके लिए राज्य और केंद्र सरकार की ओर से करोड़ों रुपए का फंड का आबंटन किया जाता है, लेकिन प्राप्त राशि भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ जा रही है।
29 एफवीसी बिल के जरिए करीब 2 करोड़ रुपए का भुगतान
प्रबंधन की ओर से वित्तीय वर्ष 2021-22 के माह फरवरी-मार्च में 29 एफवीसी बिल (फूली वाउचरड कंटीजेंट) प्रस्तुत किए गए थे। एफवीसी बिल यानी फर्म से खरीदी गई सामग्री के भुगतान के बिल ट्रेजरी में प्रस्तुत किया जाता है। आरटीआई से मिली जानकारी के अनुसार फरवरी माह में 15 और मार्च माह में 14 बिल प्रस्तुत किए गए। जिसमें सामग्री खरीदी के लिए फरवरी माह में 93 लाख 54 हजार 529 रुपए व मार्च माह में एक करोड़ 85 हजार 469 रुपए का भुगतान किया गया था। इस खरीदी में गड़बड़ी की शिकायत पर तत्कालीन कलेक्टर ने जांच के आदेश दिए थे।
तत्कालीन सिविल सर्जन ने की थी खरीदी, कलेक्टर ने सत्यापन रिपोर्ट मांगी
अस्पताल प्रबंधन से मिली जानकारी के अनुसार यह खरीदी तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से की गई थी। तत्कालीन सिविल सर्जन की ओर से खरीदी से संबंधित दस्तावेज उपलब्ध नहीं कराए जाने के कारण सिविल सर्जन ने भुगतान पर रोक लगाई हुई है। सिविल सर्जन के अनुसार इस संबंध में बेमेतरा कलेक्टर पीएस एलमा को जानकारी दी गई है। कलेक्टर ने बताया कि दवाइयों की खरीदी से संबंधित रिपोर्ट तलब की है। जिसमें खरीदी से संबंधित सारे दस्तावेज व भौतिक सत्यापन कर दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित होने की रिपोर्ट मांगी गई है। दवाइयों के भौतिक सत्यापन में खरीदी सही पाए जाने पर भुगतान किया जाएगा अन्यथा गलत बिल प्रस्तुत करने के लिए कार्रवाई को लेकर शासन को रिपोर्ट भेजी जाएगी।
कलेक्टर पीएस एल्मा ने कहा कि दवाइयों की खरीद से संबंधित आवश्यक दस्तावेजों के गायब होने की जानकारी सिविल सर्जन की ओर से दी गई है इसलिए दवा विक्रेताओं के भुगतान पर रोक लगा दी गई है।
सिविल सर्जन को भौतिक सत्यापन कर रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं। भौतिक सत्यापन की रिपोर्ट के आधार पर भुगतान की अग्रिम कार्रवाई की जाएगी। जिसमें दवाइयों की उपलब्धता सुनिश्चित होने पर भुगतान किया जाएगा अन्यथा जिम्मेदार पर कार्रवाई की जाएगी।


