बेमेतरा

आशीष मिश्रा
बेमेतरा, 13 अक्टूबर (‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता)। दीवाली के पूर्व कुम्हार परम्परागत तरीके से दीपक व अन्य आवश्यक मिट्टी के पात्र बनाने में जुटे हुए हैं। ग्राम धनगांव , झाल , दाढ़ी , देवकर खंडसरा समेत अनेक स्थानों पर रहकर पात्र बनाने का काम कर रहे हैं।
जिले के कुम्हारों के चेहरे में दिपावली में दीगर कारोबार में हो रहे बेहतर कामकाज को देखते हुए अपने परम्परागत कारोबार को गति मिलने की संभावना को देखते हुए उत्साह दिखाई दे रहा है। खेती-किसानी से लेकर परम्परागत ब्यवसाय को बल मिला है। आधुनिकता की इस दौर में विलुप्त हो रहे मिट्टी कला को फिर से कोरोना काल के बाद कारोबार करने का अवसर नजर आने लगा है।
ग्राम धनगांव के कुम्हार फिर से अपने हुनर को तराशने और अपने पुरखों के ब्यवसाय को आगे बढ़ाने में जुट गए है। दीपावली में बेहतर काम होने की संभावना देखते हुए 15 दिन पूर्व से तैयारी में जुट गए है। दीया , नादी , गोपालिन व लक्ष्मी की प्रतिमा बनाने का काम किया जा रहा है।
रंग-पेंट के दाम महंगे होने से नहीं निकल रही मजदूरी
ग्राम धनगांव गांव के कुम्हार वर्षों से अपने पूर्वजों की विरासत को संजोये मिट्टी के बर्तन, खिलौने और मूर्तियां बनाने के काम कर रहे हैं। गांव में 10 परिवार के कुम्हारों के जीविका का साधन मिट्टी के पात्र बेचना ही है परंतु अब अत्याधुनिक के समय में कुम्हारों का व्यपार चौपट होते जा रहा है और उनका परिवार आर्थिक संकट से गुजर रहा है। वही सरकार के पास भी कोई ऐसी योजना नही जिससे इनके व्यपार को कोई फायदा हो सके।
फ्रीज और फैंसी सामग्रियों से धंधा चौपट
पहले कुम्हारों का चाक साल भर चला करता था। फुर्सत नहीं मिलती थी। कमाई भी होती थी परंतु धीरे-धीरे प्लास्टिक और स्टील के बर्तनों की वजह से मिट्टी के बर्तनों की बिक्री कम होने लगी। वहीं अब केवल गर्मियों में मिट्टी के बर्तन विशेष अवसरों में मिट्टी की मूर्तियां और दिवाली में दिए की ही बिक्री कुम्हार करते हैं उसके बाद उनके पास कोई भी कार्य करने को नहीं है जिससे बेरोजगारी उन पर हावी है और धीरे-धीरे उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर होती जा रही है। कुमार दयालु चक्रधारी, सुनील चक्रधारी ने बताया कि 50 वर्षों से अधिक से उनके पूर्वजों के द्वारा मिट्टी के बर्तन बनाया जाता है आज भी उनकी यह परंपरा जारी है उन्होंने बताया की महंगाई के कारण उन्हें उनकी मेहनताना का उचित दाम नहीं मिल पाता है जिससे उन की आर्थिक स्थिति बिगड़ते जा रही है।