बेमेतरा

पंचायत प्रतिनिधियों को मिले कर्मचारी राज से मुक्ति- प्रज्ञा
25-Apr-2022 4:00 PM
पंचायत प्रतिनिधियों को मिले कर्मचारी राज से मुक्ति- प्रज्ञा

बेमेतरा, 25 अप्रैल। राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस पर जिला पंचायत सदस्य प्रज्ञा निर्वाणी ने देश के केंद्रीय ग्रामीण पंचायत विकास मंत्री गिरिराज सिंह को पत्र लिख कर पंचायतो और पंचायत के चुने हुए प्रतिनिधियों को अधिक अधिकार सम्पन्न बनाने की मांग रखी है। अपने पत्र में उन्होंने लिखा है मैं खुद जिला पंचायत सदस्य के तौर पर 2 वर्षों से कार्य कर रहीं हूँ।

उन्होंने कहा कि मेरा व्यक्तिगत अनुभव है पंचायती राज के संस्थान हाथी दाँत की तरह हैं दिखने में तो ऐसे मजबूत पर काम सिर्फ नाम का, ग्रामीण आस्थाओं के केंद्र ग्रामीण सचिवालयों में गांव के लोगों के काम नहीं हो पाते, उन्हें च्वाइस सेंटर में पैसे खर्च कर अपने दस्तावेज निकलवाने पड़ते हैं।

राज्य से आये हुए फंड मदबंध होते हैं,गाँव की जरूरतो और प्राथमिकताओं को वहां के चुने हुए पंच और सरपंच बेहतर समझेंगे न कि दिल्ली के आरामदेह वातानुकूलित कक्षो में बैठे अधिकारी, पंचायतों में मिलने वाले टाइड फंड विकास में बाधक और भ्रष्टाचार की जननी भी,गाँव मे जरूरत है। नाली की पैसा आता है पंचायत में सोलर पैनल लगाने के लिए, गांव में जरूरत है गली निर्माण के लिए पैसा आता है वाटर हार्वेस्टिंग के लिए और पंच सरपंच की मजबूरी होती है।

बिना आवश्यकता उसे खर्च करे, पंच, सरपंच, जनपद सदस्य और जिला पंचायत के चुने हुए जनप्रतिनिधि अधिकारी कर्मचारी से अपने क्षेत्र में काम करवाने चिरौरी करते रहते हैं, साहब ये करवा दो, साहब वो करवा दो, उन्होंने भावुक होते लिखा कि कोई भी जनप्रतिनिधि जो पंचायत ने निचले स्तर से चुनकर आता है उसके मन मे एक सपना होता है वह विकास में अपना योगदान देगा,फलाना परिवर्तन लाएगा पर व्यवस्था में घिरकर वह योगदान देने के बजाय सिर्फ दान पाने के योग्य ही रह जाता है।यह कड़वी हक़ीक़त है।

राजीव ने देखा था पंचायतीराज का सपना
हमारे देश के सबसे युवा प्रधानमंत्री रहे राजीव गाँधी ने पंचायती राज और उसके सुदृढ़ीकरण का सपना देखा था,देश मे एक शसक्त त्रि स्तरीय पंचायत प्रणाली का, उसे पूरा करने की जिम्मेवारी हम सभी चुने हुए जनप्रतिनिधियों  की है। यह दिन राष्ट्रीय पंचायती राज दिवस के शुभकामनाओ का है,परंतु मेरे विचार से यह दिन इसमें आ गई और समा गई न्यूनताओं को दूर करने का भी है,पंचायती राज के सबसे छोटी इकाई के प्रतिनिधि ग्राम पंचायत के पंच अपने कार्यकाल को रेखांकित कर सकने उसे शक्ति सम्पन्न बनाने का दिन है,पंचायतों के ग्राम सभा मे न आकर पास ही खड़े ठेले में पान चबा रहे गाँव के युवाओ के मन मे इस संस्थान की प्रतिष्ठा को पुनर्स्थापित करने का दिवस है,पंचायतों को सहीं मायनो में स्वायत्त और पंचायत के चुने हुए जन प्रतिनिधियों को अधिकारी कर्मचारी के उंगलियों में नाचने से मुक्त कराने का दिवस है। मुझे उम्मीद है यह बदलाव आप लाएंगे,क्योंकि यह दिवस हमे अपने देश में पंचायत के सर्वोच्च मुखिया से अपने अधिकारों और हक़ की बात रखने का भी दिवस है।
 


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