बस्तर

जगदलपुर, 1अप्रेल । सर्व आदिवासी समाज युवा प्रभाग जिला उपाध्यक्ष भरत कश्यप ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि लोहंडीगुड़ा गोलीकांड के शहादत दिवस के अवसर पर बस्तर के स्थानीय जनप्रतिनिधि व राज परिवार के सदस्य शहादत स्थल पर नहीं पहुँचे और न ही किसी प्रेस मीडिया या फेसबुक या व्हाट्सएप के माध्यम से श्रद्धांजलि अर्पित किया गया है, यह बस्तर वासियों के लिए बहुत बड़ी दु:ख की बात है ।
आज हमारे आदिवासी समाज के वर्तमान सांसद, विधायक, मंत्री व पुर्व सांसद, विधायक आदिवासी भावनाओं को ना समझते हुए 31मार्च शहीद दिवस के अवसर पर यहां आना तक जरूरी नहीं समझा, जबकि जनप्रतिनिधियों द्वारा आदिवासी वोट हासिल करके लोकसभा व विधानसभा तक पहुंचते हैं। सत्ता की नशा में चूर, जनप्रतिनिधियों को समझना चाहिए आदिवासियों भावनाओं को ठेस पहुंचाकर किस मुंह से अगले चुनाव में आदिवासियों से वोट मांगने आयेंगे? लगता है जैसे जनप्रतिनिधि हमारे आदिवासी समाज को भूल रहे हैं ।
ज्ञात हो कि लोहंडीगुड़ा गोलीकांड में लगभग सैकड़ों आदिवासियों की गोली मारकर हत्या हुई थी, लेकिन बस्तर के जनप्रतिनिधियों के जूं तक नहीं रेंग रही है। दिखावा का राजनीतिक कब तक चलेगा? अगर आदिवासियों के प्रति सोचते तो आज इतने शहीद आदिवासी को श्रद्धांजलि अर्पित करते । लेकिन आज कांग्रेस, बीजेपी या तमाम प्रकार के संगठन आज आदिवासी समाज के ऊर्जावान शहीद वीरों को नमन तक नहीं किया, यह बेहद दु:ख की बात है। यह घटना के 60 वर्ष पूरे हो जाने के बाद भी आदिवासी समाज द्वारा शहीद स्मारक की मांग को अब तक पूरा नहीं कर सका गया है,जबकि कांग्रेस व भाजपा दोनों ने लंबे समय तक सत्ता का सुख भोगा है। दोनों ही पार्टियों को जवाब देना चाहिए कि 31 मार्च 1961 में शहीद हुए आदिवासियों को शहीद का दर्जा देने में उतना क्यों घबरा रही है। इस बात को सर्व आदिवासी समाज समझ रहा हैं स्थानीय जनप्रतिनिधियों का समाज के प्रति क्या सोच है जल्द ही उचित समय पर उजागर कर इनको बेनकाब किया जाएगा।