बस्तर
जगदलपुर में स्वदेशी मेला, 300 से अधिक स्टॉल बने आकर्षण का केंद्र
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
जगदलपुर, 9 अक्टूबर। देश की आत्मा में बसे स्वदेशी भाव को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से आयोजित स्वदेशी मेला के विशेष कार्यक्रम में बुधवार को प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, विधानसभा अध्यक्ष एवं वरिष्ठ भाजपा नेता डॉ. रमन सिंह ने कहा कि भारत के गौरव को पुन: स्थापित करने के लिए स्वदेशी वस्तुओं को अपनाना समय की मांग है।
उन्होंने कहा कि कभी भारत की जीडीपी विश्व की 23 प्रतिशत हुआ करती थी, क्योंकि लोग स्वदेशी उत्पादों का प्रयोग करते थे, लेकिन विदेशी वस्तुओं के अंधाधुंध प्रयोग से यह घटकर 2 प्रतिशत से भी कम तक सिमट गई है। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में चल रहे च्च्वोकल फॉर लोकलज्ज् अभियान के सकारात्मक परिणाम शीघ्र ही देखने को मिलेंगे और भारत की अर्थव्यवस्था और भी मजबूती की ओर बढ़ेगी।
डॉ. सिंह ने मेला प्रांगण का अवलोकन करते हुए डिजिटल भुगतान के माध्यम से एक सुंदर कालीन खरीदी और स्वदेशी उत्पादों की गुणवत्ता की प्रशंसा की। उन्होंने कहा कि यह मेला केवल व्यापार नहीं, बल्कि आत्मनिर्भर भारत के विचार को जन-जन तक पहुँचाने का सशक्त माध्यम है।
मेला संयोजक किशोर पारख ने अपने स्वागत उद्बोधन में कहा कि जगदलपुर में स्वदेशी मेला का आयोजन नगर के लिए गौरव की बात है। उन्होंने बताया कि इस मेले में देश के 20 से अधिक राज्यों के 300 से अधिक स्टॉल लगाए गए हैं, जिनमें हैंडलूम, हस्तशिल्प, जैविक उत्पाद, आयुर्वेदिक दवाएं, पारंपरिक परिधान और जनजातीय उत्पाद प्रमुख आकर्षण बने हुए हैं। उन्होंने केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह, मुख्यमंत्री श्री विष्णु देव साय, भाजपा के वरिष्ठ नेता श्री मुरलीधर राव एवं आज के मुख्य अतिथि डॉ. रमन सिंह के आगमन को अभूतपूर्व बताया।
पुरस्कार वितरण और सांस्कृतिक प्रस्तुति से गूंजा मेला परिसर
कार्यक्रम के दौरान आयोजित विभिन्न प्रतियोगिताओं के विजेताओं को डॉ. रमन सिंह ने मंच पर पुरस्कृत किया। इस अवसर पर उन्हें स्मृति चिन्ह भी भेंट किया गया।
मेला सह संयोजक देवेंद्र देवांगन ने धन्यवाद ज्ञापन देते हुए कहा कि स्वदेशी मेला का उद्देश्य न केवल उत्पादों का प्रचार है, बल्कि यह एक सांस्कृतिक उत्सव है जो देश की मिट्टी से जुड़ाव को मजबूत करता है।कार्यक्रम संचालन श्री ब्रिज धुर्वे और श्रीमती हितप्रीता ठाकुर ने किया। इसके पश्चात मंच पर स्थानीय कलाकारों द्वारा प्रस्तुत लोकनृत्य और गीतों ने पूरे परिसर को सांस्कृतिक रंगों से सराबोर कर दिया।
स्वदेशी मेले ने न केवल व्यापार और रोजगार का मंच दिया है, बल्कि बस्तर की धरती पर ‘स्वदेशी से देश की समृद्धि’ के भाव को नई ऊर्जा के साथ जीवंत किया है।


