बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज़, 23 अक्टूबर। दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा के अवसर पर ग्राम विजयनगर एवं गम्हरिया में यादव समाज द्वारा पारंपरिक ‘गाय डाढ़’ का भव्य आयोजन श्रद्धा एवं उल्लास के साथ संपन्न हुआ। आयोजन में सैकड़ों ग्रामीणों की उपस्थिति ने पूरे क्षेत्र में धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का माहौल बना दिया।
बताया जाता है कि ‘गाय डाढ़’ की यह परंपरा आज़ादी से पहले की है, जिसे यादव समाज ने पीढ़ी दर पीढ़ी संजोकर रखा है। पूजा-अर्चना और विधि-विधान के बाद सैकड़ों गायों को एकत्र कर आयोजन की शुरुआत की गई। परंपरा के अनुसार गायों के बीच एक सूअर को छोड़ा जाता है, जबकि ग्रामीण अपने-अपने बछड़ों को थामे रहते हैं। मातृत्व और सुरक्षा की भावना से प्रेरित होकर गायों का समूह सूअर पर आक्रामक प्रतिक्रिया देता है — यह दृश्य श्रद्धा, रोमांच और ग्रामीण संस्कृति का अद्भुत संगम प्रस्तुत करता है।
इस दिन की विशेष मान्यता यह भी है कि गोवर्धन पूजा के दिन गायों को नहीं दूहा जाता, ताकि उन्हें विश्राम मिल सके। यह परंपरा पशु-समर्पण, संवेदनशीलता और पर्यावरणीय संतुलन के प्रतीक रूप में देखी जाती है।
आयोजन के दौरान लठ चलाकर लठमार प्रतिस्पर्धा का भी आयोजन किया गया, जिसने दर्शकों का भरपूर मनोरंजन किया। चारों ओर ‘गोवर्धन महाराज की जय’ और ‘जय गौ माता’ के जयघोष गूंजते रहे।
इस अवसर पर अनोज यादव, अशर्फी यादव, संतोष पांडेय, नरेश यादव, जसवंत सिंह, बाबूलाल यादव सहित बड़ी संख्या में ग्रामीण उपस्थित रहे। सभी ने इस परंपरा को सहेजने और नई पीढ़ी तक पहुंचाने का संकल्प दोहराया। उपस्थित जनों ने बताया कि यादव समाज इस परंपरा को आज भी उसी श्रद्धा और समर्पण से निभा रहा है, जिससे हमारी संस्कृति जीवंत बनी हुई है।
‘गाय डाढ़’ जैसी परंपराएँ न केवल यादव समाज की आस्था और एकता की मिसाल हैं, बल्कि यह भारतीय ग्रामीण जीवन, पशु-पोषण संस्कृति और प्रकृति के प्रति सम्मान की सशक्त अभिव्यक्ति भी हैं।


