बलरामपुर
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
रामानुजगंज, 15 सितंबर। नवभारत साक्षरता कार्यक्रम ‘उल्लास’ भी लोगों के बीच चर्चा का केंद्र बना हुआ है। 2022 से 2027 तक चलने वाले इस महत्वाकांक्षी कार्यक्रम का मुख्य उद्देश्य 15 से 60 वर्ष तक के नवव्यक्तियों को शिक्षा की मुख्यधारा से जोडऩा है, ताकि समाज में कोई भी असाक्षर न रह जाए।
उल्लास’ कार्यक्रम में बुनियादी साक्षरता एवं संख्या ज्ञान - 15 वर्ष से अधिक आयु के असाक्षरों को पढऩा-लिखना और अंक ज्ञान सिखाया जाएगा।
. जीवन कौशल - वित्तीय, डिजिटल, कानूनी, आपदा प्रबंधन और चुनावी साक्षरता पर विशेष जोर रहेगा।
व्यावसायिक कौशल विकास - स्थानीय स्तर पर रोजगार दिलाने के लिए युवाओं को प्रशिक्षण देकर आत्मनिर्भर बनाने की पहल। बुनियादी शिक्षा (समतुल्यता कार्यक्रम) - नवसाक्षरों को आगे की पढ़ाई से जोडक़र औपचारिक शिक्षा की मुख्यधारा में शामिल करना। सतत शिक्षा - कला, विज्ञान, प्रौद्योगिकी, संस्कृति, खेल व मनोरंजन को शिक्षा से जोड़ते हुए जीवन कौशल को विकसित करना।
कार्यक्रम के तहत ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों में व्यापक सर्वे कर 100 प्रतिशत असाक्षरों को चिन्हांकित कर परीक्षा में बैठाने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके लिए हायर सेकेंडरी स्कूल में अध्ययनरत छात्र-छात्राओं को (वलंटियर टीचर) के रूप में नियुक्त किया जाएगा, जो 100 दिन तक अध्यापन कार्य करेंगे।
सबसे खास बात यह है कि इस अध्यापन कार्य में भाग लेने वाले विद्यार्थियों को बोर्ड परीक्षा में अतिरिक्त 10 अंक प्रदान किए जाएंगे। यह न केवल विद्यार्थियों को प्रोत्साहित करेगा बल्कि शिक्षा के क्षेत्र में एक बड़ी क्रांतिकारी पहल साबित होगी।
रामानुजगंज में जहाँ एक ओर माँ दुर्गा की भक्ति की गूंज सुनाई दे रही है, वहीं ‘उल्लास’ कार्यक्रम ने शिक्षा का नया उजाला बिखेरकर समाज को सशक्त और जागरूक बनाने की दिशा में मजबूत कदम बढ़ाया है।


