बलौदा बाजार

‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
कसडोल, 6 जुलाई। गौठानों में पानी पैरा की व्यवस्था नहीं है और न ही मवेशियों को गौठानों में देखा जा रहा है। परिणाम स्वरूप चाहे गांव हो अथवा शहर मुख्य सडक़ों को ही स्थाई आवास बना लिया है। जिससे आवागमन तो बाधित हो रही है। वहींमवेशियों की वाहनों की चपेट में आने से मौत भी हो रही है।
राज्य के सभी पंचायतों तथा नगरीय निकायों को 1 जुलाई से रोका-छेका कार्यक्रम प्रारंभ हो गया है। पर अब तक कसडोल विकासखंड के किसी भी गौठानों में न मवेशियों को देखा गया है और न ही अधिकांश गौठानों में उसकी समुचित व्यवस्था हो पाई है। लावारिस मवेशी दिन भर खेतों की फसलों को चरते हैं और शाम को मुख्य सडक़ों को अपना अड्डा बनाकर झुंड के झुंड बैठे रहते हैं।
मवेशियों के लिए सडक़ बना जान का खतरा
चाहे गांव हो अथवा शहर सडक़ों पर ही मवेशियों के झुंड देखा जा सकता है। रायपुर सरसीवां व्हाया बलौदाबाजार मुख्य सडक़ पर मवेशियों का जमावड़ा लगा रहता है। लवन कसडोल बसस्टैंड सिरपुर रोड बलार रोड बजरंग चौक पुराना थाना आदि सभी चौक चौराहों में मवेशियों को आराम फरमाते देखा जा सकता है। यही हाल मुख्य सडक़ से लगे गांव छरछेद छांछी पीसीद सेल कटगी अमोदी हसुवा बरपाली गिधौरी आदि सरसीवां के जाते तक अनेकों जगह मवेशियों को देखा गया है। जिसके आए दिन दुर्घटना में मौत की खबर आती रहती है।
उक्त सडक़ों पर रात रात भर सैकड़ों भारी गाडिय़ां चलती रहती है। जिसके चपेट में आकर मवेशी दबकर अथवा ठोकर खाकर मर जाते हैं। जिसे देखने वाला कोई नहीं रहता और सुबह मृत मवेशी को देखा जाता है। खबर है कि शनिवार की रात को ऐसे ही अज्ञात वाहन के चपेट में आने से 2 मवेशियों की मौत हो गई। इसी तरह 5 जुलाई की बीती रात किसी अज्ञात वाहन ने 11 मवेशियों की जान ले ली है । घटना बिलाईगढ़ के धोबनीडीह के पास गिधौरी सारंगढ़ मुख्य मार्ग की है।