बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 नवंबर। राज्य गठन के 25 वर्ष बाद भी बंजारी नाला पर पुल का निर्माण नहीं हो पाया है। ग्राम सुहेला से लगभग 5 किलोमीटर दूर पडक़ीडीह और आमाकोनी के बीच स्थित इस नाले को पार करने के लिए आज भी ग्रामीण और राहगीर जोखिम उठाकर गुजरने को मजबूर हैं।
स्थानीय ग्रामीणों के अनुसार, बारिश के मौसम में यह नाला पार करना और भी कठिन हो जाता है। आमाकोनी के पूर्व सरपंच डॉ. गणेश राउते, सरपंच मनीष साहू, पडक़ीडीह के पूर्व सरपंच सेवाराम ध्रुव, जसपाल रात्रे और गणेश वर्मा ने बताया कि नाले के दोनों किनारों की मिट्टी बहुत फिसलन भरी है। थोड़ी सी बारिश के बाद वाहन फिसलने लगते हैं, जिससे दुर्घटना की आशंका रहती है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण कई बार आवेदन देकर पुल निर्माण की मांग कर चुके हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई।
किसान मनमोहित यादव ने बताया कि नाले के दूसरी ओर उनके खेत हैं, जहाँ तक पहुंचना बारिश के दिनों में मुश्किल हो जाता है। खाद, बीज और फसल ले जाने में दिक्कत होती है।
नाले पर से रास्ता पार कर आ रहे हसदा भाटापारा के चालूराम यादव व पडक़ीडीह ओम प्रकाश वर्मा ने कहा कि अगर पुल नहीं बन सकता, तो सरकार कम से कम सीमेंट पाइप लगवाकर रास्ता बना दे। ताकि लोगों का आने जाने हो सके।
ज्ञात हो कि यह मार्ग बलौदाबाजार जिला मुख्यालय और भाटापारा के बीच आता है और आसपास के आमाकोनी, मोपर, देवरानी, जेठानी, अमेठी, टेकरी, पडक़ीडीह, खपराडीह और रवेली जैसे गांवों को जोड़ता है। यह रास्ता सीमेंट संयंत्रों और ग्रामीण बाजारों के बीच मुख्य संपर्क मार्ग भी है।
ब्रिज विभाग के इंजीनियर मुकेश देवांगन ने बताया —हमारे विभाग के माध्यम से केवल उच्च स्तरीय पुलों का निर्माण किया जाता है। बंजारी नाला पुल के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया है। वहीं लोक निर्माण विभाग बलौदाबाजार-भाटापारा के इंजीनियर शिवनाथ कुर्रे ने कहा —यह मार्ग हमारे विभाग के अंतर्गत नहीं आता। प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ योजना के अधिकारियों से संपर्क का प्रयास किया गया, लेकिन उनसे प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी।ग्रामीणों ने प्रशासन से पुन: अपील की है कि बंजारी नाला पर पुल या अस्थायी रपटा मार्ग बनाया जाए, ताकि स्कूल जाने वाले बच्चों, किसानों और आम यात्रियों को आवागमन में सहूलियत मिल सके।


