बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 3 नवंबर। बलौदाबाजार जिले में 25 अक्टूबर को वन्य प्राणी गौर के शिकार मामले में वन विभाग ने तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया गया है। इस केस में चार आरोपी अभी भी फरार है। डीएफओ गणवीर धम्मशील ने कहा है कि फरार आरोपियों को जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। इस घटना के दोषियों को सख्त सजा मिलेगी।
वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील के निर्देश और उपवनमंडलाधिकारी कसडोल अनिल कुमार वर्मा के नेतृत्व में यह कार्रवाई की गई। विभाग ने गिरफ्तार आरोपियों को न्यायालय में पेश किया. अदालत ने सभी आरोपियों को उपजेल भेज दिया है।
बिजली के करंट से गौर की हुई थी मौत
यह घटना 25 अक्टूबर के सुबह की है। यहां बिलारी गांव के पास दुर्गंध आने पर ग्रामीणों ने देखा कि एक विशाल गौर मृत अवस्था में पड़ा है। उसके शरीर पर करंट के निशान थे। सिर और पैर कटे हुए थे। सूचना मिलते ही अर्जुनी परिक्षेत्र की वन विभागीय टीम मौके पर पहुंची और क्षेत्र को घेर लिया।
प्राथमिक जांच में पता चला कि खेतों में फसलों की सुरक्षा के लिए बिछाए गए बिजली तारों में करंट प्रवाहित किया गया था, जिससे गौर की मौत हुई। लेकिन घटना स्थल से मिले साक्ष्य यह साबित कर रहे थे कि यह एक सुनियोजित शिकार था. शव से मांस और अंग अलग किए गए थे, जो व्यापारिक उद्देश्यों से जुड़ा संकेत देता था।
तीनों आरोपी एक ही गांव के
इस केस में वन विभाग की टीम ने कुल तीन आरोपियों को गिरफ्तार किया। गिरफ्तार आरोपियों के नाम समेलाल, राजकुमार और दिनेश हैं। सभी आरोपी ग्राम बिलारी, तहसील सोनाखान, जिला बलौदाबाजार के निवासी हैं। तीनों ने पूछताछ में अपराध कबूल किया है। उन्होंने बताया कि गौर को करंट से मारने के बाद उसके अंगों को काटकर छिपा दिया गया था। विभाग को अभी भी चार अन्य फरार आरोपियों की तलाश है।
गणवीर धम्मशील, डीएफओ, बलौदाबाजार का कहना है कि फरार आरोपियों की पहचान हो चुकी है. उन्हें जल्द गिरफ्तार कर लिया जाएगा। आरोपी राजकुमार आदतन अपराधी है। वह दो बार करंट लगाकर वन्य प्राणियों के शिकार केस में जेल जा चुका है। कुछ महीने पहले वह जमानत पर बाहर आया। उसके बाद भी उसने यही हरकत दोहराई है। ऐसे अपराधी के खिलाफ वन विभाग कड़ी कार्रवाई करेगा।
खबर का असर
25 अक्टूबर की घटना के बाद से ‘छत्तीसगढ़’ ने इस खबर को प्रमुखता से प्रकाशित किया था। उसके बाद वनमंडलाधिकारी गणवीर धम्मशील ने तत्काल जांच के आदेश दिए। जांच में क्षेत्रीय स्तर पर लापरवाही पाई गई, जिसके बाद वनरक्षक प्रेमचंद धृतलहरे को निलंबित कर दिया गया। उस समय आरोपियों की गिरफ्तारी नहीं हो सकी थी, लेकिन अब लगातार सर्च ऑपरेशन के बाद तीन लोगों को गिरफ्तार कर जेल भेजा गया है।
गणवीर धम्मशील, डीएफओ, बलौदाबाजार का कहना है कि यह मामला वन्यजीव संरक्षण अधिनियम का गंभीर उल्लंघन है। हमने आरोपियों को पकडऩे के लिए टीमों को लगातार सक्रिय रखा। अर्जुनी क्षेत्र में निगरानी और गश्त बढ़ाई गई है।
आसपास के गांवों में ग्राम प्रहरी और मितानिन समूहों को भी निगरानी से जोड़ा गया है। इस केस में तीन आरोपियों की गिरफ्तारी हुई है। अन्य फरार चार आरोपियों की तलाश की जा रही है।
डीएफओ गणवीर धम्मशील ने आगे कहा कि हम इस घटना को बेहद गंभीरता से ले रहे हैं। अर्जुनी परिक्षेत्र में रात के गश्ती दलों की संख्या बढ़ाई गई है।
ग्राम प्रहरी, वन संरक्षक और मितानिन समूहों को प्रशिक्षण देकर निगरानी में जोड़ा जा रहा है। हमारे लिए यह केवल एक जांच नहीं, बल्कि वन्यजीव सुरक्षा का प्रश्न है। दोषियों को उदाहरण बनाकर सजा दी जाएगी ताकि भविष्य में कोई भी वन्यजीव को नुकसान पहुंचाने की हिम्मत न करें।
ज्ञात हो कि गौर या भारतीय बायसन देश का सबसे बड़ा जंगली जानवर है। यह वन्यजीव संरक्षण अधिनियम, 1972 की अनुसूची-1 में शामिल संरक्षित प्रजाति वाला जानवर है. छत्तीसगढ़ के जंगलों में गौर को वन का गौरव माना जाता है. बलौदाबाजार के अर्जुनी, बारनवापारा और पलारी क्षेत्र में पहले गौर की संख्या अच्छी थी, लेकिन अब यह तेजी से घट रही है।


