बलौदा बाजार
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार, 1अक्टूूबर। महात्मा गांधी की ऐतिहासिक यादों को सहने और आने वाली पीढिय़ों तक उनके संदेश को पहुंचाने की दिशा में जिला प्रशासन ने एक बड़ा कदम उठाया हैं। पुराने कृषि मंडी उपज मंडी परिसर स्थित गांधी स्मृति स्थल अब नए स्वरूप में नजर आएगा। यहां सौंदर्यीकरण के साथ-साथ बुनियादी सुविधाओं के विकास की शुरुआत हो चुकी है। कलेक्टर दीपक सोनी और नगर पालिका अध्यक्ष अशोक जैन ने स्थल का निरीक्षण किया और अधिकारियों को आवश्यक दिशा निर्देश दिए। कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि गांधी स्मृति स्थल को महज एक पुराना परिसर मानकर छोड़ छोड़ देना उचित नहीं हैं। इसे एक ऐतिहासिक धरोहर के रूप में सुरक्षित कर शहर के बीचों-बीच प्रेरणादायक स्मारक बनाया जाएगा। इसके लिए कुएं की साफ सफाई सीढिय़ों और रेलिंग और ग्रेनाइट लगाने मुख्य प्रवेश द्वार को नया स्वरूप देने दोनों ओर लाइटिंग की व्यवस्था करने और परिसर में हाई मास्ट लाइट एवं गार्डन विकसित करने की आवश्यक कार्रवाई प्रारंभ की जाए की गई हैं। साथ ही पेड़ों के पास चबूतरे बनाए जाएंगे ताकि लोग बैठकर यहां की गरिमा और इतिहास को महसूस कर सकें। बता दे कि यह स्थल लगभग दो एकड़ में फैला हैं। सोदरीकरण के लिए पर्याप्त जगह हैं। बताया जा रहा है कि यह पूरी जगह पर टाइल्स भी लगाए जाएंगे।
26 नवंबर 1933 को आए थे गांधी दलित के हाथों कुएं का पानी पीये थे महात्मा गांधी 26 नवंबर 1933 को अपनी दूसरी छत्तीसगढ़ यात्रा के दौरान बलौदाबाजार पहुंचे थे। उस समय यह स्थल कृषि उपज मंडी का प्रांगण था। जहां उन्होंने एक विशाल जनसभा को संबोधित किया। सभा के दौरान गांधी जी ने एक दलित युवक के हाथ से कुएं का पानी पीकर समाज को छुआछूत मिटाने का गहरा संदेश दिया। यही घटना इस स्थल को ऐतिहासिक महत्व देती हैं।
गांधी स्मृति स्थल बनेगा जीवन मूल्यों का केंद्र
वरिष्ठ नागरिक संगठन ने कहा कि गांधी स्मृति स्थल हमारे लिए केवल इतिहास की धरोहर नहीं बल्कि जीवन मूल्यों को याद करने की जगह होगा। यहां वरिष्ठ नागरिक नियमित रूप से जोडक़र चर्चा कर सकते हैं नई पीढ़ी को गांधी जी के विचारधारा से जोड़ सकते हैं। अगर गार्डन लाइटिंग और बैठने की व्यवस्था होगी।
15 अगस्त 1947 को बनाया गया जय स्तंभ
15 अगस्त 1947 को आजादी के साथ बलौदाबाजार की मंडी परिसर में जय स्तंभ का निर्माण किया गया था। वहीं यही वह स्थल है जहां महात्मा गांधी ने अपनी ऐतिहासिक बैठक ली थी। यह स्थल स्तंभ आज भी स्वतंत्रता संग्राम और गांधी जी की विरासत का प्रतीक बनकर खड़ा हैं। इसे भी सावरा जाएगा। रविशंकर विश्वविद्यालय रायपुर के सेवानिर्मित प्राध्यापक एवं इतिहासकार प्रोफेसर डॉ. रमेद्र मिश्रा का मानना है कि यह जगह ना केवल बलौदा बाजार बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ के सामाजिक आंदोलन का प्रतीक हैं। गांधी जी का यह संदेश दलितों के प्रति समाज की सोच बदलने की दिशा में महत्वपूर्ण साबित हुआ था। स्वतंत्रता संग्राम के दौरान में यहां आयोजित हुई यह पहली आमसभा थी, जिसने पूरे इलाके में नहीं चेतना जगाई।


