बलौदा बाजार

भोरमदेव खजुराहो के मंदिर की शैली में बना है
‘छत्तीसगढ़’ संवाददाता
बलौदाबाजार,19 मई। बलौदाबाजार में पर्यटन धार्मिक पुरातात्विक वन क्षेत्र के दृष्टिकोण से कसडोल तहसील का महत्वपूर्ण स्थान हैं। जहां प्रसिद्ध बारनवापारा अभ्यारण प्रकृति की गोद में बसा तुरतुरिया, विभिन्न प्राकृतिक बरसाती झरने जलाशय आदि सदैव पर्यटकों को लुभाते रहते हैं। इसमें से एक अन्य महत्वपूर्ण एवं अत्यंत प्राचीन शैली का मंदिर ग्राम नारायणपुर में स्थित हैं। मंदिर की दीवार पर भगवान विष्णु के अवतारों, कामक्रीड़ा करती कलाकृतियों को अत्यंत बारीकी से उकेरा गया है। महानदी के तट के किनारे बसे इस प्राचीन मंदिर को देखकर कवर्धा के भोरमदेव व खजुराहो स्थित मंदिर की बरबस याद आती है। गांव के लोगों ने मंदिर के संरक्षण की आवश्यकता जताई है।
विदित हो कि कसडोल सिरपुर मार्ग पर कसडोल से करीब 7-8 किलोमीटर की दूरी पर ग्राम बगार स्थित है। यहां से दायीं ओर करीब तीन-चार किलोमीटर दूर नारायणपुर ग्राम का अत्यंत प्राचीन 11-12वीं शताब्दी का मंदिर है। महानदी के तट पर स्थित भगवान शिव को समर्पित मंदिर निश्चित ही प्राचीन भारतीय कला का अद्भुत नमूना है।
यहां महादेव मंदिर के साथ बैरागीमठ और मंडप के संबंध में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग द्वारा उल्लेखित है कि इस पश्चिमाभिमुखी मंदिर में एक गर्भगृह और स्तंभयुक्त मंडप है। मंदिर पंचरथ शैली में बना है। मन्दिर को देवी-देवताओं की विभिन्न मूर्तियों, प्रतिमाओं और ज्यामितीय आकृतियों से सजाया गया है, जंघा भाग में विष्णु के अवतारों जैसे वराह, नृसिंह, बुद्ध और कल्कि के अलावा संगीतकारों और अप्सराओं की छवियां बनी हैं।
पूर्व में यहां की अन्य मूर्तियों को सुरक्षा के दृष्टिकोण से पुरातत्व विभाग द्वारा एक सलाख युक्त भवन में रखा गया हैं। पुरातत्व पर्यटन में रुचि रखने वाले लोगों के लिए यह स्थल एक आदर्श परिस्थिति निर्मित करता है।
असामाजिक तत्वों के जमावड़े से पर्यटन होते हैं परेशान
बहुत से क्षेत्रवासियों को मंदिर की भव्यता का अनुमान नहीं है, वहीं मुख्य मार्ग से अंदर होने के चलते भी इसके संबंध में पर्याप्त जानकारी का अभाव है। अत: पर्यटक यहां कम ही पहुंच पाते हैं। मंदिर परिसर के सभी वन विभाग द्वारा सुंदर उद्यान का निर्माण कर सघन वृक्षारोपण व अन्य व्यवस्थाएं की गई है, परंतु देखरेख के अभाव में उद्यान व मंदिर परिसर युवक युक्तियां के झुंड के मौज मस्ती का केंद्र बनकर रह गया हैं। इनकी हरकतों के चलते परिवार अथवा दृष्टिजनों के साथ पहुंचे लोगों को शर्मसार होना पड़ता हैं।
अधिकांशत: युवा वर्ग यहां मुर्गा एवं बकरा पार्टी के लिए पहुंचते हैं। उद्यान में जगह-जगह शराब बीयर की बोतलें व इन जीव जंतुओं के अवशेष बिखरे पड़े हैं। यही नहीं मंदिर के तट पर वन विभाग द्वारा तटबंध तथा वह पचरी निर्माण कार्य 2020-21 में 336.360 लाख की लागत से कराया गया है, यहां भी असामाजिक तत्वों द्वारा गंदगी व शराब की बोतल को फेंककर इस तट के सौंदर्य को क्षति पहुंचाई जा रही हैं।