-सामंथा नटराजन
डॉक्टर विक्टोरिया बैटमैन दुनिया की बेहतरीन यूनिवर्सिटी में से एक, कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में अर्थशास्त्र पढ़ाती हैं.
लेकिन वह एक विद्रोही हैं और सरकारी नीतियों के ख़िलाफ़ नंगे बदन होकर विरोध प्रदर्शन भी करती हैं.
वह कहती हैं, "लोग जब मुझे न्यूड देखते हैं तो कहते हैं कि ओह! यह मूर्ख है, बेवकूफ़ है और निश्चित ही पागल है."
विक्टोरिया बैटमैन कहती हैं, "मैं खुलकर कहना चाहती हूं: नहीं, मैं एक सच्ची सोच वाली इंसान हूं."
हालांकि नग्न विरोध प्रदर्शन करने के अंदाज़ को विवादास्पद समझा जाता है. वह कहती हैं कि उनकी हाल की किताब के ऐमेज़ॉन पर विज्ञापन को इस आधार पर रोक दिया गया कि वह यौन संबंधों के लिहाज़ से द्विअर्थी है.
डॉक्टर विक्टोरिया बैटमैन का यह भी कहना है कि सोशल मीडिया पर एक अभियान के बाद "मेरी किताब के विज्ञापन को रोकने का फ़ैसला वापस लिया गया."
"इस मुहिम में इस बात पर प्रकाश डाला गया था कि महिलाओं को अपने शरीर के साथ वह करने की अनुमति नहीं है जो वह करना चाहती हैं."

जिस तस्वीर पर (ऊपर की तस्वीर) पर बहस हुई वह उनके पूरे शरीर को नहीं दिखाती. यह ज़ूम की गई तस्वीर है जिसमें उनके पेट और छाती का हिस्सा खुला दिखाया गया है.
विक्टोरिया बैटमैन का कहना है, "मैं नहीं समझती कि मेरे जिस्म दिखाने से जो मैं कहती हूं, उसका महत्व कम हो जाता है. इतिहास हमें सिखाता है कि उदारवाद के हर उभार के बाद दमन का दौर शुरू हुआ है."

बैटमैन का कहना है कि उनके नंग धड़ंग विरोध प्रदर्शन का उद्देश्य समाज में महिलाओं के बारे में सोच को बदलना है.
इंग्लैंड और वेल्स में सार्वजनिक स्थलों पर नग्न होना अपराध नहीं है लेकिन अगर यह साबित हो जाए कि उस व्यक्ति को परेशान करने और सदमा पहुंचाने की नीयत से किया गया है तो यह जुर्म बन जाता है और शिकायत करने वाले को यह साबित करना होता है.
बैटमैन का इस बात पर ज़ोर है कि उनका विरोध प्रदर्शन आक्रामक नहीं है.
उनका कहना था, "मेरा मक़सद किसी कार्रवाई में बाधा डालना नहीं बल्कि इसके बदले किसी समस्या की ओर ध्यान आकर्षित करवाना है, चाहे वह अर्थशास्त्र में महिलाओं की कमी हो, ब्रेग्ज़िट के परिणाम हों या महिलाओं की शारीरिक स्वतंत्रता पर हमले हों."
बैटमैन कहती हैं कि नग्न विरोध प्रदर्शन देखने वालों को वस्त्र के सम्मान से जोड़ने पर विचार करने के अलावा लोगों को इस समस्या के बारे में बात करने के मक़सद को पूरा करने में भी मदद करता है.
पशुओं के अधिकार के लिए काम करने वाले संगठन लंबे अरसे से खाल के इस्तेमाल के ख़िलाफ़ नग्न विरोध प्रदर्शन का तरीक़ा इस्तेमाल करते रहे हैं.
पर्यावरण समूह ने भी, जो जलवायु परिवर्तन को रोकने के लिए कठोर उपायों पर ज़ोर दे रहे हैं, इस तरह के विरोध प्रदर्शन किए हैं. हालांकि राजनीति में इस तरह का प्रदर्शन इतना आम नहीं है.

नग्न विरोध प्रदर्शन के दौरान विक्टोरिया बैटमैन अपने बदन पर नारे भी लिखती हैं.
मज़दूर वर्ग से लेकर आईवी लीग तक
बैटमैन ने शुरुआती शिक्षा सरकारी स्कूल में प्राप्त की और ग्रैजुएशन के लिए कैंब्रिज गईं. उन्होंने ऑक्सफ़र्ड यूनिवर्सिटी से पीएचडी की और फिर उन्हें कैंब्रिज यूनिवर्सिटी में नौकरी मिल गई.
बैटमैन का कहना है कि बचपन में शरीर को ढंकने वाले कपड़े पहनने की आदी थीं लेकिन नौजवानी में उन्होंने अपनी हम उम्र लड़कियों की तरह छोटे स्कर्ट्स, छोटे टॉप्स और हाई हील्स पहनकर पार्टियों में जाना शुरू कर दिया था.
उनका कहना है कि शिक्षा के मैदान में उनकी सफलताओं ने उन्हें मेहनतकश तबके से मध्य वर्ग में जाने में मदद की जहां बैटमैन जैसे कपड़े पहने लड़कियों को हीन समझा जाता था. इस रवैये ने उन्हें परेशान कर दिया.
अपने शैक्षणिक करियर की शुरुआत में वह भी अपने बौद्धिक सम्मान को बरक़रार रखने के लिए अपने लिबास पर बहुत ध्यान देती थीं.
"मैंने सोचा कि लोग मेरे बारे में क्या सोच सकते हैं, इसको अपने ऊपर क्यों हावी होने दूं? चिंता करने के लिए इससे बहुत सी ज़रूरी बातें हैं."

बैटमैन गंभीर विषयों पर नंगे होकर बात करने की आदी हैं.
भद्रता आज़ादी को छीनती है
बैटमैन के कपड़े उतारने के फ़ैसले की एक वैचारिक बुनियाद भी थी.
उन्होंने कहा कि महिलाओं की भद्रता वास्तव में महिलाओं को नुकसान पहुंचा रही है. इससे मर्दों का औरतों पर कंट्रोल बढ़ता है.
उन्होंने बीबीसी को बताया कि क्योंकि जिस लम्हे आप किसी महिला के मान-सम्मान को उसकी भद्रता से नत्थी कर देते हैं, उसी पल उसके मूल्य को कम करने, उसका अपमान करने और महिलाओं के साथ गोश्त के टुकड़े की तरह बर्ताव करने की ताक़त मिलती है.
उनके अनुसार, इससे दुनिया भर में महिलाओं की आज़ादी को नुक़सान पहुंचाने वाली नीतियों और तरीक़ों को बल मिलता है.
अफ़ग़ानिस्तान में स्कूलों से महिलाओं को बाहर करने से लेकर ईरान में अनिवार्य हिजाब तक, कुंवारेपन की जांच, ऑनर किलिंग और निजी तस्वीरों को चुराकर उसका अश्लील इस्तेमाल इन तरीक़ों में शामिल हैं.

बैटमैन का कहना है कि उनके नंगे विरोध प्रदर्शन की वजह से उनके शैक्षणिक सम्मान में कमी नहीं आएगी.
न्यूड मॉडल
यह 10 साल पहले की बात है, जब बैटमैन ने समाज में अपने ऊंचे रुतबे को इस्तेमाल करने का फ़ैसला किया. इसलिए उन्होंने अपने कपड़े उतार दिए और महिला कलाकारों के सामने न्यूड पोज़ देना शुरू कर दिया.
कुछ भरोसा हासिल होने के बाद उन्होंने पुरुष कलाकारों के साथ काम करना शुरू किया. वो कलाकृतियां और मूर्तियां जल्द ही सार्वजनिक स्थलों पर लगा दी गईं.
एक सधी हुई अर्थशास्त्री की हैसियत से वह अपनी विशेषज्ञता के क्षेत्र में मर्दों के वर्चस्व से हैरान होती थीं.
वह कहती हैं कि महिला अर्थशास्त्रियों की कमी की वजह से आर्थिक विश्लेषण को केवल मर्दों के दृष्टिकोण से देखा जा रहा है.
सन् 2018 में वह ब्रिटेन में अर्थशास्त्रियों के सबसे बड़े कार्यक्रम में इस समस्या पर खुलकर बोलना चाहती थीं. वह पूरी तरह नग्नावस्था में एक ऐसे कमरे में चली गईं जो उच्च शिक्षा पाए लोगों से भरा हुआ था.
"मैं शारीरिक तौर पर छोटी हूं. मैं शारीरिक रूप से बहुत मज़बूत नहीं हूं. मैं किसी के लिए ख़तरा नहीं हूं लेकिन अगर आप कमरे में नग्न हैं तो लोग किसी वजह से आपको ख़तरे के तौर पर देखते हैं."
इस कार्यक्रम के दौरान उन्होंने अपनी मांग की ओर ध्यान आकर्षित करने के लिए बोर्ड मार्कर का इस्तेमाल करते हुए अपने जिस्म पर Respect (सम्मान) लिखा और इसके नतीजे में गाला डिनर में शामिल होने वाली कई बड़ी शख़्सियतों के साथ बातचीत करने में क़ामयाब रहीं.
अभद्र प्रतिक्रिया
ब्रिटेन के यूरोपियन यूनियन छोड़ने पर ब्रेग्ज़िट के अत्यंत विभाजनकारी राजनीतिक अभियान के दौरान उन्होंने सार्वजनिक स्तर पर नग्न प्रदर्शन किया.
कुछ चश्मदीद गवाहों ने तस्वीरें ली थीं और उन्हें सोशल मीडिया पर पोस्ट किया जिस पर बहुत सी अभद्र टिप्पणी की गई. कुछ मर्दों ने उनकी छाती और बालों के बारे में टिप्पणी की. यहां तक कि एक ने यह भी कहा कि वह अपने प्रोफ़ेसरों के साथ सोने से अपनी शैक्षणिक दक्षता प्राप्त करेंगी.
इसके बाद बैटमैन को सावधान किया गया कि वह दुनिया को अपना जिस्म दिखा कर अपनी शैक्षणिक सफलताओं को बर्बाद कर रही हैं.
"लेकिन मुझ पर सबसे अधिक वहशियाना हमले औरतों की ओर से हुए. सोशल मीडिया पर एक ब्रिटिश महिला मुझे बता रही थी कि मैं फ़ेमिनिज़्म को एक सदी पीछे धकेल रही हूं."
वह उन लोगों के साथ शामिल थी जो नफ़रत से भरे थे.
अपनी नई किताब: 'न्यूड फ़ेमिनिज़्म- ब्रेकिंग द कल्ट ऑफ़ वीमेन मॉडेस्टी' मैं उन्होंने इनमें से बहुत सी नकारात्मक प्रतिक्रियाओं का ज़िक्र किया है.
"मैं यह कहती हूं कि सभी महिलाओं से, उनकी शारीरिक भद्रता से अलग उनकी योग्यता के आधार पर सम्मान के साथ सलूक किया जाना चाहिए."
आज़ादी
कैंब्रिज की इस शिक्षाविद का विचार है कि अगर हम सब यह सोचना बंद कर दें कि किसी के जिस्म का कितना हिस्सा नज़र आता है या ढंका हुआ है तो बहुत सी औरतों की ज़िंदगियां बदल जाएंगी. वह सेक्स वर्कर्स का उदाहरण देती हैं.
"हम उन पर ठप्पा लगा देते हैं. हम उन्हें तरह-तरह के डरावने नामों से पुकारते हैं और यह सोच लेते हैं कि वह नहीं जानते कि वह क्या कर रहे हैं और उनके लिए क्या सही है इसका फ़ैसला हम कर सकते हैं."
वह इस रवैए को असामान्य ढंग से घमंडी समझती हैं.
वह कहती हैं कि हमें सोचने के अंदाज़ को बदलने के मामले में अभी एक लंबा सफ़र तय करना है.
उनके अनुसार, औरतें अधिकतर बिना पारिश्रमिक काम करती हैं जिसमें खाना पकाना, सफ़ाई करना, खाना या पानी लाना और बच्चों और बुज़ुर्गों की देखभाल करना शामिल है.
ब्रिटेन की एनजीओ ऑक्सफ़ैम का कहना है कि अगर महिलाओं को इस तरह के काम के लिए कम से कम पारिश्रमिक भी अदा की जाए तो उसकी कुल क़ीमत 10 खरब डॉलर से अधिक होगी. लेकिन इस बारे में बहुत कम बातचीत होती है.
बैटमैन कहती हैं कि वह शक्तिशाली मर्दों और उनकी नीतियों के ख़िलाफ़ नंगे खड़े होने के हर अवसर को सम्मान की दृष्टि से देखती हैं. वह अपने कपड़ों के बिना भाषण भी दे रही हैं और साहित्य के उत्सवों में भी हिस्सा ले रही हैं.
वह कहती हैं कि उनकी गतिविधियों ने उनकी क्लास को प्रभावित नहीं किया है, वास्तव में उनके विद्यार्थी उनसे फ़ेमिनिज़्म, महिलाओं और अर्थव्यवस्था के बारे में पहले से कहीं अधिक पूछते हैं.
"मेरा मक़सद एक ऐसी दुनिया है जिसमें सभी महिलाएं अपने शरीर के साथ-साथ अपने दिमाग़ के साथ जो चाहें, करने के लिए आज़ाद रहें. मुझे हिजाब पर पाबंदी पर उतनी ही आपत्ति है जितना हिजाब पर. समाज और सरकार को यह आदेश नहीं देना चाहिए कि महिलाएं क्या करेंगी." (bbc.com/hindi)