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गौतम अदानी को लेकर अमेरिकी मीडिया में कही जा रहीं कई बातें, क्या करेंगे ट्रंप?
22-Nov-2024 9:29 PM
गौतम अदानी को लेकर अमेरिकी मीडिया  में कही जा रहीं कई बातें, क्या करेंगे ट्रंप?

दुनिया के सबसे अमीर शख्सियतों में से एक गौतम अदानी के लिए गुरुवार का दिन बहुत भारी रहा।

अमेरिका में उनके खिलाफ रिश्वत और और धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया गया है। अदानी पर अपनी एक कंपनी को कॉन्ट्रैक्ट दिलाने के लिए 25 करोड़ डॉलर की रिश्वत देने और इस मामले को छिपाने का आरोप लगा है।

गुरुवार तडक़े जैसे ही यह ख़बर आई तो दुनिया भर के मीडिया में छा गई। भारत की मुख्य विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने तो गौतम अदानी की गिरफ्तारी की मांग की है और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सांठगांठ का आरोप लगाया। जैसे ही शेयर बाजार खुला अदानी समूह से जुड़ी कंपनियों के शेयर 20 प्रतिशत तक गिर गए।

अमेरिकी मीडिया आउटलेट्स ब्लूमबर्ग के अनुसार, गौतम अदानी के ख़िलाफ़ धोखाधड़ी के आरोप तय होने के बाद गुरुवार को उनकी कुल संपत्ति में 15 अरब डॉलर की चपत लग गई।

बाज़ार बंद होने तक उनकी कुल संपत्ति कऱीब 72 अरब डॉलर थी जो साल 2023 के अंत में 84 अरब डॉलर थी। पिछले साल तीन जून तक तो उनकी कुल संपत्ति 122 अरब डॉलर तक पहुँच गई थी।

हालाँकि अदानी समूह ने गुरुवार दोपहर एक बयान जारी कर इन आरोपों का खंडन किया है और कहा है कि सभी आरोप बेबुनियाद हैं।

अपने ऊपर लगे आरोपों का खंडन करते हुए अदानी ग्रुप ने गुरुवार को जारी बयान में कहा, ‘अमेरिका के जस्टिस डिपार्टमेंट और एक्सचेंज कमीशन द्वारा अदानी ग्रीन के निदेशकों के खिलाफ लगाए गए आरोप बेबुनियाद हैं और हम उनका खंडन करते हैं।’

आरोप अमेरिका में और असर चौतरफा

अमेरिका में लगे आरोपों का असर शेयर मार्केट में उनकी कंपनियों की बदहाली तक ही सीमित नहीं रहा। गुरुवार शाम में अचानक से कीनिया के राष्ट्रपति ने कहा कि उन्होंने भारतीय अरबपति गौतम अदानी से एयरपोर्ट के विस्तार और ऊर्जा डील को लेकर जो अरबों डॉलर का करार किया था, उसे रद्द करने का फैसला किया है।

कीनिया के राष्ट्रपति विलियम रुटो ने राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा कि यह फैसला उन्होंने अपनी जांच एजेंसियों और साझेदार देशों की जाँच के बाद मिली सूचना के आधार पर लिया है।

उन्होंने अमेरिका का नाम नहीं लिया। अदानी ग्रुप कीनिया के साथ कऱार पर हस्ताक्षर करने की प्रक्रिया में था। इसके तहत कीनिया की राजधानी नैरोबी के मुख्य एयरपोर्ट का विस्तार करना था, जिसमें नए रनवे और टर्मिनल बनाने थे। अदानी को इसके बदले में 30 साल के लिए नैरोबी एयरपोर्ट के संचालन की जि़म्मेदारी मिलती।

कीनिया में अदानी से होने वाली इस डील की भी बहुत आलोचना हो रही थी और एयरपोर्ट वर्कर आंदोलन कर रहे थे। एयरपोर्ट वर्करों का कहना था कि अदानी को एयरपोर्ट के संचालन की जि़म्मेदारी मिलने से नौकरी की शर्तें बदल जाएंगी और उनकी नौकरी भी जा सकती है।

ब्लूमबर्ग से अदानी के एक कऱीबी सहयोगी ने बताया, ‘बुधवार शाम तक सब कुछ अच्छा था। अदानी के ग्रीन एनर्जी बिजऩेस ने बॉन्ड सेल के जरिए 60 करोड़ डॉलर जुटाए थे।अहमदाबाद में बिस्तर पर जाने से पहले उन्होंने अपनी पत्नी के साथ कार्ड गेम खेला था। गुरुवार तडक़े तीन बजे एक सहकर्मी ने उन तक परेशान करने वाली ख़बर पहुँचाई। उस सहकर्मी ने बताया कि अमेरिका में उनके और कुछ सहयोगियों के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप तय हुआ है।’

15 अरब डॉलर की चपत

ब्लूमबर्ग के मुताबिक, ‘चंद मिनटों में अदानी ग्रुप के सीनियर एग्जेक्युटिव्स कॉन्फ्रेंस कॉल पर आए। न्यूयॉर्क में फेडरल प्रॉसिक्युटर्स ने आरोप लगाया है कि अदानी और उनके सहकर्मियों ने अमेरिकी निवेशकों से रिश्वत विरोधी नियमों को लेकर झूठ बोला क्योंकि उन्होंने भारतीय अधिकारियों को 25 करोड़ डॉलर से अधिक की रक़म की रिश्वत देने का वादा किया था।’

‘जब बाकी का भारत सुबह जगा तब तक अदानी पूरे विवाद पर प्रतिक्रिया देने को लेकर ऊहापोह में थे। जब मुंबई में शेयर बाजार खुला तो अदानी समूह की कंपनियों के शेयर औंधे मुंह गिरने लगे। दोपहर होते-होते अदानी समूह ने एक बयान जारी किया और सभी आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया। अदानी समूह ने पूरे मामले पर कानूनी कार्रवाई की धमकी दी।’

ब्लूमबर्ग ने लिखा है, ‘अदानी को लेकर आने वाले महीनों में राजनीतिक विवाद और बढ़ सकता है। प्रत्यर्पण को लेकर तनातनी होगी। डोनाल्ड ट्रंप के हाथ में जल्द ही अमेरिका की कमान आने वाली है और अगर वह चाहेंगे तो भारत के साथ डील कर सकते हैं।’

‘ट्रंप की नजऱ में भारत और अदानी चीन के एकाधिकार के खिलाफ अहम साझेदार हैं। अदानी से जुड़े मामलों की जानकारी रखने वालों ने नाम सार्वजनिक नहीं करने की शर्त पर बताया है कि ट्रंप के परिवार के सदस्य अदानी के अहमदाबाद स्थित आवास पर भी गए हैं। ऐसे मामले में अभियोजन में वर्षों तो नहीं लेकिन महीनों लगेंगे और यह ट्रंप के जस्टिस डिपार्टमेंट पर निर्भर करेगा कि उसका रुख क्या होता है।’

ब्लूमबर्ग ने लिखा है, ‘अदानी को लेकर अमेरिका में जो कुछ भी हो रहा है, उसका असर इस ग्रुप तक ही सीमित नहीं रहेगा। इसका असर वैश्विक बैंकों पर भी पड़ेगा, जो कर्ज मुहैया कराते हैं। इसके अलावा भारत से जुड़ी जो कंपनियां विदेशों में पाँव जमाना चाहती हैं, उनकी साख पर भी नकारात्मक असर पड़ेगा।’

ब्लूमबर्ग से थिंक टैंक सेंटर फोर स्ट्रैटिजिक एंड इंटरनेशनल स्टडीज में इंडिया एंड इमर्जिंग एशिया इकनॉमिक्स के प्रमुख रिक रोसोव ने कहा, ‘मुझे डर है कि इसका असर अदानी के वैश्विक विस्तार पर पड़ेगा। यह मामला भारत में यह चिंता बढ़ा सकता है कि अमेरिका और अन्य पश्चिमी देश उभरते भारत की गति धीमी करना चाहते हैं।’

भारत पर क्या पड़ेगा असर?

ब्लूमबर्ग ने लिखा है, ‘पिछले कई सालों में वैश्विक निवेशकों और बैंकों ने अदानी समूह में अरबों डॉलर लगाए हैं। आज की तारीख़ में अदानी का कारोबार पोट्स, पावर, रोड से लेकर एयरपोर्ट तक फैला है। अदानी के प्रोजेक्ट वियतनाम से लेकर इसराइल तक में फैले हैं। अदानी ग्रुप की वैश्विक महत्वाकांक्षा को चीन के बेल्ट एंड रोड के समानांतर भारत की प्रॉक्सी के रूप में देखा जाता है।’

वहीं मशहूर अमेरिकी न्यूज़पेपर न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ‘अदानी कोई सामान्य भारतीय अरबपति नहीं हैं। अदानी को भारत की सरकार के विस्तार के रूप में देखा जाता है। अदानी समूह पोर्ट बनाता है और खऱीदता भी है। ऐसा अक्सर भारत सरकार के अनुबंधों या लाइसेंस के जरिए होता है।’

‘अदानी के पावर प्लांट्स हैं और एयरपोर्ट के संचालन की जि़म्मेदारी भी है। अब तो अदानी के पास टीवी न्यूज़ चैनल का भी स्वामित्व है। 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद अदानी का कारोबार भारत के केंद्र में आ गया। जिस तरह से पीएम मोदी ने भारत को विश्व मंच पर केंद्र में लाया उसी तरह अदानी भी केंद्र में आए।’

न्यूयॉर्क टाइम्स ने लिखा है, ‘भारत में अमेरिका के राजदूत एरिक गार्सेटी इसी गर्मी में अदानी के सोलर ऊर्जा प्रोजेक्ट देखने गए थे। गार्सेटी ने देखने के बाद अदानी को प्रेरक व्यक्ति बताया था।

अमेरिकी अख़बार वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, ‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ विदेशी दौरे में गौतम अदानी भी जाते रहे हैं। दोनों के दौरों में अदानी ग्रुप के कारोबारी समझौते भी हुए हैं। ये समझौते श्रीलंका से लेकर इसराइल तक में हुए हैं। अदानी भारत में पीएम मोदी की ऊर्जा और मैन्युफैक्चरिंग नीतियों का पालन करते हैं और इससे उन्हें राजनीति से डील करने में मदद मिलती है। अदानी की कारोबारी कामयाबी को भारत के उभार के रूप में देखा जाता है।’

वॉशिंगटन पोस्ट ने लिखा है, ‘अदानी पर अमेरिका में लगे आरोपों से भारत और अमेरिका के संबंध जटिल हो सकते हैं। हाल के वर्षों में अदानी को भारत के भीतर काफ़ी आलोचना का सामना करना पड़ा है। ख़ास करके पीएम मोदी से संबंधों को लेकर। जब भी अदानी मुश्किल में घिरते हैं तो बीजेपी उनके साथ हो जाती है और अदानी की आलोचना करने वालों को भारत का दुश्मन बताती है।’

वॉशिंगटन पोस्ट से ब्रूकिंग्स इंस्टीट्यूशन में साउथ एशिया प्रोग्राम के डायरेक्टर मिलन वैष्णव ने कहा, ‘बाइडन प्रशासन उम्मीद कर रहा था कि वह भारत के साथ संबंधों को ऊंचाई पर ले जाकर छोड़े। जाहिर है कि इस वाकये से मोदी का मूड खराब हुआ होगा।’ (bbc.com/hindi)

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