विचार / लेख
-सैम बेकर
अमेरिका में आम तौर पर राष्ट्रपति चुनाव का फैसला मतदान वाले दिन रात तक हो जाता है. अगले दिन तड़के तक पराजित उम्मीदवार हार स्वीकार कर लेता है. लेकिन इस साल परिस्थितियां अलग लग रही हैं. कोविड-19 को देखते हुए बहुत सारे लोगों ने डाक मतपत्रों के जरिए अपना वोट डाला है. इसलिए वोटों की गिनती में लंबा समय लग सकता है. एक रात में होने वाले फैसले को आने में अब कई दिन और यहां तक कि कई हफ्ते भी लग सकते हैं.
इसके अलावा रिपबल्किन पार्टी के कई नेता तो डाक मत पत्रों की विश्वसनीयता पर ही सवाल उठा रहे हैं. राष्ट्रपति ट्रंप बार बार यह भी कह चुके हैं कि अगर नतीजा उनके हक में नहीं आया तो जरूरी नहीं कि वे इसे मानें. इन सब हालात को देखते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का नतीजा बहुत ही अगर-मगर से घिरा है.
डाक मतपत्र
यूएस इलेक्शन प्रोजेक्ट के अनुसार कोरोना महामारी के बीच लगभग छह करोड़ अमेरिकियों ने अपना वोट डाक मतपत्रों के जरिए डाला है. कोलेराडो, ओरेगोन, वॉशिंगटन, उटा और हवाई में डाक मतपत्र कोई मुद्दा नहीं हैं क्योंकि वहां के अधिकारियों को इनकी आदत रही है. वहीं दूसरे राज्यों में भी लोगों की सुविधा को देखते हुए इस बार डाक मतपत्रों से वोट डालने पर जोर दिया गया. मार्च से यह काम चल रहा है. लेकिन चुनाव वाले दिन से पहले मतपत्रों को नहीं खोला जा सकता.
बैटलग्राउंड कहे जाने वाले विस्कोन्सिन और पेंसिल्वेनिया जैसे राज्यों में भी बड़ी संख्या में लोगों ने इस बार डाक मतपत्रों का इस्तेमाल किया है. पेंसिल्वेनिया और नॉर्थ केरोलाइना समेत कई राज्यों में तो चुनाव के दिन तक डाक मतपत्रों को स्वीकार करने की अनुमति दी गई है. इसलिए वोटों की गितनी में काफी समय लगने वाला है.
मिशिगन यूनिवर्सिटी में राजनीति शास्त्र के प्रोफेसर एडी गोल्डनबर्ग कहते हैं, "कुछ भी भविष्यवाणी करना थोड़ा मुश्किल है. कुछ राज्यों में पता चल रहा है कि क्या स्थिति होने जा रही है. बाकी राज्यों में कुछ भी कह पाना मुश्किल है."
मतपत्रों पर संदेह
इस साल चुनाव प्रचार के दौरान राष्ट्रपति ट्रंप और अन्य रिपब्लिकन नेताओं ने डाक मतपत्रों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए जबकि इनमें धांधली की संभावना बहुत ही कम है. ऐसा तब है जब खुद राष्ट्रपति डाक मतपत्रों से वोट देते हैं. हालिया मध्यावधि चुनाव और फ्लोरिडा की प्राइमरी में ट्रंप ने डाक मतपत्र से वोट दिया.
President Trump: "I think mail-in voting is horrible, it's corrupt."
— MSNBC (@MSNBC) April 7, 2020
Reporter: "You voted by mail in Florida's election last month, didn't you?"
Trump: "Sure. I can vote by mail"
Reporter: "How do you reconcile with that?"
Trump: "Because I'm allowed to." pic.twitter.com/Es8ZNyB3O1
डाक से आने वाले मतपत्रों में कभी ऐसा नहीं दिखा है कि किसी एक खास पार्टी को ज्यादा समर्थन मिला हो. गोल्डेनबर्ग कहते हैं कि आम तौर पर रिपब्लिकन समर्थक थोड़ा सा ज्यादा डाक मतपत्रों का इस्तेमाल करते हैं. लेकिन चूंकि इस बार रिपब्लिकन पार्टी ने डाक मतपत्रों के खिलाफ बयान दिए हैं इसलिए हो सकता है कि उन्होंने कम डाक मतपत्र इस्तेमाल किए हों.
कानूनी जंग
चुनावों को लेकर लगभग 400 मुकदमे दायर किए गए हैं. दोनों ही उम्मीदवारों की टीम ने अपनी कानूनी टीमों को इस पर लगाया है. येल लॉ स्कूल में प्रोफेसर और संविधान के विशेषज्ञ ब्रूस एकरमन कहते हैं कि ज्यादातर मुकदमे चुनावी प्रक्रिया को लेकर हैं जिनका फैसला राज्यों की अदालतों में होगा.
एकरमन और दूसरे विशेषज्ञ कहते हैं कि इसकी संभावना नहीं है कि फिर से 2000 जैसी परिस्थितियां होंगी जब जॉर्ज बुश और अल गोर के बीच हुए चुनावी मुकाबले का फैसला सुप्रीम कोर्ट में हुआ था. हालांकि राष्ट्रपति ट्रंप इसकी पूरी संभावना जता चुके हैं.
.@POTUS: "I think this will end up in the Supreme Court. & I think it's very important that we have 9 Justices. & I think the system is going to go very quickly. I'll be submitting at 5 o'clock on Saturday, the name of the person I chose for this most important of positions." pic.twitter.com/v1veiqU2Mm
— CSPAN (@cspan) September 23, 2020
संवैधानिक सवाल
अगर चुनाव में मुकाबला बराबर रहा या फिर राज्यों के अनसुझले विवादों के बीच किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिला तो फिर अमेरिकी संविधान के मुताबिक, अमेरिकी कांग्रेस की नवनिर्वाचित प्रतिनिधि सभा 6 जनवरी तक फैसला करेगी कि कौन राष्ट्रपति होगा. पिछली बार ऐसा 19वीं सदी में हुआ था.
लेकिन स्थिति तब और जटिल हो जाएगी जब राज्य शायद लंबित मुकदमों की वजह से 8 दिसंबर तक अपने प्रतिनिधियों को ना चुन पाएं. फिर कांग्रेस राज्यों के चुनाव नतीजों को मानने के लिए बाध्य नहीं होगी.
अगर 20 जनवरी को राष्ट्रपति के शपथ ग्रहण तक कोई भी विजेता नहीं चुना गया तो फिर जो भी राष्ट्रपति बनेगा वह कार्यवाहक राष्ट्रपति होगा. यह व्यक्ति या तो निर्वाचित उपराष्ट्रपति होगा या फिर प्रतिनिधि सभा का अध्यक्ष. ऐसा तब होगा जब सीनेट 20 जनवरी तक किसी को उप राष्ट्रपति ना चुन पाए.
नतीजों की स्वीकार्यता
एक संभावना यह है कि हारने पर राष्ट्रपति ट्रंप चुनाव नतीजों को स्वीकार करने से इनकार कर दें. सितंबर में ट्रंप ने कहा था, "हम देखते हैं कि हम क्या करेंगे." इसके जवाब में अमेरिकी सीनेटरों ने एकमत से प्रस्ताव पास किया ताकि सत्ता का शांतिपूर्ण हस्तांतरण हो सके.
The winner of the November 3rd election will be inaugurated on January 20th. There will be an orderly transition just as there has been every four years since 1792.
— Leader McConnell (@senatemajldr) September 24, 2020
चुनावी प्रक्रिया पर नजर रखने वाले बहुत से लोगों को उम्मीद है कि चुनाव के नतीजे इतने स्पष्ट हों कि ऐसे हालात ही ना पैदा हों. गोल्डनबर्ग कहते हैं, "मैं आमतौर पर आशावादी हूं कि नतीजा स्पष्ट होगा क्योंकि इस चुनाव में बहुत कुछ दांव पर लगा है."(DW.COM)


