विचार / लेख

जापान में आत्मनिर्भरता बेवफाई नहीं है
06-Nov-2025 8:47 PM
जापान में आत्मनिर्भरता बेवफाई नहीं है

-दिनेश श्रीनेत

मैंने एक बार पढ़ा था कि जापान में प्यार की परिभाषा जोश, बड़े रोमांटिक इजहार या खास दिनों पर फूल देने से नहीं होती। वहाँ प्यार का मतलब होता है-एक-दूसरे की निजी जगह का सम्मान करना।

उनकी संस्कृति में प्यार का मतलब यह नहीं है कि आप हमेशा साथ रहें या हर बात पर सवाल पूछें। जहाँ हम कहते हैं, ‘अगर किसी से प्यार करते हो तो हमेशा उसके साथ रहो,’ वहीं वे मानते हैं, ‘अगर किसी से प्यार करते हो, तो उसे खुलकर सांस लेने दो।’

इस फिलॉसफी एक खूबसूरत विचार है-‘ओयाकाके बुकारेउ’ - यानी किसी के पास चुपचाप बैठना। बिना कुछ बोले एक घंटे साथ रहना, गुस्से से नहीं, बल्कि इसलिए क्योंकि उस मौन में सुकून है। बहुत-सी संस्कृतियों में चुप्पी को समस्या माना जाता है, लेकिन जापान में यह रिश्ते की गहराई की निशानी है।

वहाँ प्यार का मतलब ‘हमेशा साथ रहना’ नहीं होता। जोड़े अलग कमरों में सोते हैं, अलग छुट्टियाँ मनाते हैं, अपने-अपने शौक पूरे करते हैं और यह बिल्कुल सामान्य है। आत्मनिर्भरता वहाँ बेवफाई नहीं है। दूरी वहाँ अंत नहीं है। असली बात यह है कि एक-दूसरे की असलियत में दखल न दें।

खुशी वहाँ माँगी नहीं जाती, बल्कि रिश्ते में जो शांति आप लाते हैं, वही असली सुख होती है। शायद यही वजह है कि वहाँ तलाक कम होते हैं, भावनात्मक थकावट कम होती है, और रिश्ते ज़्यादा स्थिर रहते हैं।

शायद इसलिए कि वहाँ के रिश्ते लालच या अपेक्षाओं पर नहीं, बल्कि सम्मान पर टिके होते हैं; उस शांत देखभाल पर, जो हर इंसान को अपने जैसा बने रहने की आजादी देती है।

(तस्वीर और अनुवाद पूर्व मूल टेक्स्ट Underground World से साभार)


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